Hanuman Jayanti 2022 ~ दोस्तों, आप सभी को “हनुमान जयंती” की हार्दिक शुभकामनाएं ! शिव जी के 11वें रूद्र अवतार कहे जाते वाले महावीर श्री हनुमान जी प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हैं। हनुमान जी अपने भक्तों पर कृपा करते हैं और उनके सारे कष्ट संकटमोचन हर लेते हैं।
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Hanuman Jayanti 2022 ; हनुमान जयंती पर भगवान हनुमान के बारे में अद्भुत कथाएं !
हनुमान जी ने वानर जाति में जन्म लिया। उनकी माता का नाम अंजना (अंजनी) और उनके पिता वानरराज केशरी हैं। इसी कारण इन्हें आंजनाय और केसरीनंदन आदि नामों से भी पुकारा जाता है। आज हनुमान जयंती “Hanuman Jayanti 2022” पर भगवान हनुमान जी के बारे में कुछ अद्भुत एवं रोचक पौराणिक कथाओं को जानते हैं –
Mythological stories on Hanuman Jayanti 2022
भगवान शिव के अवतार थे महावीर हनुमान –
हनुमान जी को शिवजी का 11वां रूद्र अवतार कहा जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, कहा जाता है एक बार एक ऋषि ने स्वर्ग में रहने वाली अप्सरा “अंजना” को यह श्राप दिया कि जब वो किसी से विवाह करेगी तो उसका चेहरा बंदर के समान हो जाएगा l अप्सरा “अंजना” ने भगवान ब्रह्मा से मदद के लिए गुहार लगाई। भगवान ब्रह्मा के आशीर्वाद से अंजना ने पृथ्वी पर मानव के रूप में जन्म लिया और बाद में वानरों के राजा केसरी के साथ विवाह कर लिया। अंजना भगवान शिव की परम भक्त थीं और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। जिसके परिणाम स्वरूप अंजना ने पवनपुत्र हनुमान को जन्म दिया, जो भगवान शिव के अवतार हैं।
हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहते हैं –
एक बार अयोध्या के राजा दशरथ अपनी पत्नियों के साथ पुत्रेष्टि हवन कर रहे थे। यह हवन पुत्र प्राप्ति के लिए किया जा रहा था। हवन समाप्ति के बाद गुरुदेव ने प्रसाद की खीर तीनों रानियों में थोड़ी थोड़ी बांट दी। खीर का एक भाग एक कौआ अपने साथ एक जगह ले गया जहा अंजनी मां तपस्या कर रही थी। यह सब भगवान शिव और वायु देव के इच्छा अनुसार हो रहा था। तपस्या करती अंजना के हाथ में जब खीर आई तो उन्होंने उसे शिवजी का प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लिया। इसी प्रसाद की वजह से हनुमान का जन्म हुआ।
हनुमान जी को भगवान श्री राम के साथ भी युद्ध करना पड़ा –
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हनुमान जी को भगवान श्री राम के साथ भी युद्ध करना पड़ा था। एक बार की बात है गुरु विश्वामित्र श्री राम से मिलने आए थे लेकिन किसी वजह से वह हनुमानजी से नाराज हो गए और उन्होंने श्री राम को हनुमान को मारने के लिए कहा। क्योंकि श्री राम अपने गुरु की आज्ञा नहीं टाल सकते थे, इसलिए उन्होंने अपने भक्त पर प्रहार किए लेकिन इस दौरान हनुमान, राम नाम जपते रहे जिसके चलते उनके ऊपर किसी प्रहार का प्रभाव नहीं हुआ और सारे शस्त्र विफल हो गए।
हनुमान जी का विवाह भी हुआ था –
पौराणिक कथा के अनुसार, हनुमान जी के गुरु सूर्य देवता थे। सूर्य देवता ने हनुमान जी को 5 विद्या सिखा दी। लेकिन बाकी बची 4 विद्याओं का ज्ञान सिखाने से पहले उन्हें शादी करने के लिए कहा। क्योंकि इन 4 विद्याओं का ज्ञान केवल एक विवाहित को ही दिया जा सकता था अतः हनुमान जी अपने गुरु सूर्य देवता की आज्ञा मानकर विवाह करने के लिए तैयार हो गए। अब समस्या उत्पन्न हुई की हनुमान जी से विवाह के लिए किस कन्या का चयन किया जाए। तब सूर्य देव ने अपनी परम तेजस्वी पुत्री सुवर्चला से अपने शिष्य हनुमान जी शादी करा दी। विवाह होने के बाद ही सुवर्चला तपस्या में मग्न हो गई। और उधर हनुमान जी अपने गुरु सूर्य देवता से अपनी बाकी बची 4 विद्याओं का ज्ञान को हासिल करने में लग गए। इस प्रकार श्री हनुमान जी विवाहित होने के बाद भी उनका ब्रह्मचर्य व्रत नहीं टूटा।
हनुमान जी का एक पुत्र भी था –
हनुमान जी ब्रह्मचारी थे लेकिन यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि उनका मकरध्वज नाम का एक पुत्र भी था, जिसका जन्म एक मछली के पेट से हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार – जब हनुमान जी ने पूरी लंका को आग लगाई और अपनी पूछ की आग को बुझाने के लिए समुन्द्र में डुबकी लगाई l तब उनके पसीने को एक मछली ने निगल लिया था l इस प्रकार मकरध्वज का जन्म हुआ था।
हनुमान जी ने भी की थी रामायण की रचना –
वैसे तो हम सब जानते हैं कि रामायण की रचना संस्कृत में ऋषि वाल्मीकि ने की थी। पर क्या आप जानते हैं की रामायण की रचना हनुमान जी ने भी की थी। कहा जाता है की भगवान श्री राम के राज्याभिषेक के बाद हनुमान हिमालय पर्वत पर चले गए थे l वहां उन्होंने अपने नाख़ून से हिमालय की दीवारों पर रामायण को लिखा था l जब ऋषि वाल्मीकि अपनी रामायण को हनुमान जी को दिखाने गए, तो दीवार पर लिखी उस वर्णित रामायण को देखकर उदास हो गए l क्योंकि वो जानते थे कि हनुमान जी रामायण में श्रेष्ट है l यह सब देख कर हनुमान जी समझ गए और उन्होंने अपनी रामायण को मिटा दिया।
हनुमान जी को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर –
एक बार देवी सीता को सिंदूर लगाते देखकर हनुमानजी ने उनसे पूछा कि “माता आप सिंदूर क्यों लगाती हैं।” इस पर सीता जी ने जवाब दिया “श्रीराम उनके पति हैं अतः मैं उनकी लम्बी उम्र की कामना के लिए सिंदूर लगाती हूँ।” यह सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि अगर देवी सीता द्वारा थोड़ा सिंदूर लगाने से श्रीराम की उम्र लम्बी हो सकती है तो अगर मैं पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लूँ तो श्रीराम की उम्र कई गुना बढ़ जाएगी। यह सोच उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। चूंकि सिंदूर को “बजरंग” भी कहा जाता है इसलिए हनुमान जी को “बजरंगबली” भी कहा आता है और इसी कारण जब भी उनकी पूजा होती है तो उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता है।
हनुमान जी और भीम दोनों भाई –
हनुमानजी का जन्म पवनदेव की कृपा से हुआ था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भीम का जन्म भी पवनदेव की कृपा से ही हुआ था ! जब महाराज पांडु अपनी पत्नी कुंती और माद्री के साथ वन में रह रहे थे तो उसी समय महारानी कुंती ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से पवनदेव की आराधना की थी जिसके परिणामसवरूप “भीम” का जन्म हुआ थाl इस प्रकार “हनुमानजी” और “भीम” दोनों भाई थे।
हनुमान जी के पांच भाई –
शायद आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हनुमानजी के पांच सगे भाई भी थे। इस बात का उल्लेख “ब्रह्माण्ड पुराण” में मिलता है। इस पुराण के अनुसार महावीर हनुमान के पिता केसरी एवं उनके वंश का वर्णन शामिल है। इस पुराण में वर्णित है वानर राज केसरी के 6 पुत्र थे, जिनमें सबसे बड़े पुत्र “हनुमान जी” थे। हनुमान जी के भाईयों के नाम क्रमशः मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान था और इन सभी की संतान भी थीं, जिससे इनका वंश कई वर्षों तक चला।
महिलाएं हनुमान जी की पूजा नहीं करती –
हिन्दू धर्म और पुराण के अनुसार श्री हनुमान जी ने प्रत्येक स्त्री को मां के समान दर्जा दिया है। यही कारण है कि किसी भी स्त्री को श्री हनुमानजी अपने सामने प्रणाम करते हुए नहीं देख सकते। बल्कि वह खुद स्त्री शक्ति को नमन करते हैं। यदि महिलाएं चाहे तो हनुमान जी की सेवा में दीपक अर्पित कर सकती हैं।
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आपका धन्यवाद जो आपने आज हनुमान जयंती के दिन उनके बारे जो कुछ भी बताया अथवा जो बात लिखी है वोह हमे मालूम नही थी जो आज हमें आपके लेख से मिली इसलिए आपका बहुत बहुत धन्यावाद और आपको हनुमान जयंती पे हार्दिक शुभकामनाएं💐💐🙏