एक मजदूर महिला की कहानी – Inspirational Story in Hindi

एक मजदूर महिला की कहानी

एक मजदूर महिला की कहानी – Inspirational Story in Hindi

एक बार महिला होती है जो एक ऑफिस में काम करती है। उसकी उम्र लगभग 50 साल की होती है। उम्र के इस पड़ाव में उस महिला के पैरो में दर्द रहता था। इस कारण से उसको आने जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है, लेकिन घर का खर्च चलाने के लिए उसको नौकरी करनी पड़ती है।

एक दिन वह ऑफिस से घर जा रही थी। वह बस स्टॉप पर पहुंची तो उसने देखा हर बार की तरह वहां बहुत भीड़ थी। थोड़ी देर बाद वहां एक बस आई और वह बस में चढ़ी तो उसने देखा बस में बैठने के लिए जगह नही थी।

थोड़ी देर बाद अचानक से एक आवाज आई की मैडम आप इस सीट पर बैठ जाइए। उस महिला ने पीछे मुड़कर देखा की एक महिला मजदूर अपनी सीट छोड़कर ऐसा बोल रही थी। उसने गौर से देखा की वह महिला मजदूर तो उसके साथ वहां बस स्टॉप पर खड़ी थी जो कि दिनभर मजदूरी कर के अपने घर पर जा रही थी।

उस महिला ने उस महिला मजदूर का शुक्रिया कहा और सीट पर बैठ गई। उसको यह सब देखकर बहुत अच्छा लगा और मन ही मन सोचने लगी की दुनिया में इस तरह के अच्छे लोग भी है।

थोड़ी देर के बाद एक स्टॉप आया और उस महिला के बगल वाली सीट से एक आदमी खड़ा होकर उस बस स्टॉप पर उतर गया तो उस महिला ने उस मजदूर महिला को वहां पर बैठने को कहा लेकिन वह महिला मजदूर वहां नही बैठी।

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उस बस में एक ओर महिला थी जिसकी गोद में एक छोटा बच्चा था जो बहुत रो रहा था, उस महिला मजदूर ने वह सीट उस महिला को दे दिया। थोड़ी देर बाद उस बच्चे वाली महिला का भी स्टॉप आ गया और वह बस से उतर गई। फिर से वह सीट खाली हो गई थी। उस महिला ने फिर से उस महिला मजदूर से उस सीट पर बैठने का आग्रह किया लेकिन फिर भी वह उस सीट पर नही बैठी।

इस बार उस महिला मजदूर से एक वृद्ध को बैठने के लिए भेज दिया जो कि बहुत ज्यादा उम्र के थे और उन्हें खड़े होकर सफर करने में बहुत दिक्कत हो रही थी। वह वृद्ध उस सीट पर आकर बैठ गए और थोड़ी देर बाद उस वृद्ध का भी स्टॉप आ गया और वह वृद्ध उस महिला मजदूर का शुक्रिया कहते हुए बस से उतर गया।

उसके बाद उस बस में भीड़ कम हो गई थी और अब उसमे कोई भी जरूरतमंद नही था। उस महिला ने फिर उस महिला मजदूर से कहा अब तो आप आकार बैठ जाइए तो वह वहां आकर बैठ गई।

उस महिला ने उस महिला मजदूर से पूछा आपने मुझे बैठने का मौका क्यों दिया। आपके पास तो सीट थी आप आराम से बैठ सकती थी।

उस महिला मजदूर ने कहा, जब मैने आपको बस स्टॉप पर देखा था तो लग रहा था कि आपके पैरों में तकलीफ है और जब आप बस में चढ़ रही थी तब भी लग रहा था कि आपके घुटनों में दर्द है तो मुझ से रहा नही गया और मैने आपको सीट दे दी।

फिर उस महिला ने कहा की जब दो तीन बार सीट खाली हुई थी तब आप वहां आकर बैठ जाती। तो महिला मजदूर ने कहा हां में बैठ सकती थी लेकिन मैने देखा उस महिला की गोद बच्चा था जो कि रो रहा था इसलिए उस सीट पर मैंने उसको बैठने के लिए बोल दिया था।

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उसके बाद वह वृद्ध आदमी जो कि खड़े थे और में बैठ जाती तो ऐसे कैसा अच्छा लगता की में बैठ जाती और वह वृद्धजन खड़े रहते। इसलिए मैंने उनको बैठने का मौका दिया जिससे वह मुझे आशीर्वाद देकर गए तो मुझे बहुत अच्छा लगा।

तो उस महिला ने उस महिला मजदूर से पूछा की आप यह रोजना ही करती हो या फिर आज की कर रही हो, तो उस महिला मजदूर ने कहा यह में रोजाना ही करती हूं।

और आगे कहने लगी की मैडम मेरे पास दान करने के लिए पैसे तो नही है मतलब कुछ भी नही है जिससे कि में कुछ पुण्य कमा सकु। कभी कभी रास्ते में से कचरा उठा कर साइड में कर देती हूं, कभी कुछ होता है खाने को तो जानवरों को दे देती हूं और यहां बस में जब कोई जरूरतमंद को देखती हूं तो उसके लिए अपनी सीट दे देती हूं। बात खत्म होते होते उन दोनों का भी स्टॉप आ गया और वह दोनों अपने रास्ते चल दिए।

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Vikram Khodwal

विक्रम खोड़वाल अलवर राजस्थान से हैं और एक ब्लॉगर हैं। अपने ब्लॉग thinkdear.com के माध्यम से अपने विचार, प्रेरणादायक कहानियां, महत्त्वपूर्ण जानकारियां, प्रेरणादायक एवं  व्यक्तित्व विकास संबंधी लेख लिखते हैं। यह प्रेरणादायक कहानी हमारे साथ शेयर करने के लिए हम विक्रम जी का आभार प्रकट करते हैं।


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