तीन लघु शिक्षाप्रद प्रेरक प्रसंग | Sarvottam Shikshaaprad Laghu Prerak Prasang

Prerak Prasang

Sarvottam Shikshaaprad Laghu Prerak Prasang – Hello  दोस्तों, आज में ऐसे तीन  प्रेरक प्रसंग / कहानियाँ शेयर करने जा रहा हूँ जो आपको Motivate तो करेंगी ही साथ साथ ऐसी Education देंगी जो कही न कही आपकी सोच को बदल देंगीं। ये तीन प्रेरक प्रसंग  Sarvottam Shikshaaprad Laghu Prerak Prasang आपके Positive रहने में आपके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनेंगी. तो आइये जानते हैं ऐसे तीन प्रेरक प्रसंगों को –

Contents

जो होता है अच्छे के लिए होता है !

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Prerak Prasang 1

किसी नगर में एक राजा राज्य करता था। एक शोक जो प्राय राजाओ को होता है, और वो है शिकार खेलने का। एक दिन राजा ने अपने मंत्री से कहा क्यों न शिकार खेलने  जंगल में जाया जाए।  राजा और मंत्री दोनों शिकार खेलने जंगल में गए। उन्हने एक हिरन दिखाई दिया।  राजा ने उस पर प्रहार करने के लिए तीर निकला पर उस पर प्रहार करते समय अपने ही शस्त्र  से उसकी अपने अंगुली कट गई।  मंत्री ने यह देख कर कहा ‘ईश्वर जो कुछ करता है अच्छा ही करता है।

मंत्री के मुख से यह सुनकर राजा को बहुत बुरा लगा वह सोचने लगे मेरी तो उंगली कट गई और यह कहता है कि ईश्वर जो करता है वह अच्छा ही करता है।  यह मेरा ही खाता है और मेरी ही हानी  चाहता है।  इस प्रकार विचार करके उसने अपने मंत्री को अपने यहां से निकल जाने को कहा।  चलते समय मंत्री ने फिर कहा ‘ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है।

कुछ दिन बाद राजा पुनः शिकार खेलने गया एक हिरण का पीछा करते-करते एक जंगल में जा पहुंचा। हाथी घोड़े नौकर चाकर सब पीछे रह गए।  जंगल में एक कबीला पूजन कर रहा था।  उन्हें देवी के लिए नर बनी तेरी थी।  तभी अचानक उनकी दृष्टि राजा पर पड़ी।  बलि के लिए उन्होंने राजा को पकड़ लिया।  राजा को बलि के लिए खड़ा किया गया तो किसी की निगाह अचानक राजा के कटी हुई ऊँगली पर पडी।  राजा की अंग भंग होने के कारण उन लोगों ने राजा को छोड़ दिया।

फिर भटकता हुआ राजा अपने राज्य में वापस पहुंच गया।  उसने सोचा इसी कटी हुई अंगुली ने आज मेरे प्राण बचाए हैं।  उसे मंत्री की बात का अर्थ समझ में आ गया और उस मंत्री को पुनः मंत्री पद पर रख लिया। राजा ने मंत्री से पूछा, मेरी ऊँगली कटी थी अब तो समझ में आ गया कि क्या अच्छा हुआ, क्योंकि कटी अंगुली के कारण मेरे कारण बच सकें।  पर जब मैंने तुमको नौकरी से निकाला था तब भी तुमने यही कहा था कि ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है उसका क्या अर्थ है।

मंत्री ने उत्तर में कहा ‘महाराज यदि आपने मुझे निकाल न दिया होता तो मैं भी उस दिन शिकार के समय आपके साथ होता और मेरे अंग भंग होने के कारण मैं पूरी तरह योग्य समझा जाता और उस कबीले के लोग अपनी कुलदेवी को प्रसन्न करने के लिए मेरी बलिअवश्य चढ़ा देते। राजा की समझ आ गया की जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।

प्रेरक प्रसंग से सीख ; Learning From Prerak Prasang

दोस्तों, हर बुराई में कोई न कोई अच्छाई छुपी होती है। इस प्रकार इस प्रेरक प्रसंग का सार बस तो यही है कि जो भी समस्या हमारे सामने आती हैं उस समय हम यही सोचते हैं की ऐसा क्यों हुआ, ऐसा मेरे साथ क्यों होता है।  परंतु हर चीज जो भी हमारे सामने आती है वो कोई न कोई संदेश, शुभ संदेश, कल्याणकारी संदेश लाकर जरूर आती है। जी समय समस्या आती है उस समय लगता है की सब कुछ गलत हो रहा है परंतु कुछ समय के बाद हमें समझ में आ जाता है कि हां यह चीज इस दृष्टिकोण से मेरे लिए अत्यंत लाभदायक भी है। इसी लिए किसी भी समस्या के बीच सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है।


दूसरों को सही गलत साबित करने में जल्दबाजी ना करें ! 

