मुल्ला नसरुद्दीन के 5 मज़ेदार, रोचक और हास्य से भरपूर दिलचस्प किस्से | Mullah Nasruddin Stories In Hindi

Mullah Nasruddin Stories

मुल्ला नसरुद्दीन अपने दिलचस्प और मज़ेदार किस्सों के लिए जाने जाते हैं।  ऐसा माना जाता है मुल्ला नसरुद्दीन तुर्की में रहने वाला एक बुद्धिमान दार्शनिक था। ओशो अपने उपदेशों में लगातार मुल्ला नसरुद्दीन के किस्सों को बताते रहते हैं। मुल्ला नसरुद्दीन की मज़ेदार, रोचक और हास्य से भरपूर कहानियां Mullah Nasruddin Stories In Hindi दी जा रही हैं जो आपको जरूर पसंद आयेंगीं।

Contents

5 Interesting Mullah Nasruddin Stories In Hindi

तो आइये जानते हैं मुल्ला नसरुद्दीन के दिलचस्प किस्से, हास्य व्यंग और कहानियां – Mullah Nasruddin Stories

यह जांच-पड़ताल है या आमंत्रण 

एक बार मुल्ला नसरुद्दीन चुनाव में खड़े हो गए। वोट मांगने वो घर घर पहुंचें। उस गांव में एक पादरी रहते थे। मुल्ला नसरुद्दीन उस पादरी के पास भी वोट मांगने पहुंचें। मुल्ला नसरुद्दीन के मुँह से शराब की बदबू आ रही थी। पादरी भला आदमी था। उसने सोचा सीधे सीधे कहना अशिष्टता होगी। तो उसने मुल्ला नसरुद्दीन से कहा, “मुझे आपसे एक बात पूछनी है ? यदि आपने संतोषजनक उत्तर दिया तो एक  मेरा वोट, मेरा मत आपके लिए होगा।

मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा पूछिए ! पादरी बोले ! मुझे बस एक बात पूछनी है, क्या तुम कभी शराब पीते हो ? हालाँकि पूछने का इसमें कुछ भी नहीं था, क्योंकि शराब तो मुल्ला नसरुद्दीन पिए हुए थे।  मुल्ला नसरुद्दीन चौंके और बोले, इससे पहले कि मैं जबाब दूँ।  एक सबाल मुझे भी पूछना है , यह जांच पड़ताल है या आमंत्रण ?

मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियाँ

मुल्ला नसरुद्दीन को दावत का न्योता 

एक बार मुल्ला नसरुद्दीन को शहर के एक बड़े व्यापारी ने दावत का न्योता दिया। उस व्यापारी। ने संदेश में लिखा कि वो इस दावत के ख़ास मेहमान होंगे। मुल्ला नसरुद्दीन खाने पीने का बहुत शौकीन है सो उन्होंने तुरन्त दावत का न्यौता स्वीकार कर लिया और रोज़ पहनने वाले कपड़ों में उस व्यापारी की दावत में शामिल होने के लिए उसकी हवेली में पहुंच गए।  उन्होंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि कपडे गंदे ही हैं।

हवेली में पहरा दे रहे दरवारी ने उन्हें बाहर ही रोक दिया। उन्होंने दरवारी को बताया की वो मुल्ला नसरुद्दीन हैं और उनको इस हवेली के मालिक ने दावत के लिए आमंत्रिक किया हैं, पर दरवारी उनकी उनकी भेषभूषा देखकर हॅसने लगे। एक दरवारी उन्हें देखते हुए बोला, “वो दिखाई दे रहा है ! यदि आप मुल्ला नसरुद्दीन है तो मैं भी खलीफा हूँ। यह सुन सब हंसने लगे। यह देख मुल्ला नसरुद्दीन वहाँ से चले गए।

रास्ते में मुल्ला नसरुद्दीन को उनका एक दोस्त मिला। मुल्ला नसरुद्दीन ने पूरी आपबीती अपने दोस्त को बताई। बातों बातों में मुल्ला नसरुद्दीन को याद आया कि उनकी एक कढ़ाईदार शेरवानी उस मित्र के पास है। मित्र ने कहा की आपकी शेरवानी अभी भी अलमारी में टंगी है। फिर क्या था मुल्ला नसरुद्दीन उस कीमती शेरवानी को पहनकर दुबारा से उस दावत में शामिल होने के लिए पहुंच गए।

इस बार दरवारियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। अंदर ही आव भगत हुई। खाने में सबसे पहले उन्हें शोरबा परोसा गया। मुल्ला नसरुद्दीन ने शोरबा उठाया और अपने कढ़ाईदार शेरवानी पर उड़ेल लिया। यह देख सभी लोग चकिय हो गए। पूछने लगे ! आपको क्या हुआ, आपकी तबियत ठीक है ? तब मुल्ला नसरुद्दीन ने अपनी शेरवानी से कहा, “बताओ तुम्हें शोरबा कैसा लगा ? उम्मीद है अच्छा लगा होगा ! अब समझ गया कि दरवार में मुझे नहीं तुम्हें बुलाया गया था।

