भगवद गीता उद्धरण हिंदी में ~ भगवत गीता के सुविचार Bhagavad Gita Quotes in Hindi

Bhagavad Gita Quotes

All Time Famous Bhagavad Gita Quotes In Hindi भगवत गीता के श्लोकों से लिए ‘भगवत गीता का सार’ अनमोल विचार ~ श्री कृष्ण मुख से निकले ‘श्री भगवत गीता अनमोल विचार ! श्री कृष्ण मुख से निकले वचन जो भगवान ने अर्जुन के माध्यम से पूरे संसार को दिए।

श्रीमद्भगवद्गीता के सुविचार (अनमोल विचार) Bhagavad Gita Quotes in Hindi

भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से निकले Shrimad Bhagwad Geeta एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमे जीवन का पूरा सार है। प्राणी के जन्म से लेकर मृत्यु के बाद के चक्र को श्रीमद्भगवद्गीता में विस्तार से बताया गया है। श्रीमद्भगवद्गीता का यह सार संस्कृत श्लोकों में है, जिसे इस लेख में सरल भाषा में अनमोल विचारों के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

महाभारत युद्ध के प्रारम्भ में जब अर्जुन भावुक हो गए और परिजनों के मोह में युद्ध करने से इंकार करने लगे तो उनके सारथि बने सखा और गुरु श्री कृष्ण ने उन्हें सांसारिक माया – मोह से निकलकर मोक्ष की प्राप्ति का सूत्र बताया जिसका लाभ पूरे संसार को हुआ। अतः जो व्यक्ति “Shrimad Bhagwad Geeta” का अध्यन करता है उसके जीवन का उद्धार हो जाता है। भगवत गीता के सुविचार (अनमोल विचार) Bhagavad Gita Quotes in Hindi अपने जीवन में एक नया परिवर्तन लाएंगे। आइये जानते हैं –

1 to 15 Bhagavad Gita Quotes In Hindi 

(गीता का सार श्लोकों से लिए गए अनमोल विचार)

1- श्री कृष्ण ने अर्जुन को गुरु बनकर डांटते हुए कहाँ “तुम विद्वान की तरह बात करते हो, लेकिन जो विद्वान होता है वह वह जनता है की शरीर और आत्मा क्या होती है। इस शरीर का जन्म होता है और जिसका जन्म हुआ है उसका अंत होना निश्चित है, लेकिन आत्मा कभी नहीं मरती। अर्थात आत्मा अमर है।

2- शरीर बाल्यावस्था से तरुणावस्था और फिर वृद्धावस्था में निरंतर अग्रसर होता रहता है, और उसी प्रकार मृत्यु होने पर आत्मा दूसरे शरीर में चली जाती है।

3- जो व्यक्ति सुख तथा दुख में विचलित नहीं होता अर्थात सुख – दुःख में संभाव रखता है, वह निश्चित रूप से मुक्ति के योग्य होता है।

किसी और के जीवन की नकल को पूर्णता के साथ जीने की तुलना में अपने भाग्य को अपूर्ण रूप से जीना बेहतर है।

4- जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्र धारण करता है, इसी तरह आत्मा भी पुराने तथा व्यर्थ शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण करती है।

5- आत्मा न तो किसी शस्त्र द्वारा खण्ड – खण्ड किया जा सकता है, न अग्नि द्वारा जलाया जा सकता है, न ही आत्मा को जल गीला कर सकता है और न ही हवा द्वारा सुखाया जा सकता है। आत्मा सदैव शाश्वत, सर्वव्यापी, अविकारी, स्थिर तथा सदैव एक सा रहने वाली है।

6- आपको काम करने का अधिकार है, लेकिन काम के फल पर कभी नहीं। कर्म करो फल की चिंता मत करो। तुम न तो कभी अपने आप को अपने कर्मों के फलों का कारण मानों, और न ही कभी कर्म न करने में आसक्त हो जाओ। अर्थात हार जीत की परवाह किये बिना बस अपने कर्म को महत्त्व दो।