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Prerak Prasang 2

एक ट्रैन में पिता पुत्र सफर कर रहे थे।  24 वर्षीय पुत्र खिड़की से देख रहा था। अचानक वो चिल्लाया देखो पापा पेड़ पीछे की ओर भाग रहे हैं। पिता कुछ बोला नहीं बस सुनकर मुस्कुरा दिया। बगल में एक युवा दंपति को उस लड़के का व्यवहार बड़ा अजीब लगा और साथ ही उस लड़के के बचकाने व्यवहार पर उन्हें दया भी आई। लड़का फिर पिता से बोला, देखो पापा देखो बादल हमारे साथ दौड़ रहे हैं। उस युवा दम्पति को यह देखा नहीं गया और वे उसके पिता से बोल पड़े, आप अपने लड़के को किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते।

पिता मुस्कुराया और बोला दिखाया था और हम अभी सीधे हॉस्पिटल से ही आ रहे हैं। लड़का जन्म से अंधा था और आज वह यह दुनिया पहली बार देख रहा है। आपको आश्चर्य लगा कि यह 24 साल का लड़का बच्चों जैसी हरकत क्यों कर रहा है। इसकी  अभी तक आंख नहीं थी।  आज यह आंख के ऑपरेशन के बाद देखने की स्थिति में आया तो इसे यह सबकुछ नया नया लग रहा है। यह सुन युवा दम्पति को शर्म आई और अपनी गलती महसूस करने लगे।

प्रेरक प्रसंग से सीख ; Learning From Prerak Prasang

दोस्तों, अक्सर हम किसी को देख कर ही निर्णय लेने लग जाते हैं। हम समझे बिना ही दूसरों की गलती को साबित करने में लग जाते हैं।  किसी भीबात को गहराई से समझने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया देना असल में बहुत ही फायदेमंद होता है। बिना सोचे समझे किसी के बारे में अपने अभिव्यक्ति को प्रकट करने से कभी-कभी हमको ऐसा भी महसूस हो सकता है कि जैसा उस युवा दंपति को उस लड़की के बारे में बोलने के बाद अनुभव हुआ।


साहसी पिजारो का अनोखा तर्क !

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Prerak Prasang 3

यह घटना सन् 1492 की है, जब कोलम्बस अपनी महान यात्रा पर निकलने वाला था। चारों तरफ नाविकों में हर्षोल्लास का वातावरण था, परन्तु गांव का ही एक युवक फ्रोज बहुत ही डरा हुआ था और वह नहीं चाहता था कि कोलम्बस और उनके साथी इस खतरनाक और दुस्साहसी यात्रा पर मिशन पर जायें ? इसलिए वह नाविकों के मन में समुद्री यात्रा के प्रति डर उत्पन्न कर देना चाहता था।

एक बार फ्रोज की मुलाकात पिजारो नाम के साहसी युवा नाविक से हुई। फ्रोज ने उससे मिलते ही सोचा कि यह एक अच्छा मौका है पिजारो को मिलते ही सोचा कि यह एक अच्छा मौका है पिजारो को डराया जाए और उसने इसी नियत से पिजारो से पूछा तुम्हारे पिता की मृत्यु कहां हुई थी ?

दुखी स्वर में पिजारो ने कहा-समुद्री तूफान में डूबने के कारण और तुम्हारे दादाजी की ? वे भी समुद्र में डूबने से मरे। और तुम्हारे परदादाजी, वे कैसे मरे हैं? उनकी मौत भी समुद्र में डूबने से हुई थीं।

अफसोस जाहिर करते हुए पिजारो ने जवाब दिया। इस पर हंसकर ताना मारते हुए फ्रोज ने कहा-हद है दिया। जब तुम्हारे सारे पूर्वज समुद्र में डूबकर मरे, तो तुम क्यों
मरना चाहते हो ? मुझे तो तुम्हारी बुद्धि पर तरस आता है। कि इतना कुछ होने के बावजूद तुम नहीं सुधरे ?

पिजारो को फ्रोज की गलत मंशा को भांपते देर न लगी। उसने तुरन्त सम्भलते हुए फ्रोज से पूजा- अब तुम बताओ कि तुम्हारे पिताजी कहां मरे ? बहुत आराम से, अपने बिस्तर पर। मुस्कुराते हुए फ्रोज ने कहा। और तुम्हारे दादा जी ? वे भी अपने पलंग पर मरे। और तुम्हारे परदादा जी ? प्रायः उसी तरह अपनी खाट पर। गर्व से भरकर फ्रोज ने उत्तर दिया।

अब तंश कसते हुए पिजारो ने कहा अच्छा, जब तुम्हारे समस्त पूर्वज बिस्तर पर ही मरे, तो फिर तुम अपने बिस्तर पर जाने की मूर्खता क्यों करते हो? क्या तुम्हें डर नहीं लगता ? इतना सुनते ही फ्रोज का खिला हुआ चेहरा उतर गया। पिजारो ने उसे समझाया -मेरे मित्र, इस दुनिया में कायरों के लिए कोई स्थान नहीं है। साहस के साथ प्रतिकूल स्थितियों में जीना जिंदगी कहलाती है। फ्रोज अब तक अपनी गलती समझ चुका था, अतः वह अपना सा मुँह लेकर वापस लौट गया। किसी ने ठीक ही कहा है-लक्ष्मण रेखा के दास तटों तक ही जाकर फिर जाते हैं, वर्जित समुद्र में नाव के लिए स्वाधीन वीर हो जाते हैं।

प्रेरक प्रसंग से सीख ; Learning From Prerak Prasang

दोस्तों, कितनी बड़ी समस्या क्यों न हो जब तक हम डट कर उसका सामान नहीं करते तब तक हम कोई भी उपलब्धि हांसिल नहीं कर सकते। आप जितना आगे बढ़ेंगे आपका समस्याओं से सामना उतना ही होगा। समस्याओं का सामना करे से वो छोटी हो जाती हैं और डर जाने से बड़ी हो जाती हैं।

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