ओवरथिंकिंग (ज्यादा सोचने) से छुटकारा कैसे पायें ! How to Stop Overthinking

Overthinking

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Overthinking se kaise bache

क्या आप ज्यादा सोचते हैं ? Are You Overthinking ? हमेशा सोचते रहना यानि Overthinking एक Common problem हैं। लेकिन यह धीरे धीरे Life को complicated करती जाती है। ओवरथिंकिंग मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जुड़ा हुआ विषय है, जैसे अवसाद और चिंता।

इस आर्टिकल में जानते हैं Overthinking (अत्यधिक सोच) क्या है ? ओवरथिंकिंग का क्या कारण है , Overthinking (अत्यधिक सोच) के क्या लक्षण हैं ओवरथिंकिंग से क्या नुकसान और ओवरथिंकिंग (ज्यादा सोचने) से कैसे बचे !

अत्यधिक सोच क्या है ? What is Overthinking

विचार प्रक्रिया (thought process) हमारे मस्तिष्क का एक अभिन्न अंग है। पर हमेशा दिमाग चलता रहे तो यह Overthinking कहलाती है। इसे हम पॉइंट्स द्वारा समझते है जैसे, क्या आपके दिमाग में हमेशा विचार चलते रहते हैं। आप सो नहीं पाते क्योंकि आपका दिमाग दौड़ रहा होता है। आप जल्दी फैसला नहीं ले पाते क्योंकि आप हमेशा ज्यादा सोचते रहते हैं यानि आप अपने Mind पर Control नहीं रख पा रहें हैं। लगातार दिमाग चलते रहने से आप थका हुआ महसूस करते हैं। तो आप Overthinking (अत्यधिक सोच) के शिकार हैं।

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अत्यधिक सोच का क्या कारण है ?

Overthinking (अत्यधिक सोच) एक सामान्य मानसिक समस्या है जो ज्यादातर देखने को मिलती है। तो इस समस्या के कुछ मुख्य कारण मैं आपको यहाँ बताने वाला हूँ।

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अत्यधिक सोच के कुछ मुख्य कारण –

वर्तमान से ज्यादा भूतकाल या भविष्य के बारे में ज्यादा चिंता करना – आप जो काम अभी कर रहे हैं उससे ध्यान हटाकर अपना ध्यान बीते हुए समय या आने वाले समय पर लगाएंगे तो आप Overthinking के शिकार होते जायेंगे।

काम का ज्यादा तनाव होना – जब वर्क लोड ज्यादा होता है तो दिमाग भी तेज़ी से चलने लगता और यह तनाव का रूप ले लेता है। और दिमाग में वो विचार भी आने लगते है तो काम से सम्बन्धी नहीं हैं और लोग Overthinking के शिकार हो जाते हैं।

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डर का बना रहना – जब व्यक्ति के अंदर डर होता है जैसे – नौकरी छूटजाने का डर, प्रमोशन न होने का डर, काम में असफल हो जाने का डर, पैसे न मिलने या डूब जाने का डर। व्यक्ति इस डर को लेकर कल्पना करता रहता है, भले ही ऐसा न होने वाला हो। लेकिन धीरे धीरे यह डर उसे जरूरत से ज्यादा सोचने पर मज़बूर कर देता है।

कॉन्फिडेंस की कमी – जब व्यक्ति में किसी काम को करने के प्रति उलझन बनी रहती है तो कॉन्फिडेंस कम होता जाता है। जिसके चलते नकारात्मक विचार दिमागी को घेरना शुरू कर देते हैं और व्यक्ति ज्यादा सोचना और चिंता करना शुरू कर देता है।

चीज़ों के बारे में सकारात्मक से ज्यादा नकारात्मक विचार – जब व्यक्ति छोटी छोटी बातों के नकारात्मक पहलू के बारे में ज्यादा शुरू कर देता है तो धीरे धीरे व्यक्ति Overthinking का शिकार होता जाता है

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Over-thinking (अत्यधिक सोच) के क्या लक्षण हैं 

