आत्म सम्मान क्या है, क्यों महत्वपूर्ण है और कैसे प्राप्त करें ? Self Respect In Hindi : What Is Self Respect, Why Is It Important and How to Get It ?

Self Respect In Hindi

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स्वाभिमान क्या है ? What is Self Respect ?

आत्म सम्मान (Self Respect) स्वयं का सम्मान है। जिस तरह हम दूसरों का सम्मान करते हैं उन्हें इज्जत देते हैं उसी तरह यदि हम स्वम का सम्मान करते हैं तो उसे आत्म सम्मान कहा जाता है। आत्म सम्मान (स्वाभिमान) खुद को महत्त्व देना है। खुद से प्यार (Self-Love), खुद की इज्जत (Self-respect) और खुद की परवाह ही इसके उदाहरण हैं। यदि आप अपने आप को महत्व देना चाहते हैं, तो आपको आपका सम्मान करना चाहिए।

क्या अभिमान और स्वाभिमान में कोई अंतर है? Is There a Difference Between Pride and Self Respect?

जी हाँ ! अभिमान और स्वाभिमान में अंतर है ? बल्कि दोनों अलग अलग शब्द हैं। अभिमान (घमंड) व्यक्ति प्रदर्शित करता है, जबकि स्वाभिमान को प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं होती है। अहंकारी व्यक्ति अपने पैसे, बुद्धि, दर्ज़े पर घमंड करता है और दूसरों को नीचा दिखाता हैं। अभिमान दूसरों पर विचारों या अस्त्रशस्त्र से हमला करता रहता है और उन्हें तुच्छ या हीन महसूस करने की कोशिश करता है जबकि स्वाभिमान वाला व्यक्ति अपनी बुद्धि, अपने विवेक, अपनी संस्कृति और अपनी प्रत्येक चीज पर “गर्व” करता पर उन्हें सर्वश्रेष्ठ नहीं समझता है साथ ही वो दूसरों का सम्मान भी करता है। अभिमान व्यक्ति अपने आगे किसी को नहीं समझता जबकि स्वाभिमानी व्यक्ति दूसरों के गुणों और कौशल का सम्मान करता है और उनसे सीखने की कोशिश करता है और अपने जीवन को हमेशा बेहतर बनाने का प्रयास करता रहता है। अभिमानी व्यक्ति दूसरों को बुरा भला कह देता है और जब दुसरे उसे बुरा भला कहते है तो चुपचाप सुन भी लेता है जबकि स्वाभिमानी न तो किस को बुरा भला कहता है और न ही अपना अपमान सहन करता है। स्वाभिमानी व्यकित हमेशा न्याय प्रिये होता है। अभिमानी व्यक्ति को लोग पीठ पीछे बुराई करते हैं जबकि स्वाभिमानी व्यक्ति की लोग पीठ पीछे तारीफ करते हैं।

यदि सुख और शांति से जीना है तो भूलकर भी यह चीज़ें न करें।

आत्म सम्मान कैसे प्राप्त करें ? How to Get Self Respect ?

हर व्यक्ति के पास आत्मसम्मान मौजूद होता है पर जरूरत होती है उसे पहचानने को इम्प्रूव करने की। यदि आप सोच रहे हैं कि अपने आत्म-सम्मान को कैसे सुधारें, तो यहां हमारे कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, आइये जानते हैं ;

खुद के लिए अच्छा बनो ! Be nice to yourself!

खुद के लिए अच्छा बनने का साफ़ मतलब है की वो काम मत करो जिसे करने की मंज़ूरी आपका मन नहीं देता। जब भी आप कोई गलत काम करने जा रहें हैं तो एक बारीक सी आवाज़ आपके मन से आती है जो आपको बताती है की आप गलत कर रहे हैं या नहीं। यह आवाज़ आपके विचारों से कहीं अधिक शक्तिशाली है। अपने प्रति दयालु होने का प्रयास करें और यदि आप भटकते हैं, तो किसी भी नकारात्मक विचार को चुनौती देने का प्रयास करें। हो सकते है शुरू शुरू में थोड़ा मुश्किल लगे पर अभ्यास परिपूर्ण बनाता है।

स्वयं से करें प्यार ! होंगे चमत्कार !

किसी से तुलना न करें ! Don’t Compare with Anyone !

दूसरों से खुद की तुलना ग्लानि महसूस करने जैसा है। जब आप किसी से तुलना करते हैं तो या तो आप खुद को उससे ऊपर समझते हैं जो अहंकार को जन्म देता है, या अपने को नीचा समझते हैं जो आपको शर्मिंदा महसूस कराता है। इसलिए जैसे आप हैं उसे स्वीकार करें। अपने स्वयं के लक्ष्यों और उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें, न कि उन्हें किसी और के विरुद्ध मापने का। अपने आप को किसी प्रकार का दबाब महसूस न कराएं।

ना कहना सीखें। Learn to Say No !

ऐसे बहुत से कारण हैं जिसमे आपको ‘ना’ (No) कहना ज़रूरी हैं। हालाँकि ‘हाँ’ (Yes) एक सकारात्मक शब्द लग सकता हैं पर लाइफ में यदि खुशियां चाहियें और सफलता चाहियें तो Say ‘NO’ For Happier and Successful Life. कभी कभी आपको ‘ना’ कहना सीखना चाहियें।

दूसरों को यह बताना कि क्या ठीक नहीं है, आपको एक बुरा व्यक्ति नहीं बनाता है; यह आपको एक मजबूत और सम्मानित व्यक्ति बनाता है। जब आप उन चीजों के लिए हां कहना बंद कर देते हैं जो आप नहीं करना चाहते हैं, तो आप उन गतिविधियों और लोगों से जुड़ने के लिए अधिक समय और ऊर्जा पैदा करते हैं जो आपको खुश करते हैं। ना कहने की आदत कैसे डालें, इसके बारे में यहां कुछ और सलाह दी गई है। कृपया क्लिक करें : यहां पढ़ें ! ‘ना’ कहना सीखें !

कोई भी पूर्ण नहीं होता ! No one is perfect !

हमेशा इस कोशिश में न रहें की आप सबसे बेहतर बनें बल्कि इस खुद से बेहतर बनने का प्रयास करते रहें अपनी बुराई को दूर करने और अपनी अच्छाई पर पूर्ण महसूस करें।

अपनी गलतियों को स्वीकार करें ! Accept your Mistakes !

जब आप अपनी गलती को स्वीकार करते हैं तो लोग आपका सम्मान करने लगते हैं। सीखने और बढ़ने के लिए आपको गलतियाँ करनी पड़ती हैं, अगर हम अपनी गलतियों को स्वीकार कर लें तो उन पर काम करेंगे जिससे वो भविष्य में फिर से नहीं होंगी। हमारे स्वभाव में नम्रता आएगी । आप केवल अपने ही नहीं बल्कि दूसरों की नजरों में भी सम्मानीय होंगे।

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