Happy Happy Fathers Day to all of You ; दोस्तों, एक पिता तेज धूप में एक छाया के समान होते हैं। पिता एक दोस्त, गुरु और एक सलाहकार होते हैं। आज फादर डे की मोके पर एक छोटी सी कहानी पिता पर ।- Happy Fathers Day Story In Hindi
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पिता दिवस पर कहानी Happy Fathers Day Story In Hindi
Father Son Story in Hindi
एक 75 वर्ष के बृद्ध पिता अपने 40 वर्षीय उच्च शिक्षित बेटे के साथ अपने घर में सोफे पर बैठे थे। अचानक एक कौवा आया और उनकी खिड़की पर आ कर बैठ गया।
बूढ़े पिता ने अपने पुत्र से पूछा, बेटा “यह खिड़की पर क्या है?”
पुत्र ने पिता को उत्तर दिया पिता जी यह “यह एक कौवा है”।
कुछ मिनटों बाद ही, पिता ने फिर से अपने पुत्र से पूछा, “यह क्या है?”
बेटे ने कहा, “पिताजी, मैंने अभी-अभी आपसे कहा तो है, की यह एक कौवा है।
थोड़ी देर चुप रहने के बाद उस बूढ़े पिता ने तीसरी बार फिर अपने बेटे से पूछा, बेटा यह क्या है?”
इस बार बेटे ने अपने पिता से गुस्से में फटकार के साथ कहा। कह तो दिया “यह एक कौवा, एक कौवा, एक कौवा है”। आपको समझ नहीं आता।
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Hindi Story Of Father
थोड़ी देर बाद, पिता ने चौथी बार भी अपने पुत्र से फिर वही पूछा, “यह क्या है?”
इस बार बेटा अपने पिता पर चिढ़ते हुए चिल्लाया, “आप मुझसे एक ही सवाल बार-बार क्यों पूछते हो, मैं आपके बार बार कह चूका हूँ की ‘यह एक कौवा है’। क्या आप यह नहीं समझ पा रहे हो ?”
थोड़ी देर के बाद पिता अपने कमरे में गए और एक पुरानी फटी हुई सी डायरी लेकर वापस आए, जिसे उन्होंने अपने बेटे के जन्म के बाद से संभाल कर रखा था।
पिता ने उस डायरी का एक पन्ना खोला और अपने बेटे से कहा, बेटा क्या तुम इसे मेरे लिए पढ़ सकते हो। जब बेटे ने इस पन्ने को पढ़ा तो डायरी में यह शब्द लिखे थे :-
“आज मेरा तीन साल का छोटा सा बेटा मेरे साथ सोफे पर बैठा था, तभी खिड़की पर एक कौवा बैठा था। मेरे बेटे ने मुझसे 23 बार पूछा कि यह क्या है, और मैंने उसे 23 बार जवाब दिया कि यह एक कौआ है। जब जब मैंने उसे जबाब दिया तब तब मुझे अच्छा लगा और हर बार मैंने उसे प्यार से गले लगाया।
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Father Story in Hindi
मुझे उसके पूछने पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आया, बल्कि मुझे अपने मासूम बच्चे के प्रति स्नेह महसूस हुआ।”
बेटे और पिता दोनों की आखें नम हो गई। फर्क बस इतना था की बेटे की आखें शर्मिंदगी महसूस कर रहीं थी और पिता की आखें अपने बेटे के आंसू देख नम हो गई।
दोस्तों, एक पिता ही होता है जो अपने बच्चों को खुद से ज्यादा कामियाब होकर गर्भ महसूस करता है। एक पिता अपने बच्चों पर निस्वार्थ प्यार बरसता है। एक पिता अपने बच्चों को योग्य बनता है। और अपने बच्चों को हमेशा खुश देखना चाहता है।
जब हम छोटे थे तब माता – पिता ने हमारी देखभाल की। हमारी खाहिशे पूरी की चाहें उसके लिए अपनी ख्वाहिशों को ही क्यों न दवानी पडी हो।
जबकि छोटे बच्चे ने उनसे 23 बार “यह क्या है” पूछा, पिता को एक ही प्रश्न का 23 बार उत्तर देने में कोई जलन नहीं हुई और जब आज पिता ने अपने पुत्र से वही प्रश्न केवल 4 बार पूछा, तो बेटे को चिढ़ और गुस्सा आया .
आज से यह ज़ोर से कहो, “मैं अपने माता-पिता को हमेशा के लिए खुश देखना चाहता हूँ। जब मैं छोटा बच्चा था तब से उन्होंने मेरी देखभाल की है। तूफान और गर्मी की परवाह न करते हुए भी हमारे प्रति अपनी जम्मेदारियों को पूरा किया।
एक पिता अपने चार बेटों को भी न सिर्फ पेट भरके खिलाता है बल्कि उनकी ख्वाहिशों को भी पूरा करता है। और चार बेटे अपने माता पिता को सिर्फ थोड़ा प्यार और सम्मान भी नहीं दे सकते। तो आज हमारा क्या दायित्व है।
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