  • आलस्य का बढ़ जाना।
  • बेचैनी बनी रहना।
  • छोटी छोटी बात पर चिंता हो जाना।
  •  किसी काम में मन न लगना।
  • एक ही विचार मन में बार बार घूमते रहना।
  •  भूख कम लगना या ओवरईटिंग (ज्यादा खाना खा लेना)
  • शरीर थका थका सा रहना।
  •  वजन कम हो जाना।
  •  किसी काम पर फोकस न कर पाना (एकाग्रता में कमी)
  • सर में भारीपन या दर्द बने रहना।
  • कुछ क्रिएटिव न सोच पाना।
  • याददाश्त में कमी होना।
  • आदि लक्षण अत्यधिक सोच के कारण हो सक्ते हैं

(नोट – उपर्युक्त लक्षण किसी अन्य बीमारी से सम्बन्धी भी हो सकते हैं)

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“Side-Effects Of Overthinking”

अत्यधिक सोच के क्या नुकसान हैं  What are the disadvantages of over thinking

ओवरथिंकिंग का सबसे बड़ा नुकसान हैं दिमाग का थक जाना।

क्या हो जब किसी मशीन को चालू छोड़ दें और उससे कुछ भी उत्पादन न करें ? एक और जहाँ मशीन गर्म पड़ जाएगी दूसरी और आपका ईंधन, बिजली का नुकसान भी होगा और आप कुछ प्राप्त भी नहीं कर पायेगें। ओवरथिंकिंग आपका समय, ऊर्जा और स्वास्थ्य सभी का नष्ट करने का काम करती है।

ओवरथिंकिंग इच्छा शक्ति को कम करती है। किसी भी काम को हम परफेक्ट तभी कर पाते हैं जब हमारी इच्छा शक्ति तेज़ हो। यानि आप किसी काम पर फोकस तभी कर पाते हैं जब आपका दिमाग पूरी तरह से उस काम में लगा हॉट। यह शक्ति आमतौर पर सुबह के समय बहुत मजबूत होती है, लेकिन धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है क्योंकि हम दिन भर विभिन्न कार्यों को पूरा करते हैं। हालांकि, यह बहुत जल्दी खत्म हो जाती है क्योंकि हमारा दिमाग थक जाता है।

ओवरथिंकिंग के चलते हम तनाव में रहने लगते हैं। तनाव और चिंता हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाती हैं।

Overthinking (अत्यधिक सोच) के अन्य कई नुकसान (प्रभाव ) भी देखे गए हैं जैसे – 

  • लोगों से ज्यादा मेल जोल पसंद न करना।
  • फालतू की बातों पर ज्यादा ध्यान देना या उसके बारे में ज्यादा सोचना और परेशान रहना।
  • आलस्य का बढ़ जाना जिससे कोई काम समय पर न कर पाना।
  • किसी काम को करने से पहल बहुत ज्यादा सोचना।
  •  फ्यूचर को लेकर ज्यादा चिंता करना।
  • किसी भी काम में मन न लगा पाना।
  • दिल की बीमारी, चक्कर आना आदि भी हो सकते हैं।
  •  दूसरों की बातों का जल्दी बुरा मानना और इस बारे में कई दिनों तक सोचते रहना।
  •  किसी भी प्रॉब्लम से जल्दी घबरा जाना।
  •  सर के बाल गिरना (गंजेपन की समस्या)
  •  नशे का आदि हो जाना।
  • हमेशा थका थका सा महसूस करनाआदि।
  • मानसिक स्वास्थ्य से जुडी कई समस्याएं हो सकती हैं।
  • उम्र का कम होना।

क्या Overthinking (अत्यधिक सोच) से छुटकारा पाया जा सकता है। 

जी बिलकुल, Overthinking (अत्यधिक सोच) से छुटकारा पाया जा सकता है। हालाँकि थोड़ा समय लग सकता है लेकिन यदि आप नीचे दिए स्टेप्स को फॉलो करते हैं तो आप ओवरथिंकिंग की प्रॉब्लम से यकीनन छुटकारा पा सकते हैं। तो आइये जानते हैं की Overthinking की Problem से छुटकारा कैसे पाएं।

Overthinking (अत्यधिक सोच) से छुटकारा पाने के उपाए –

यह सब जानते हैं कि पहले विचार दिमाग में आता है फिर वो क्रिया का रूप लेता है। हमे कोई भी काम सोच समझकर करना बहुत जरूरी है। पर किसी काम को लेकर जरूरत से ज्यादा सोचना और वो बाते भी सोचना जो काम से सम्बंधित नहीं है, आपको और आपके काम दोनों को नुकसान पहुंचाता है। तो thinking problem  नहीं है बल्कि overthinking problem हैं और इसे कम करना जरूरी है। तो आइये जानते हैं Overthinking (अत्यधिक सोच) से छुटकारा या कम करने के उपायों का –

1- स्वीकार करें की आप जरूरत से ज्यादा सोचते हैं (Accept that you are Over thinker)

इस बात को मन से स्वीकार करें की आप ज्यादा सोचते हैं और आपको ऐसा नहीं करना है। जब आप इस बात को स्वीकार कर लेंगे तो आप इससे छुटकारा पाने के लिए अपने आप को तैयार कर लेंगे। आप Overthinking को लेकर जागरूक हो जायेगें।

जब भी आपको लगे के दिमाग में फालतू विचार चल रहे हैं तुरंत उसे वहीँ रोक दो और ये सोचना शुरू करो की आपने सोचना कहाँ से शुरू किया था। तब आपको मालूम होता जायेगा की आप कितनी फालतू की बातें सोचकर अपना समय और शक्ति बर्वाद कर रहे हैं।

2- हमेशा सकारात्मक सोचने की कोशिश करें(Always try to think positive)

क्या गलत हो सकता है कि जगह क्या अच्छा हो सकता है सोंचें। नकारात्मक विचार डराते हैं और आपका दिमाग चिंता से दौड़ने लगता है। जब आप उन नकारात्मक चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करने लगते हैं जो कही हो गयीं तो, तब आप दिमाग के गुलाम हो जाते हैं। लेकिन जब आप सकारात्मक रूप से सोचते हैं तो दिमाग आपका गुलाम होता है।

सकारात्मक रहने का मतलब यह नहीं है की आप चीज़ों के सिर्फ एक पहलू को देखें बल्कि सही और गलत दोनों पहलुओं को देखना जरूरी है। पर केवल नकारात्मक सोचना या ज्यादा नकारात्मक विचार आपको अनुचित सोचने पर मज़बूर कर देते हैं।

3- योग, ध्यान और व्यायाम करें ( yoga, meditation and exercise)

योग, ध्यान और व्यायाम मस्तिष्क और शरीर को स्वस्थ्य रखते हैं। ध्यान (meditation)  overthinking problem में काफी लाभदायक है। इसे अपने जीवन को हिस्सा बनायें।

4- वर्तमान क्षण में जीने की कोशिश करो (Try to live in the present moment)

कभी कभी लोग बीती हुई बातों या घटना के बारे में ही सोचते रहते हैं और तनाव में आ जाते हैं। इसी प्रकार जो समय आने वाला है उसे लेकर भी इतनी चिंता करते हैं की तनाव में रहते हैं। तनाव में दिमाग हावी हो जाता है और फालतू बातें सोचने लगता हैं।

जो समय बीत गया है उससे सीख लो। जो आने वाला है उसकी तैयारी करो। लेकिन यह आप तभी कर सकते हैं जब आप वर्तमान में रहें। इसलिए आप जो अभी कर रहें हैं तो पूरा ध्यान उसी पर लगाओ। जैसे आप यह आर्टिकल पढ़ रहे हैं तो इसे ध्यान से पढ़ो।

5- जो बात आपको परेशान कर रही है उसे लिख लें (Write down what is bothering you)

आपके सोचने के तरीके और आपके महसूस करने के तरीके के बीच एक मजबूत संबंध है।  आपके सोचने का तरीका आपकी भावनात्मक स्थिति को प्रभावित करता है और आपकी भावनात्मक स्थिति आपके सोचने के तरीके को प्रभावित करती है।

तो जो बात आपको परेशान कर रही है उसे लिख लें। अब उस बात के बारे में यह लिखे की यह आपको क्यों परेशान कर रही है। अब अपने आप से प्रश्न करें की क्या इस समस्या का हल परेशान रहना है। यदि नहीं तो उसका हल ढूंढे। और यही इसका कोई हल नहीं है तो परेशान रहने और सोचते रहने से क्या होगा।

जब धीरे धीरे आप ऐसे करेंगे तो इस चीज़ के आपको आदत पड़ती जायगी और आप अनावश्यक सोचना बंद कर देंगे।

6- अपनी भावनाओं को नियंत्रण रखें (Control your emotions)

भावनाओं पर नियंत्रण रखने का मतलब यह बिलकुल भी नहीं है की आप अपनी भावनाओं को दवाएं। लेकिन आपको अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना होगा। जब आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हैं तो हकीकत को देख पाते हैं। अनियंत्रित भावनाएं दिमागी विचारों को बेफजूल गति प्रदान करती हैं।

7- चिंता नहीं चिंतन करें (concerns)

चिंता  Overthinking को जन्म देती है और चिंतन creativity को जन्म देता है। फालतू सोचने के जगह कोई कहानी, कोई लेख, कविता या कुछ रचनात्मक सोचें।

8- अपने पसंद की चीज़े करें (Do the things you like)

जब भी आप फ्री हों तो कोई भी ऐसा काम करें जिसे करना आपको अच्छा लगता हो। किताबे पढ़ें, गाने सुने, गाने गायें, घूमने जाएँ। यदि आपके घर में बच्चे हैं तो बच्चों के साथ खेलें। अपने दोस्तों से साथ समय व्यतीत करें।

9- अपना सर्वश्रेष्ठ स्वीकार करें (Accept your best)

जब आप ज्यादा सोचते हैं तो न चाहते हुए भी आप नकारात्मक बातें सोचते हैं और अपने आप को औरों से कम आंकने लगते हैं। याद रखें कोई भी परफेक्ट नहीं होता। जो आप हैं आप जैसा कोई नहीं है।  लोग क्या कहते है इस पर ध्यान देने की वजाये अपना सर्वश्रेष्ठ स्वीकार करें। अपने ज्ञान को बढ़ाते रहें और पॉजिटिव रहें।

10- मन को शांत रखें (Make your mind calm)

आधुनिक ज़िंदगी भागदौड़ और तनाव भरी है। अधिकतर लोगों के साथ तनाव में बने रहना इतना सामान्य हो जाता है की उन्हें इस बात का पता ही नहीं चलता की धीरे धीरे तनाव उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है।

जब मन अशांत होता है तब नकारात्मक और फ़िज़ूल के विचार हमारे दिमाग में घर करने लगते हैं। यदि आप Overthinking से छुटकारा पाना चाहते हैं तो अपने मन को शांत रखें.

यह भी पढ़ें – मन शांत रखने के 11 तरीके ~ Ways to Make Your Mind Calm and Peaceful

दोस्तों, तो यह थे कुछ सुझाव जो Overthinking (अत्यधिक सोच) को कम करने के आपकी मदद कर सकते हैं।

आप केवल वही बाते सोचें जो आपका उत्साह बढ़ाएं, कुछ निष्कर्ष निकालें और आपको खुश रखें।

जब आप खुश और पोस्टिव होंगें तो आपके आस पास के लोग भी खुश और पोस्टिव होंगें।

हमेशा याद रखें जीवन जीने के लिए होता है। आप क्या सोचते हैं यह आप पर निर्भर करता है।

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