चीनी लोक-कथा ; आग के बीज – A Chini Lok Katha in Hindi

Chini Lok Katha

Chini Lok Katha – Lok Kathayen लोक कथाएँ/कहानियाँ की श्रृंखला में आज आपके साथ एक चीनी लोग-कथा ‘आग के बीज’ शेयर कर रहा हूँ। यह बहुत ही रोचक लोक कथा है। इस चीनी लोक-कथा के माध्यम से आग की खोज किस प्रकार हुई बताया गया है। आइये जानते हैं –

चीनी लोक-कथा ; आग के बीज
‘A Chini Lok Katha’

Aag Ke Beej : A Chini Lok Katha (Part 1)

आदि काल के मनुष्यों को अग्नि (आग) के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इस काल में कोई यह नहीं जानता था की आग क्या होती है। रौशनी न होने के कारण रात भी अंधेरी और डरावनी होती थी। तेज़ ठण्ड, डर और अँधेरे में वो सिमट कर सोते थे।

आग न होने के कारण जंगली जानवर मानव को खा जाते थे। मानव घास फूस और कच्चा मॉस ही खाते थे जिसके कारण वो ज्यादा बीमार रहते थे और जल्दी मर जाते थे। यानि उनकी आयु भी कम होती थी। उस समय के मानव का जीवन जानवरों से भी बत्तर था।

यह सब स्वर्ग लोक में बैठे फुशि नाम का देवता ने देखा तो उन्हें धरती पर रहने वाले इन मानवों के बारे में बहुत चिंता हुई। उन्होंने सोचा यदि मानव इसी तरह कच्चा भोजन करते रहे और जंगली जानवर मानवों का शिकार करते रहे तो इस पृथ्वी पर मानव जीवन समाप्त हो जायेगा। इसका हल खोजते खोजते उन्हें एक उपाय सूझा। उन्होंने सोचा क्यों न मानव को आग से परिचित करवाया जाए।

Aag Ke Beej : A Chini Lok Katha (Part 2)

देवता ने अपनी दिव्य शक्ति द्वारा आकाश से जंगल में बिजली गिरायी। एक तेज़ गर्जन के साथ जंगल के पेड़ों पर बिजली गिरी और कई पेड़ आग से जल उठे। देखते ही देखते आग की लपटें चारों और तेज़ी से फैल गईं। लोग बिजली की भंयकर गर्जन और धधकती हुई आग से भयभित हो कर दूर भाग गये।

कुछ समय के बाद तेज़ वर्षा शरू हुई और आग भी कुछ कम हुई। जब रात हुई तो वर्षा के पानी से ज़मीन बहुत नम और ठंडी हो गई। दूर भाग चुके लोग फिर इकट्ठे हुए, और डरते-डरते पेड़ों पर जल रही आग देखने लगे।

लोगो ने देखा की पहले जब रात होती थी तो जंगली जानवर हुंकार करते सुनाई देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हुआ। क्या जंगली जानवर पेड़ों पर जलती हुई इस सुनहरी चमकीली चीज़ से डरते हैं? लोगों ने अब इस बारे में सोचना शरू किया।

कुछ लोग हिम्मत करके आग के निकट पहुंचे तो उन्हें महसूस हुआ कि उसका शरीर गर्म हो गया है। आश्चर्यचकित होकर उन्होंने और लोगों को भी बुलाया, “आओ, देखो, यह जलती हुई चीज खतरनाक नहीं है, यह हमें रोशनी और गर्मी देती है।

लोगों ने जब अपने आस पास आग से जल कर मरे जानवरों को देखा तो उन्हें उनके मांस से बहुत महकदार सुगंध आई। जब चखा, तो स्वाद बहुत अच्छा लगा। सभी लोग आग के पास जमा हो गए और आग से जले जानवरों का मांस खाने लगे। उन्होंने इससे पहले कभी पके हुए मांस का स्वाद नहीं लिया था।

Aag Ke Beej : A Chini Lok Katha (Part 3)

सभी लोग समझ गए कि यह चमकती हुई चीज़ बहुत उपयोगी है। इसलिए वो पेड़ों की टहनियाँ और शाखाएं एकत्रित करके जलाने लगे और आग को सुरक्षित कर रखने लगे। अब तो रोज वो लोग बारी बारी से आग के पास रहते हुए उसे बुझने से बचाने में लग गए।

