2800 वर्ष पुराने सुध महादेव मन्दिर की पौराणिक कथा जहाँ आज भी महादेव के विशाल त्रिशूल के तीन टुकड़े जमीन में गड़े हुए है ! Sudh Mahadev Mandir Pauranik Katha

Sudh Mahadev Pauranik Katha

नमस्कार मित्रो आज के इस अंक में हम आपको बताने जा रहे है पौराणिक कथा सुध महादेव की | यह कथा है महादेव के स्वरुप सुध महादेव से जुड़ी जिनका मन्दिर जम्मू  के पास स्थित है जहाँ आज भी गड़ा है महादेव का असली त्रिशूल | जाने  Sudh Mahadev Mandir Pauranik Katha पूरी कथा जो कि इस प्रकार है :-

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जाने शूल पनिश्वर सुध महादेव मंदिर के बारे में Shool Paneshwar Sudh Mahadev Pauranik Katha

Sudh Mahadev Mandir Pauranik Katha

सुध महादेव का मन्दिर जम्मू से 120 किलो मीटर दूर पटनीटॉप के पास समुद्र तल से 1225 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है महादेव के प्रमुख मंदिरो में से भी एक है । पौराणिक कथाओ के अनुसार इस मंदिर में आज भी महादेव के एक विशाल त्रिशूल के तीन टुकड़े जमीन में गड़े हुए है | ये मन्दिर 2800 वर्ष पुराना है जिसका पुनर्निर्माण यहां के स्थानीय निवासी रामदास महाजन और उनके पुत्र द्वारा एक शताब्दी पूर्व कराया गया था | मन्दिर में आनेवाले भक्तो को एक प्राचीन शिवलिंग, नंदी और शिव परिवार की मूर्तियां को दर्शन करने को मिलते है |

जाने मंदिर में गढ़े  महादेव के विशाल त्रिशूल के बारे में 

सुध महादेव मन्दिर में आज भी महादेव का त्रिशूल 3 टुकडो में गढ़ा है जिसका सबसे बड़ा हिस्सा त्रिशूल के ऊपर वाला हिस्सा है और मध्य आकार वाला हिस्सा बीच का हिस्सा है और सबसे नीचे का हिस्सा  छोटा वाला हिस्सा है जो कि आज मन्दिर में टाइल्स लगने के बाद फर्श का लेवल बराबर हो जाने के कारण बराबर दिखाई देता है थोड़ा सा जमीन के ऊपर दिखाई देता था पर मदिर के अंदर टाईल लगाने के बाद वो फर्श के लेवल के बराबर हो गया है। आज भी त्रिशूल के ऊपर किसी अनजान लिपि में कुछ लिखा हुआ है जिसके बारे में कोई कुछ भी पता नही लगा पाया है | यहाँ आने वाले भक्तगण रोज इस त्रिशूल का जलाभिषेक करके महादेव की पूजा-अर्चना करते है |

जाने पाप नाशनी बुली और बाबा रुपनाथ की धूनीके बारे में 

सुध महादेव मन्दिर के बाहर पाप नाशनी बुली स्थित है जिसमे पौराणिक मान्यताओ के अनुसार लोगो द्वारा स्नान करने से उनके सारे पाप नष्ट हो जाते है | इस मन्दिर में ही नाथ सम्प्रदाय के संत बाबा रूप नाथ ने सदियों पहले समाधि ली थी जिनकी धूणी इसके परिसर में स्थित है |

जाने मानतलाई के बारे में 

सुध महादेव मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर माता पार्वती की जन्म भूमि मानतलाई स्थित है जहाँ पौराणिक कथाओ के अनुसार माता पार्वती का जन्म और शिव जी से उनका विवाह हुआ था । इस स्थान पर माता पार्वती का मंदिर और गौरी कुण्ड भी स्थित है जहाँ सावन मास की पूर्णिमा पर एक बड़े मेले का आयोजन होता है |

जाने मन्दिर में दानव के आने से जुड़ी कथा 

पौराणिक कथाओ के अनुसार माता पार्वती कई बार महादेव के मन्दिर में पूजा-अर्चना करने  आया करती थीं। एक बार जब माता पार्वती यहां पूजा-अर्चना करने आईं तो उनके पीछे-पीछे सुधान्त नामक दैत्य, जो कि खुद महादेव का परम भक्त था, माता के पीछे-पीछा महादेव की पूजा-अर्चना करने आ गया और माता पार्वती को पूजा करता देख उनके समीप जाकर खड़ा हो गया | जैसे ही माता पार्वती पूजा समाप्त करने के बाद अपने नेत्र खोलती हैं तो अपने सामने अचानक एक दानव को देखकर घबरा जाती है और चीखने लगती है | उनकी चीखने की पुकार कैलाश पर्वत में महादेव के पास तक पहुँच जाती है । 

जाने महादेव द्वारा मन्दिर में त्रिशूल फैकने से जुड़ी कथा 

पौराणिक कथाओ के अनुसार जैसे ही महादेव के कानो में माता पार्वती की ध्वनि पहुँचती है तब वो ध्यान में लीन थे |माता पार्वती की ऐसी ध्वनि सुनकर महादेव को लगा कि पार्वती किसी मुश्किल में है और वो उनकी सुरक्षा हेतु अपना त्रिशूल कैलाश से मन्दिर की दिशा में नीचे की ओर फैकते है जो सीधे दानव सुधान्त के ह्रदय में लगता है |

जाने महादेव द्वारा अपने त्रिशूल के टुकड़े गाड़े जाने से जुड़ी कथा

पौराणिक कथाओ के अनुसार जब महादेव को पता चलता है कि वो दानव उनका परम भक्त सुधान्त है तब उन्हें अनजाने में हुई अपनी गलती का पता चलता है और वो दानव को जीवनदान देने वहां प्रकट होते है पर दानव सुधान्त अपने इष्ट देव के हाथों प्राण त्याग कर मोक्ष प्राप्त करने की लालसा के कारण महादेव से जीवनदान लेने से मना कर देता है तब महादेव उसको वरदान देते है कि आज से ये स्थान उस दानव के नाम पर सुध महादेव के नाम से जानी जायेगी और उसके बाद महादेव स्वयं अपने हाथो से अपने तीन टुकड़े करके वहीं गाड़ देते है जो आज भी वहां आनेवाले भक्तो को देखने को मिल जाते है |

जाने महादेव द्वारा दानव वध से जुड़ी एक और पौराणिक कथा 

पौराणिक कथाओ के अनुसार कुछ लोगों  द्वारा ऐसा भी माना जाता है कि दानव सुधान्त बहुत ही दुराचारी और अत्याचारी दानव था और वो मन्दिर में माता पार्वती के पीछे बुरी नियत के कारण आया था  जिसके कारण महादेव उस दानव का वध कर दिया था | मान्यताओ के अनुसार आज भी उस दानव की अस्थियाँ इस मन्दिर के कोने में रखी हुई है |

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