Mullah Nasruddin Stories In Hindi 

चिट्ठी कौन पढ़ेगा 

मुल्ला नसरुद्दीन के गांव में वह अकेला ही पढ़ा लिखा व्यक्ति था। जब भी गांव में किसी को चिठ्ठी लिखवानी होती थीं तो वो मुल्ला नसरुद्दीन में पास ही आते थे। एक दिन बहुत बूढ़ी औरत चिठ्ठी लिखवाने मुल्ला नसरुद्दीन के पास आई। मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा की अभी नहीं लिख सकता पर वो बूढी औरत जिद्द पर अड़ गई। मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, “अभी नहीं लिख सकता अभी मेरे पैरों में बहुत दर्द है।” बुढ़िया बोली, “हद हो गई ! चिठ्ठी लिखवाने में पैरों के दर्द का क्या सम्बन्ध है।” मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, ” तू नहीं मानती तो मैं बता देता हूँ, मैं चिठ्ठी लिख तो दू पर दूसरे गांव में पढ़ने कौन जायेगा। ” वह तो मुझे ही जाना पड़ेगा ! मेरी लिखी चिठ्ठी मैं ही पढ़ सकता हूँ।  मेरे पैरों में दर्द है अभी मैं लिखने वाला नहीं।”

Mulla Nasruddin ke Kisse

मुल्ला नसरुद्दीन का भाषण 

एक बार शहर के एक सामाजिक कार्यक्रम में  मुल्ला नसरुद्दीन को भाषण देने के लिए आमंत्रित क्या गया। मुल्ला नसरुद्दीन भाषण देने के लिए मंच पर चढ़े तो उन्होंने देखा की लोगों में कोई उत्साह नहीं है। लोग भाषण सुनने में मूड में नहीं लग रहे।

मुल्ला नसरुद्दीन ने लोगों से पूछा, ” क्या आप जानते हैं की मैं आपको किस विषय पर बताने जा रहा हूँ।” सभी श्रोताओं ने कहा नहीं।

मुल्ला नसरुदन चिढ़ते हुए बोले, “मैं उन लोगों को कुछ नहीं सुनाना चाहता जो यह तक नहीं जानते की मैं किस विषय पर बोलना चाहता हूँ।” यह कहकर वो वहां से चले गए।

भीड़ में मौजूद लोग यह देखकर शर्मिंदा हुए और अगले हफ्ते फिर उन्हें भाषण देने के लिए आमंत्रित किया। मुल्ला नसरुद्दीन फिर मंच पर आये और वही सवाल किया, “क्या आप जानते हैं मैं किस विषय पर बोलना चाहता हूँ।” लोग इस बार गलती नहीं करना चाहते थे, तो सबने एक स्वर में कहा, “हाँ”

मुल्ला फिर चिढ़ गए और बोले, “जब आप सब जानते ही हैं तो मैं इस विषय पर आप सबका और अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता।” ये कह वो वहां से चले गए।

लोगों ने तीसरी बार फिर मुल्ला नसरुद्दीन को भाषण के लिए बुलाया। मुल्ला नसरुद्दीन मंच पर चढ़े और फिर वही सवाल दिया, “क्या आप जानते हैं मैं किस विषय पर बोलने वाला हूँ।

भीड़ में मौजूद लोग पहले ही तय कर  चुके थे की वह क्या जबाब देंगे इसलिए आधे लोगों ने ‘हाँ’ कहा और आधे लोगों ने ‘न’

मुल्ला नसरुदीन सबके जबाब को सुनकर बोले, “ऐसा हैं तो जो लोग जानते हैं वह बाकी आधे लोगों को बता दें जो नहीं जानते की मैं किस विषय पर बात करने वाला हूँ। यह कहकर वो वहां से चले गए।

मुल्ला नसरुद्दीन की सुई खो गई  

एक बार मुल्ला नसरुद्दीन मोमबत्ती जलाकर कुछ खोज रहे थे। कुछ लोग यह देख  उनके पास आये और पूछा, “भाई नसरुदीन क्या ढूढ़ रहे हो।” नसरुद्दीन बोले, “मेरी सुई खो गई है उसे ही ढूढ़ रहा हूँ।” वो लोग भी उसका साथ देने लगे और सुई ढूंढने लगे। थोड़ी देर बाद उसमें से एक ने पूछा कि रास्ता बहुत बड़ा है आपकी सुई कहाँ खोई है और सुई  छोटी चीज है। नसरुद्दीन ने कहा, “वह पूछो ही मत ! यह घाव तुम मत छुओ। वे सब चौंक गए उन्होंने कहा, “इससे तुम्हारा क्या अर्थ है ? नसरुद्दीन ने कहा, “सुई तो घर के भीतर ही खोई है लेकिन वहां प्रकाश नहीं है अंधेरा है भयंकर अंधेरा है और वहां जाने से भी डरता हूं मैं। रातों को में बाहर ही गुजारता हूं दिन में कभी-कभी चला जाता हूं रात को भीतर कभी नहीं जाता अब रात हो गई है तो मैं बाहर खोज रहा हूं।

लोगों ने कहा तू पागल है नसरुद्दीन जो चीज़ बाहर खोई ही नहीं है वह बाहर कैसे मिल जाएगी। नसरुद्दीन खिल खिलाकर हंसा और कहने लगा, “सभी यही कह रहे हैं जो चीज भीतर खोई  है वह बाहर खोज रहे हो।  और उनमे से कोई पागल नहीं बस मैं ही पागल हूँ। अगर तुम्हारी सारी खोज का निचोड़ निकाला जाए तो तुम आनंद खोज रहे हो।  कोई धन खोज रहा है लेकिन उससे भी आनंद खोज रहा है। कोई प्रेम खोज रहा होगा लेकिन उसके आनंद खोज रहा है। कोई यश कीर्ति खोज रहा होगा लेकिन उससे आनंद खोज रहा है। तुम्हारे खोज के नाम कितने ही अलग अलग हों, भीतर छुपा हुआ एक ही सूत्र है, वह है “आनंद”

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