7- क्रोध से पूर्ण मोह उत्पन्न होता है और मोह से स्मरणशक्ति का विभ्रग हो जाता है। जब स्मरणशक्ति भ्रमित हो जाती है, तो बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि नष्ट होने पर मनुष्य भव – कूप में पुनः गिर जाता है।

8- अपने सभी कार्यों को भगवान पर केंद्रित मन के साथ करें, आसक्ति का त्याग करें और सफलता और असफलता को एक समान नजर से देखें। अध्यात्म का अर्थ है समभाव।

9- तुम गुरु के पास जाकर सत्य को जानने का प्रयास करो। उनसे जिज्ञासापूर्ण होकर विनती करो और उनकी सेवा करो। गुरु तुम्हें ज्ञान प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने सत्य का दर्शन किया है।

10- तुम्हारे हृदय में अज्ञानता के कारण जो संशय उठे हैं उन्हें ज्ञानरूपी शास्त्र से काट डालो।

11- जो भक्ति भाव से कर्म करता है, जो विशुद्ध आत्मा है और अपने मन तथा इन्द्रियों को वश में रखता है, वह सबों को प्रिय होता है और सभी लोग उसे प्रिय होते हैं। ऐसा व्यक्ति कर्म करता हुआ भी कभी नहीं बाँधता।

12- जिसने मन को जीत लिया है, उसके लिए मन सर्वश्रेष्ठ मित्र है, किन्तु जो ऐसा नहीं कर पाया उसके लिए मन सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा।

13- जो ज्यादा खाता है या बहुत कम खाता है, जो ज्यादा सोता है अथवा जो पर्याप्त नींद नहीं लेता, उसके योगी बनने की कोई सम्भावन नहीं है।

14- एक उपहार तब शुद्ध होता है जब वह दिल से सही व्यक्ति को सही समय पर और सही जगह पर दिया जाता है, और जब हम बदले में कुछ भी उमीद नहीं करते हैं।

15- कोई भी जो अच्छा काम करता है उसका कभी भी बुरा अंत नहीं होगा, चाहे यहाँ या आने वाले दुनिया में।

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16 to 30 Krishna ji Quotes In Hindi 

(गीता का सार श्लोकों से लिए गए अनमोल विचार)

16- वह सुख जो लंबे अभ्यास से आता है, जो दुख के अंत की ओर ले जाता है, जो पहले जहर के समान है, लेकिन अंत में अमृत के समान है – इस तरह का सुख अपने मन की शांति से उत्पन्न होता है।

17- मेशा दूसरों के कल्याण को ध्यान में रखकर अपना काम करें।

18- भगवान की शांति उनके साथ है जिनके मन और आत्मा में सामंजस्य है, जो इच्छा और क्रोध से मुक्त हैं, जो अपनी आत्मा को जानते हैं।

19- नरक के तीन मार्ग हैं ; काम, क्रोध और लोभ।

20- वह बुद्धि से जीते हैं, जो अपने आप को सब में और सब में अपने को देखते हैं।

21- इंद्रियां शरीर से ऊंची हैं, मन इंद्रियों से ऊंचा है; मन के ऊपर बुद्धि है और बुद्धि के ऊपर आत्मा है। इस प्रकार, जो सर्वोच्च है उसे जानकर, आत्मा को अहंकार पर शासन करने दें। स्वार्थी इच्छा वाले भयंकर शत्रु का वध करने के लिए अपनी शक्तिशाली भुजाओं का प्रयोग करें।

22- इस ब्रह्मांड में परिवर्तन निश्चित है, नियमित है। आप एक पल में करोड़पति या कंगाल हो सकते हैं।

23- भय और चिंता दो शत्रु हैं, जो हमारे कल्याण में बाधक हैं। हमें उन्हें अपने दिमाग से पूरी तरह से मिटाने का प्रयास करना चाहिए।