एक रात आग की रक्षा करने वाले व्यक्ति को नींद आ गई और वह सो गया। इस दौरान आग लगी लकड़िया पूरी तरह से जल गई और आग बुझ गई। जब सुबह उठ कर देखा तो आग का नमो निशान नहीं था। सभी लोग उस नौजवान को कोसने लगे। अब दुवारा से लोग अंधेरे और ठंड से जूझने लगी। अब तो उन्हें अपना जीवन पहले से ज्यादा दूभर लगने लगा।

देवता फुशी ने स्वर्ग से यह देखा तो उन्होंने उसी नौजवान मानव को एक सपना दिखाया, जिस में उन्होंने उस युवा को बताया कि दूर दराज पश्चिम में स्वी मिन नाम का एक राज्य है , वहां आग के बीज मिलती है। तुम वहां जा कर आग का बीज लेकर आओ। जब वो नौजवान सपने से जागा और सोचने लगा कि सपने में देवता ने जो बात कही थी, मैं ऐसा ही करूंगा, तब वह आग के बीज तलाशने हेतु रवाना हो गया।

ऊंचे ऊंचे पहाड़ों को लांघ, गहरी नदियों को पार कर और घने जंगलों से गुजर, लाखों कठिनाइयों को सहते हुए वह अंत में स्वी मिन राज्य पहुंचा। लेकिन उसे यहां भी न कोई रोशनी, न आग मिली। हर जगह अंधेरा ही अंधेरा था। नौजवान को बड़ी निराश हुई, तो स्वी मु नाम के एक किस्म के पेड़ के पास जाकर बैठ गया।

Aag Ke Beej : A Chini Lok Katha (Part 4)

अचानक नौजवान की आंखों के सामने चमक चौंधी, फिर चली गई, फिर एक चमक चौंधी, फिर चली गई, जिससे चारों ओर हल्की हल्की रोशनी हो गई। नौजवान तुरंत उठ खड़ा हुआ और चारों ओर नजर दौड़ते हुए रोशनी की जगह को ढूंढ़ने लगा।

उसने देखा की ‘स्वी मू’ नाम के इस पेड़ पर कई पक्षी अपने कड़े चोंच को पेड़ पर मार मार कर उस में पड़े कीट निकाल रही हैं, जब एक बार वे पेड़ पर चोंच मारते हैं तो पेड़ में से तेज चिंगारी चौंध उठती है। यह देख कर नौजवान के दिमाग में यह विचार आया कि कहीं आग के बीज इस पकार के पेड़ में छिपे हुए तो नहीं हैं ? यह सोच उसने तुरंत ‘स्वी मू’ के पेड़ पर से एक टहनी तोड़ी और उसे पेड़ पर रगड़ने लगा।

उसने देखा की ऐसा करने से शाखा से चिंगारी तो निकल रही है पर आग नहीं जल रही। लेकिन उस नौजवान ने हार नहीं मानी और अलग अलग पेड़ की शाखाएं ढूंढ़ कर पेड़ पर रगड़ना जारी रखा। अंत में उसकी कोशिश रंग लायी। पेड़ की शाखा से धुआँ निकला, फिर आग जल उठी।

इस सफलता की खुशी में नौजवान की आंखों में आंसू भर आए। अब वो अपने गांव जाने के लिए चल पड़ा। वह लोगों के लिए आग के ऐसे बीज लाया था, जो कभी खत्म नहीं होने वाले थे। और वो आग के बीज थे – लकड़ी को रगड़ने से आग निकालने का तरीका। तभी से लोगों को आग के बारे में जानकारी हुई और वो उनका लाभ लेने लगे। अब तो न उन्हें सर्दी सताती थी और न ही अँधेरे का डर। आग लाने वाले नौजवान की बुद्धिमता और बहादुरी का सम्मान करते हुए लोगों ने उसे अपना मुखिया चुना और उसे ‘स्वी रन’ यानी आग लाने वाला पुरूष कहते हुए सम्मानित भी किया।

Others Inspirational Short Story In Hindi

भिक्षुक का जादू – एक चीनी लोककथा (चीनी कहानी)

पिता की सीख

जीवन संघर्ष

हॉस्पिटल की खिड़की

मित्रों ! उम्मीद करता हूँ “आखिर बड़ा कौन ? Hindi Inspiring Story ” आपको अवश्य पसंद आई होगी, कृपया कमेंट के माध्यम से अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। कृपया Share करें .

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *