Mahavir Jayanti ; महावीर स्वामी के 5 सिद्धांत-Principles Of Mahavir Swami Hindi

Mahavir Jayanti

Mahavir Jayanti 2022 – महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। महावीर स्वामी के जन्म दिन को महावीर जयंती पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह जैन धर्म  का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है।  स्वामी जी का जीवन ही उनका संदेश माना जाता है। 

महावीर स्वामी के दृष्टिकोण से, हम यहाँ पर जैन धर्म के पाँच मूल सिद्धांतों (Principles Of Mahavir Swami Hindi ) का उल्लेख कर रहे हैं जो वास्तव में मानव जीवन को  आनंद की स्थिति का अनुभव और आंतरिक शांति पाने के लिए महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं महावीर जयंती पर  महावीर स्वामी के  5 सिद्धांतों को – 

Contents

Mahavir Jayanti 2020 :
5 Principles Of Mahavir Swami Hindi

महावीर स्वामी के सिद्धांत

1. अहिंसा (Non-violence)

जीवन का पहला मौलिक तरीका अहिंसा है जैसा कि भगवान महावीर ने कहा, “अहिंसा परमो धर्म”। यह सिद्धांत दर्शाता है कि  हमें किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहना चाहियें। भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए। अहिंसा को तीन नैतिक रूप में बताया गया है – 1 – गैर-आहत , 2 – गैर-नुकसानदेह, 3 – गैर-घृणा

  • गैर-आहत (Non-hurting) – जान-बूझकर या अनजाने में किसी भी जीव को कोई शारीरिक चोट नहीं पहुचानी चाहियें।  मनुष्य जीवन सबसे मूल्यवान है और हमारे पास दूसरों को चोट से बचाने की शक्ति है। 
  • गैर-नुकसानदेह (Non-harming) – जान-बूझकर या अनजाने में किसी को भी कोई नुक्सान नहीं पहुंचना  चाहिए।
  • गैर-घृणा (Non-hating) – किसी भी व्यक्ति-स्थान-वस्तु के प्रति घृणा की भावना नहीं रखनी चाहियें। घृणा की यह शत्रुतापूर्ण भावना वास्तव में हमारे स्वयं के बीच अशांति का कारण बनती है। अतः अहिंसा के इस रूप  में किसी से भी घृणा नहीं करनी चाहियें। 

2. सत्य (Truthfulness) – 

भगवान महावीर का दूसरा सिद्धांत है सत्य। भगवान महावीर के इस सिद्धांत में कहते हैं  ” हे मनुष्य ! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ ! जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है।  कठिन से कठिन समय में भी कभी सत्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।  हमेशा सत्य वचन ही बोलना चाहिए। यही वजह है कि उन्होंने लोगों को हमेशा सत्य बोलने के लिए प्रेरित किया। 

3. अस्तेय (Non-stealing) –

इस सिद्धांत में भगवान महावीर ने मनुष्य को हमेशा धैर्य से काम लेना बताया है। स्वामी जी कहते हैं कभी चोरी नहीं करनी चाहिएं और न ही किसी के सामान पर कब्ज़ा करना चाहियें। अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं।  ऐसे लोग जीवन में हमेशा संयम से रहते हैं और सिर्फ वही वस्तु लेते हैं जो उन्हें दी जाती है। 

4. ब्रह्मचर्य (Celibacy) –

भगवान महावीर का चौथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य। जिसके अंतर्गत वो कामुक गतिविधियों में भाग नहीं लेते हैं। ब्रह्राचर्य का पालन करने से मन की पवित्रता बनी रहती है। अन्तः व्यक्ति को कभी कामुक स्वभाव का नहीं होना चाहिए। 

5. अपरिग्रह (Non-Possessiveness) –

पांचवा और अंतिम सिद्धांत है अपरिग्रह।  यह सिद्धांत पिछले  सभी सिद्धांतों को जोड़ता है। इस सिद्धांत में भगवान महावीर ने सभी सांसारिक और भोग की चीजों का इंसान को त्याग करना बताया है। माना जाता है कि अपरिग्रह का पालन करने से जैनों की चेतना जागती है और वे सांसारिक एवं भोग की वस्तुओं का त्याग कर देते हैं। 


इस तरह, भगवान महावीर जी द्वारा जैन धर्म के इन पांच मूल तत्व वास्तव में जीवन जीने का ऐसा तरीका है जो इस मानव जीवन के माध्यम से मुक्ति का कारण बन सकता है। यदि कोई इन सिद्धांतों के अनुरूप जीवन जीता है, तो वे आत्म-जांच का मार्ग अपनाते हैं जो अंत में आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है।

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