कैलाश पर्वत से जुड़ी रोचक जानकारियां | Amazing Kailash Parvat Facts Hindi

Kailash Parvat Facts Hindi

कैलाश पर्वत (Mount Kailash)  तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। कैलाश पर्वत को दुनिया के सबसे रहस्यमयी पर्वतों में से एक माना जाता है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव शंकर का निवास और ध्यान स्थान माना जाता है। आज इस पोस्ट में हम आपको कैलाश पर्वत से जुडी कुछ महत्वपूर्ण रोचक जानकारियां देने वाले हैं – Kailash Parvat Facts Hindi

Mount Kailash Amazing Facts

: Kailash Parvat Facts Hindi 

1 – कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है।

2 – कैलाश पर्वत के पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा राक्षसताल झील हैं। कैलाश पर्वत की चोटियों के बीच स्थित झील को “मानसरोवर झील” के नाम से जाना जाता है।

3 – माना जाता है की मानसरोवर झील में पवित्र डुबकी लगाने से पिछले 7 जन्मों के सभी पाप मिट जाते हैं।

4 – इसके आलावा यहां से कई महत्वपूर्ण नदियां जैसे – ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलुज और कर्णाली या घाघरा भी निकलतीं हैं।

5 – मानसरोवर झील जो दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित शुद्ध पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसका आकर सूर्य के सामान है. दूसरा झील, राक्षस झील है जो दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसका आकार चन्द्रमा के सामान है।

6 – कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है इसलिए हिंदू धर्म में इसका बहुत महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं।

7 – कैलाश पर्वत को “शिव पिरामिड” के नाम से भी जाना जाता है।

8 – कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6638 मीटर (21,778 फुट) है।

9 – उत्तर की ओर दूर तक कैलाश पर्वत के हिमाच्छादित धवल शिखर का रमणीय दृश्य दिखाई पड़ता है। दर्रा समाप्त होने पर तीर्थपुरी नामक स्थान है जहाँ गर्म पानी के झरने हैं। इन झरनों के आसपास चूनखड़ी के टीले हैं। माना जाता है कि यहीं भस्मासुर ने तप किया और यहीं वह भस्म भी हुआ था।

10 – इसके आगे डोलमाला और देवीखिंड ऊँचे स्थान है, उनकी ऊँचाई 5,630 मीटर (18,471 फुट) है। इसके निकट ही गौरीकुंड है। मार्ग में स्थान स्थान पर तिब्बती लामाओं के मठ हैं।

11 – दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है, जिसे अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया, जबकि इसकी ऊंचाई एवरेस्ट से लगभग 2210 मीटर कम है।

12 – कैलाश पर्वतमाला कश्मीर से लेकर भूटान तक फैली हुई है और ल्हा चू और झोंग चू के बीच कैलाश पर्वत है जिसके उत्तरी शिखर का नाम कैलाश है। इस शिखर की आकृति विराट् शिवलिंग की तरह है।

13 – मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक पर्वतारोही ने अपनी किताब में लिखा था कि उसने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन इस पर्वत पर रहना असंभव था, क्योंकि वहां शरीर के बाल और नाखून तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा कैलाश पर्वत बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव भी है।

14 – चूँकि, कैलाश पर्वत हिन्दू धर्म में काफी महत्त्व रखता है इसलिए इस पर कभी किसी के नहीं चढ़ पाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं।

15 – कुछ लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर भगवान् शिव निवास करते हैं, इसीलिए कोई जीवित इंसान वहां ऊपर नहीं पहुंच सकता। व्यक्ति मरने के बाद या वह जिसने कभी कोई पाप न किया हो, केवल वही कैलाश पर जा सकते है।

16 – जिन लोगों ने कैलाश पर्वत की चोटी पर पहुंचने की कोशिश की है, उनका कहना है की कभी-कभी अत्यधिक खराब जलवायु परिस्थितियों के कारण और कभी-कभी पहाड़ द्वारा अपने लक्ष्य स्थान को बदलने के कारण कोई भी अपने प्रयास में सफल नहीं हुआ है। यानि उन लोगों ने महसूस किया की कि कैलाश पर्वत की चोटी पर चढ़ने के दौरान वे अपने रास्ते से भटक जाते थे।

17 – पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान ऋषभदेव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया।

18 – जैन धर्म में भी इस स्थान का बहुत महत्व है। इसी पर्वत पर श्री भरत स्वामी ने रत्नों के 72 जिनालय बनवाये थे।

19 – हिन्दू पौराणिक कथाओं में इस बात का भी उल्लेख किया गया है, कि यदि आप कैलाश पर्वत की यात्रा करते हैं तो मानसरोवर झील में स्नान करने का सबसे उपयुक्त समय प्रातः 3 बजे से 5 बजे का है, जिसे ब्रह्ममुहूर्त के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय देवता भी स्नान करने के लिए इस झील पर आते है।

20 – माना जाता है कि कैलाश पर्वत के ठीक नीचे मृत्यलोक स्थित है, जिसकी बाहरी परिधि 52 किमी है।

21 – कैलाश पर्वत पर जब सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें पड़ती है तो विशाल स्वास्तिक की आकृति बन जाती है।

22 – कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है। वहां जाने वाले यात्रियों और वैज्ञानिकों ने अपने बाल और नाखूनों की तेजी से बढ़ते हुए देखा है जिससे जिसके आधार पर उनका अनुमान है कि कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है। हालांकि वैज्ञानिक अभी तक इसके पीछे के कारणों को ढूंढने में विफल रहे हैं।

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