24- तुम खाली हाथ आए हो, और खाली हाथ चले जाओगे।

25- मनुष्य अपने विश्वास से बनता है। जैसा वह मानता है, वैसा ही वह है।

26- जो व्यक्ति संदेह करता है उसे कुछ हासिल नहीं होता। शंका करने वाला प्राणी कभी खुश नहीं रहता।

27- जब मन व्याकुल हो तब कोई भी निर्णय न लें। भरे हुए मन से लिया गया निर्णय कभी सही नहीं होता।

28- यदि आपका आपके मन पर नियंत्रण नहीं है तो आपका मन आपके दुश्मन के समान है।

29- मन बहुत चंचल होता है। इसे वश में रखना मुश्किल है पर असंभव नहीं। अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।

30- जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है, इसलिए जो हुआ है उसका शोक व्यर्थ है।

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31 to 48 Bhagavad Gita Quotes In Hindi 

(गीता का सार श्लोकों से लिए गए अनमोल विचार)

31- आप भविष्य को नहीं जानते इसलिए आपने वाले कल की चिंता में आज दुखी मत होना। आप केवल भविष्य का स्वागत कर सकते हैं और इसको सवारने के लिए आज कर्म कर सकते हैं।

32- आपके अधिकार में सिर्फ कर्म करना है, इसलिए कर्म करें फल की चिंता न करें।

33- जब कोई भी कर्म करने में आपको फल की चिंता नहीं रहती तो वो आपको जकड़ता नहीं है।

34- जो हो रहा है वो अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा होगा इसलिए व्यर्थ चिंता मत करो।

35- आज जो आपका है वो कल किसी और का होगा और परसों किसी और का, इसलिए व्यर्थ चिंता मत करो।

36- आत्मा अमर है, शरीर तो सिर्फ मिट्टी है, आत्मा न पैदा होती है न मरती है।

37- चाहें इस काल में या फिर आने वाले काल में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं हैं जिसने अच्छे कर्म किये हों और उसका अंत बुरा हुआ हो।

38- जब इंसान की जरूरत बदल जाती है तो उसके बात करने का तरीका भी बदल जाता है।

39- अहंकार सर्वनाश की और ले जाता है। समय सबसे बलवान है।

40- तुम इस धरती पर मेहमान हो, मालिक नहीं। इसलिए अहंकार छोड़ दो।

41- जिसे तुम अपना समझ कर मग्न हो रहे हो, बस यही भावना तुम्हारे दुखों का कारण है।

42- मैं सभी प्राणियों का समान रूप से देखता हूँ। न मुझे कोई कम प्रिय है न अधिक। लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मुझमे निहित हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ।

43- अपने आत्म ज्ञान की तलवार से अपने हृदय के अज्ञान सन्देश को काटकर फेंक दो। उठो ! अनुषासित रहो !

44- यदि आप धर्म करोगे तो आपको ईश्वर से मांगना पड़ेगा लेकिन यदि आप कर्म करोगे तो ईश्वर को आपको देना पड़ेगा।

45- जिस प्रकार सूर्य उगते ही अंधकार मिट जाता है, उसी प्रकार सही ज्ञान की प्राप्ति से अज्ञान का अंत हो जाता है और सभी वस्तुएं अपने वास्तविक रूप में दिखने लगती हैं।

46- जो व्यक्ति कर्म तो करता है परन्तु वह स्वार्थ प्रेरित होकर फल की चिंता करता है, ऐसा व्यक्ति दुखी और बैचेन रहता है। क्योंकि उसे सिर्फ इस बात की चिंता रहती हैं की फल क्या मिलेगा।

47- उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं हैं, न कभी था और न कभी होगा। जो वास्तविक है वो हमेशा रहेगा, उसे नष्ट नहीं क्या जा सकता।

48- लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे, सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु से भी बढ़कर है।

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