जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) 13 अप्रैल, 1919 को आज से 103 साल पहले हुआ था। जिसे हम सभी काले दिन के रूप में याद करते हैं। यह दिन इतिहास की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में से एक है जिसे चाहकर भी नहीं भुलाया जा सकता। यह हत्याकाण्ड ब्रिटिश सरकार के आदेशानुसार देश की आजादी के लिए चल रहे आंदोलनों को रोकने के लिए कर्नल रेजिनाल्ड डायर द्वारा हुआ, जिसमें पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित 379 लोग मारे गए थे, जबकि 1,200 लोग घायल हुए थे। लेकिन इस घृणित कृत्य के बाबजूद देश के क्रांतिकारियों के हौसले कम नहीं हुए बल्कि पहले से ज्याद बढ़ गए। आइये जानते हैं ‘जलियांवाला बाग हत्याकांड’ के बारे में –
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जलियांवाला बाग हत्याकांड (काला दिन) Jallianwala Bagh Massacre (Dark Day of Indian History)
जलियांवाला बाग हत्याकांड
- दिन – 13 अप्रैल 1919
Day – 13 April 1919 - घटना का स्थान – अमृतसर, पंजाब, भारत
Place – Amritsar, Punjab, India - अपराधी – ब्रिटिश भारतीय सैनिक और डायर
Criminal – British Indian soldier and Dyer - जान जाने वालों की संख्या – 379 (महिला, पुरुष एवं बच्चे)
Total Death – 379 (Women, Men and Children) - घायलों की संख्या – 1,200 (महिला, पुरुष एवं बच्चे)
Number of injured – 1,200 (women, men and children)
जलियांवाला बाग हत्याकांड की जानकारी
(What happened on April 13, 1919)
- सन 1919 में कई तरह के कानून, ब्रिटिश सरकार द्वारा हमारे देश में लागू किए गए थे और इन कानूनों का विरोध हमारे देश के हर हिस्से में किया जा रहा था।
- 6 फरवरी, 1919 को में ब्रिटिश सरकार ने इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में एक ‘रॉलेक्ट’ नामक बिल को पेश किया था और इस बिल को इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने मार्च के महीने में पास कर दिया था. जिसके बाद ये बिल एक अधिनियम बन गया था।
- इस अधिनियम के अनुसार भारत की ब्रिटिश सरकार किसी भी व्यक्ति को देशद्रोह के शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकती थी और उस व्यक्ति को बिना किसी जूरी के सामने पेश किए जेल में डाल सकती थी। इसके अलावा पुलिस दो साल तक बिना किसी भी जांच के, किसी भी व्यक्ति को हिरासत में भी रख सकती थी।
- इस अधिनियम ने भारत में हो रही राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिए, ब्रिटिश सरकार को एक ताकत दे दी थी.
- राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी ने इसी अधिनियम के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन पूरे देश में शुरू किया था।
- अंग्रेजों (ब्रिटिश सरकार) ने सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाते हुए एक कठोर मार्शल लॉ लागू किया था।
- भारत के अमृतसर शहर में भी 6 अप्रैल, 1919 में इस आंदोलन के तहत एक हड़ताल की गई थी और रॉलेक्ट एक्ट का विरोध किया गया था। लेकिन धीरे-धीरे इस अहिंसक आंदोलन ने हिंसक आंदोलन का रूप ले लिया था।
- बैसाखी के मौके पर पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थे प्रदर्शनकारियों और तीर्थयात्रियों की भीड़ जमा हो गई।
- स्वतंत्रता सेनानियों सत्य पाल और डॉ सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए भीड़ ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए कार्यक्रम स्थल पर इकट्ठा किया था।
- कर्नल डायर को जब सभा के बारे में पता चला, तो वह लगभग 50 सैनिकों के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे और उन लोगों पर गोली चलाने को कहा।
- करीब 10 मिनट तक फायरिंग हुई और करीब 1,650 राउंड गोलियां चलीं।
- ब्रिटिश सरकार के अनुसार जलियांवाला बाग हत्याकांड में 379 लोग मारे गए थे और 1,200 घायल हुए थे। कुछ रिकॉर्ड कहते हैं, लगभग एक हजार मारे गए थे।
- नरसंहार ने भारतीयों को नाराज कर दिया और महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का आह्वान किया।
- इस नरसंहार की निंदा भारत के हर नेता ने की थी और इस घटना के बाद हमारे देश को आजाद करवाने की कवायाद और तेज हो गई थी।
Jallianwala Bagh Massacre’s History in Hindi | जलियांवाला बाग हत्याकांड की कहानी | वनइंडिया हिंदी
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