मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ मशहूर शायरी ~ Mirza Ghalib Ki Shayari In Hindi

Ghalib Ki Shayari

उर्दू के मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब जिनकी शायरी  ‘Mirza Ghalib Ki Shayari In Hindi’ का हर कोई दीवाना है। आज कुछ शायराना मूड हुआ तो सोचा क्यों न आपके साथ मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ पंक्तियों को गुनगुनाया जाये।

मिर्ज़ा ग़ालिब की दिल छू लेने वाली कुछ मशहूर शायरी
Mirza Ghalib Ki Shyari In Hindi

 

  • हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे,
    कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़-ए-बयाँ और।

 

  • हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
    तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है।

 

  • जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ ग़ालिब
    ज़ख्म का एहसास तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथ में।

 

  • रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल,
    जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।

 

  • इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
    लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।

 

  • हुस्न ग़मज़े की कशाकश से छूटा मेरे बाद,
    बारे आराम से हैं एहले-जफ़ा मेरे बाद।

 

  • वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं,
    कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं।

 

  • हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ,
    जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा।

 

  • हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद,
    जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।

 

  • चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ , चंद हसीनों के खतूत,
    बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला।

 

  • उनके देखने से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक,
    वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।

 

  • हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
    दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।

 

  • इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया,
    वर्ना हम भी आदमी थे काम के।

 

  • ज़िन्दगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते,
    कफ़न भी लेते है तो अपनी ज़िन्दगी देकर।

 

  • दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई,
    दोनों को एक अदा में रजामंद कर गई,
    मारा ज़माने ने ‘ग़ालिब’ तुम को,
    वो वलवले कहाँ , वो जवानी किधर गई।

 

  • इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब,
    कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।

 

  • हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले,
    बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।

 

  • सादगी पर उस के मर जाने की हसरत दिल में है,
    बस नहीं चलता की फिर खंजर काफ-ऐ-क़ातिल में है,
    देखना तक़रीर के लज़्ज़त की जो उसने कहा,
    मैंने यह जाना की गोया यह भी मेरे दिल में है।

 

  • दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है,
    आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।

 

  • किसी की क्या मजाल थी जो कोई हमें खरीद सकता,
    हम तो खुद ही बिक गये खरीददार देखके।

 

  • खैरात में मिली ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती ग़ालिब,
    मैं अपने दुखों में रहता हु नवावो की तरह।

मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Mirza Ghalib Ki Shayari

  • फिर उसी बेवफा पे मरते हैं,
    फिर वही ज़िन्दगी हमारी है,
    बेखुदी बेसबब नहीं ‘ग़ालिब’
    कुछ तो है जिस की पर्दादारी है।

 

  • चाँदनी रात के खामोश सितारों की कसम,
    दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं।

 

  • हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब,
    न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।

 

  • हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है,
    वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।

 

  • उस पे आती है मोहब्बत ऐसे,
    झूठ पे जैसे यकीन आता है।

 

  • वादे पे वो ऐतबार नहीं करते,
    हम जिक्र मौहब्बत सरे बाजार नहीं करते,
    डरता है दिल उनकी रुसवाई से,
    और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते।

 

  • दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए,
    दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।

 

  • हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ ग़ालिब,
    नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते।

 

  • बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब,
    जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है।

 

  • दुख देकर सवाल करते हो , तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो,
    देख कर पूछ लिया हाल मेरा , चलो कुछ तो ख्याल करते हो।

 

  • शहर – ए – दिल मै ये उदासियां कैसी,
    ये भी मुझसे सवाल करते हो।

 

  • मरना चाहे तो मर नहीं सकते ,
    तुम भी जीना मुहाल करते हो।

 

  • उनके देखने से जो आ जाती है मुंह पर रौनक,
    वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।

 

  • इश्क पर ज़ोर नहीं है,ये वो आतिश है गालिब,
    कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।

 

  • बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ‘ग़ालिब’,
    तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते हैं।

 

  • मेरे बारे में कोई राय मत बनाना ग़ालिब,
    मेरा वक्त भी बदलेगा तेरी राय भी।

 

  • अब किस किस सितम की मिसाल दू मै तुमको,
    तुम तो हर सितम बेमिसाल करते हो ।

 

  • दिल-इ-नादान तुझे हुआ क्या है;
    आखिर इस दर्द की दवा क्या है;
    हम हैं मुश्ताक और वो बेज़ार;
    या इलाही यह माजरा क्या है।

 

  • कितना खौफ होता है शाम के अंधेरों में,
    पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते।

 

  • तोहमतें तो लगती रही रोज नयी नयी हम पर,
    मगर जो सबसे हसीं इलज़ाम था वह तेरा नाम था।

 

  • इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
    दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।

Read Also ;

गुलज़ार साहब की कुछ मशहूर शायरी हिंदी में

प्रेरणादायक हिन्दी शायरी !! Motivational Shayari | Inspirational Shayari

हैप्पी होली ! होली संदेश-स्टेटस-शायरी हिंदी में | Holi Messages Status Shayari In Hindi

मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ मशहूर शायरी ~ Mirza Ghalib Ki Shayari In Hindi″ आपको कैसे लगे कृपया कमेंट कर अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। शेयर करें, जुड़े रहने की लिए Subscribe करें . धन्यवाद

यदि आप इस ब्लॉग पर हिंदी में अपना कोई आर्टिकल कोई कहानी, जीवनी, या जो भी जानकारी देना चाहते है तो कृपया अपनी एक फोटो के साथ E-mail करें. Id है – ‘[email protected]’ पसंद आने पर आपके नाम और आपकी फोटो के साथ प्रकाशित की जाएगी। धन्यवाद

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *