Makar Sankranti 2023 ~ जानें, क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति ? मकर संक्रांति का क्या महत्व !

Makar Sankranti

Makar Sankranti 2023 : हेल्लो दोस्तों, आपको मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं – मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है, मकर संक्रांति का क्या महत्व है और इसे कैसे मनाया जाता है। मकर संक्रांति मनाने के कुछ वैज्ञानिक महत्व हैं जो आप इस पोस्ट में जानेंगे।

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Makar Sankranti 2023

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है, मकर संक्रांति का क्या महत्व है और कैसे मनाई जाती है।  मकर संक्रांति मनाने के कुछ वैज्ञानिक महत्व भी हैं जो आप इस पोस्ट में जानेगें।

मकर संक्रांति क्या है ? What is Makar Sankranti ?

मकर संक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है।  यह हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है।  मकर संक्रांति भारत में ही नहीं बल्कि कुछ अन्य देशों में भी बड़ी धूमधाम से  मनाया जाता है।  हालाँकि मकर संक्रांति सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भाँति-भाँति के रीति-रिवाजों से मनाया जाता है।

मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं ? Why celebrate Makar Sankranti ?

मकर संक्रांति मनाने  का कारण यह है कि इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।  यानि  सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही मकर संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है।  एक जगह से दूसरी जगह जाने अथवा एक-दूसरे का मिलना ही संक्रांति होती है। हालांकि कुल 12 सूर्य संक्रांति हैं, लेकिन इनमें से मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति प्रमुख हैं।  इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है।

मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं ? How to celebrate ?

पूरे भारत में मकर संक्रान्ति को विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। विभिन्न प्रान्तों में इस त्योहार को मनाने के जितने अधिक रूप प्रचलित हैं उतने किसी अन्य पर्व में नहीं। उत्तर प्रदेश में से खिचड़ी तो उत्तराखंड में घुघुतिया या काले कौवा कहते हैं। असम में इस बिहू के नाम से जाना जाता है तो दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति को शुभ मुहूर्त में स्नान और दान पूर्ण करने का विशेष महत्व है।  इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।  कई जगहों पर इस पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी का दान भी किया जाता है। इस दिन तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है।  इस दिन अधिकतर लोग गंगा स्नान भी करते हैं, क्योंकि यह बहुत शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति विशेष रूप से दान करने का त्यौहार है। मकर संक्रांति पर लोग पतंग उड़ाते हैं, जो बहुत ही मजेदार है खासकर बच्चों के लिए। गुजरात में तो पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी होती है।

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व क्या है ? What is the religious importance of Makar Sankranti

शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति से सूर्य देवता उत्तरायण होते हैं।  उत्तरायण देवताओं का अयन है। एक वर्ष दो अयन के बराबर होता है और एक अयन देवता का एक दिन होता है।  360 अयन देवता का एक वर्ष बन जाता है। सूर्य की स्थिति के अनुसार वर्ष के आधे भाग को अयन कहते हैं। अयन दो होते है, ‘उत्तरायण और दक्षिणायन !’  सूर्य के उत्तर दिशा में अयन अर्थात् गमन को उत्तरायण कहा जाता है। इस द‍िन से खरमास समाप्‍त हो जाते हैं । खरमास में मांगल‍िक कार्यकर्म नहीं किये जाते हैं, लेकिन मकर संक्रांति के साथ ही शुभ कार्य करना जैसे शादी ब्‍याह, मुंडन, जनेऊ और नामकरण आदि  शुरू हो जाते हैं।

मान्‍यताओं की मानें तो उत्तरायण में मृत्यु होने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना रहती है।  धार्मिक महत्व के साथ ही इस पर्व को लोग प्रकृति से जोड़कर भी देखते हैं जहां रोशनी और ऊर्जा देने वाले भगवान सूर्य देव की पूजा होती है।  इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।

मकर संक्रांति मनाने के कुछ वैज्ञानिक महत्व Some scientific significance

जिस तरह से शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति मनाने का महत्त्व है इसी प्रकार मकर संक्रांति मनाने के कुछ वैज्ञानिक महत्व भी हैं, जैसे – मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। और नदियों में स्नान करने से कई तरह के रोग दूर हो सकते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस समय सर्दी का दिन होता है और मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का सेवन किया जाता है जो शरीर को गर्मी प्रदान करता है जिससे शरीर में ऊर्जा बढ़ती है। इस दिन खिचड़ी का सेवन भी किया जाता है। खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है। अदरक और मटर मिलाकर खिचड़ी बनाने पर यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।

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