साईं बाबा के 11 वचन करते दुखों का अंत ! : Sai Baba Ke 11 Vachan | Sai Updesh

Sai Baba 11 Vachan

यदि व्यक्ति को कोई भी दुःख, परेशानी या कोई मनोकामना हो तो साईं बाबा के 11 वचनों से Sai Baba Ke 11 Vachan (Sai Updesh) मिलने वाली सीख से हर व्यक्ति के जीवन से परेशानियां दूर हो जाती हैं और उसे मनचाहा वरदान मिलता है। साईं बाबा के दर्शन मात्र से हर व्यक्ति की पीड़ा समाप्त हो जाती है और इसका प्रमाण है शिरडी में प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में भक्तों की भीड़ जो  साईं बाबा के दर्शन हेतु आते हैं।

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साईं बाबा के 11 वचन करते दुखों का अंत !
Sai Baba Ke 11 Vachan – Sai Updesh

साईं में श्रद्धा और सबुरी जरूरी है यानि जब कोई भक्त साई बाबा पर विश्वास और भरोसा राखता है तो उसे जीवन में सुख, सफलता और भक्ति मिलती है। वेदों में भी कहा ‍गया है कि चित्त को सिर्फ एक जगह ही लगाना चाहिए तो सभी तरह के दुख-दर्द मिट जाते हैं।

साईं बाबा के 11 वचन Sai Baba Ke 11 Vachan / Sai Updesh

शिरडी के साईं बाबा ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए 11 वचन कहे हैं। आइयें जानते हैं साईं बाबा के मूल रूप से मराठी में कहे गए 11 वचनों का हिन्दी में अनुवाद और व्याख्या –

(11 priceless words of Sai Baba, which will remove all your sorrows ‘sai baba 11 vachan))

1 वचन – “जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगायेगा !”

(Whoever comes to Shirdi, will drive away disaster)

व्याख्या – जो भक्त शिर्डी आकर मेरे दर्शन प्राप्त कर लेगा उसे जीवन की सभी कठिनाइयों से छुटकारा मिल जायेगा। हर भक्त जो सच्चे मन से शिरडी जाता है और बाबा के दर्शन करता है उसे परेशानियों से छुटकारा मिलता है और मनोकामना पूर्ण होती है।

2 वचन – “बड़े समाधि की सीढी पर, पाव रखे दुःख की पीडी पर !”

(Climbed on the ladder of samadhi, on the generation of sorrow under the feet)

व्याख्या – व्याख्या – जिस भक्त ने समाधी (साई मंदिर) पर अपने पैर धर लिए (चला गया) तो हर विपदा उसके पैर के निचे रहेगी। यानि भक्त के सभी दुखों का अंत होगा।

3 – वचन – “त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा !”

(I will leave the body, I will come running for the devotee)

व्याख्या – साईं बाबा भक्तों के लिए हमेशा समर्पित रहते हैं। इस वचन में वे कहते है कि भले ही मेरा नश्वर शरीर इस दुनिया में नही रहे पर मैं देविक रूप में हर भक्त के साथ हूँ अर्थात अपने भक्त की मदद के लिए मैं दौड़ा-दौड़ा चला जाउंगा।

4 – वचन – “मन में रखना पूर्ण विश्वास, करे समाधि पूरी आस !”

(Keep strong faith in mind, do samadhi all the way)

व्याख्या – इस वचन में साई कहते हैं कि मुझपे पूर्ण विश्वास आपकी हर आश पूरी करेगा। यानि भक्तों को मन में पूरा विश्वास रखना चाहिए समाधि (मंदिर) पर आने पर उनकी हर मुराद पूरी होगी।

5 – वचन – “मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो !”

(Know me always alive, feel and know the truth)

व्याख्या – इस वचन में साई कहते हैं मुझे दिल से भक्त अनुभव कर सकते है मैं अमर ही हूँ। यानि अपने भक्तों के लिए साई हमेशा जीवित है।

6 – वचन – “मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए !”

(If my refuge should come empty, then someone should tell me)

व्याख्या – बाबा कहते हैं कि कोई भक्त मेरी शरण में आकर खाली हाथ नही जा सकता। अर्थात जो भी साई बाबा की शरण में आता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

7 – वचन – “जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप रहा मेरे मन का !”

(As was the spirit of the person, so did the form of my mind)

व्याख्या – मुझे जिस रूप में देखना चोहोगे मैं वेसा ही नजर आयूंगा। अर्थात साईं बाबा कहते हैं कि जिस इंसान का जैसा भाव होता है उसे मैं वैसा ही दिखता हूं।

8 – वचन – “भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा !”

(Your burden will be on me, neither my word will be false)

व्याख्या – तुम्हारा विश्वास मुझ पर है तो तुम्हारा विश्वास पूर्ण होगा। अर्थात साईं बाबा कहते हैं कि अगर भक्त श्रद्धा भक्ति से मेरे पास आएंगे तो उनकी मदद मैं जरूर करूंगा।

9 – वचन – “आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर। “

(Come, get plenty of help, what you asked for is not far)

व्याख्या – इस वचन में साई कहते हैं कि मैं अपने भक्तो की सहायता के लिए ही उनके साथ हूँ। अर्थात जो भक्त श्रद्धा भाव से उनसे मदद की उम्मीद करेगा वह उसकी मनचाही मुराद जरूर पूरी करेंगे।

10 – वचन – “मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया। “

(The words absorbed in me, the mind has never been repaid)

व्याख्या – जो भक्त मुझमे पूर्ण रूप से लीन हो गया यानि जिसने अपने आप को मेरे सुपुर्द कर दिया उस पर फिर कोई ऋण नही बकाया। अर्थात जो भक्त तन, मन, वचन से मुझ में लीन रहता है, उस भक्त के लिए मैं हमेशा ऋणी रहता हूं।

11 – वचन – “धन्य-धन्य वे भकत अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य। “

(Blessed-blessed is that devotee exclusive, take my refuge, who neither other)

व्याख्या – धन्य है साईं भक्त जो मुझे दिल से अपना सम्पूर्ण मानते है। अर्थात साईं बाबा कहते हैं कि मेरे वो भक्त धन्य हैं जो अनन्य भाव से उनकी भक्ति में लीन हैं।

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