दोस्तों चिंता चिता समान होती है। चिंता न सिर्फ आपकी मानसिक शक्ति को कम करती हैं बल्कि शारारिक रूप से भी व्यक्ति को अन्दर से खोकला कर देती हैं। इस पोस्ट में आप अपनी अनावश्यक चिंताओं से छुटकारा पाने के बेहतरीन उपायों Tips to get rid of Anxiety के बारे में जानेंगे।
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Chinta Se Chutkara Kaise Payen
हम सभी जानते हैं कि चिंता करने का कोई वास्तविक कारण नहीं है। हम अपनी मानसिकता से अवगत हैं। यानी हम सब अपने को मानसिक रूप से जानते हैं। बस यही ज्ञान इस चिंता को रोकने के लिए पर्याप्त है।
चिंता (Anxiety) जीवन का एक हिस्सा है। जिस प्रकार क्रोध आता है, खुशी होती है, उदासी होती है, उसी प्रकार चिंता भी आती है। लेकिन यह चिंता एक तरह से फिक्र होती है। लेकिन कुछ के लिए यह सिर्फ एक भावना नहीं रह जाती बल्कि भय और आशंका बन जाती है।
संज्ञानात्मक सिद्धांत भी यही कहता है कि चिंता तब उत्पन होती है जब किसी व्यक्ति की संज्ञानात्मक विकृतियां या तर्कहीन विचार पैटर्न उन्हें सब कुछ एक भौतिक खतरे के रूप में देखते हैं। भले ही वह वास्तविक खतरा हो या साधारण दैनिक कार्य।
चिंता के प्रभाव .. Effects of Anxiety
वॉल्टन टेंपल के अनुसार “मनुष्य रोते हुए पैदा होता है शिकायत करते हुए जीता है और अंत में निराश होकर मर जाता है”
यह पाया गया है कि चिंता विकार (Anxiety Disorder) का अनुभव करने वाले ज्यादातर लोग बुद्धिमान, दयालु, रचनात्मक और दृढ़ होते हैं। चिंता विकार अक्सर शरीर में कई प्रणालियों, अंगों और ग्रंथियों को प्रभावित करती है। तंत्रिका तंत्र, श्वसन प्रणाली, पाचन तंत्र और जैविक संवेदनाओं और लक्षणों के अलावा जिसमें संकटपूर्ण विचार और भावनाएं शामिल है।
चिंता से छुटकारा पाने के कुछ उपाय – चिंता से मुक्ति के उपाय
यदि वाकई आप अपनी चिंता से छुटकारा पाना चाहते हैं तो उसके कारणों की वजह जानने की कोशिश करें। उसके कारणों को जानने के बाद आप अपनी अनावश्यक चिंता से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। इस पोस्ट में चिंता से छुटकारा पाने के कुछ उपाय दिए जा रहे हैं। आप इन टिप्स को ध्यान से पढ़ें और अमल में लाएं। आप पाएंगे की आप अपनी अनावश्यक चिंताओं से मुक्त होते जा रहें हैं।
चिंतन करें चिंता नहीं ! चिंता और चिंतन में अंतर – कैसे करें चिंतन
Tips to get rid of Anxiety
खुद की बुराई ना करें ;
खुद की बुराई, खुद को कोसना, अपने को कम आंकना, हर समस्या के सामने अपने को छोटा समझनाभय को जन्म देता है और यही डर और भय की भावना चिंता का रूप धारण कर लेती है और धीरे-धीरे चिंता विकराल होती जाते है। यदि आप सच में चिंता से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कभी भी अपनी निंदा ना करें। अपने को किसी से कम ना आंकें।
कल की सोच कर आज खराब ना करें ;
हम अपने आने कल के लिए तैयारी कर सकते हैं पर आने वाले कल में जो होगा वह हमारे हाथ में नहीं है। इसलिए कल के लिए ज्यादा सोचना (चिंता करना) कोई परिणाम नहीं देगा। यदि आप इस बात को समझ जाते हैं तो आप आज पर ज्यादा फोकस कर पाएंगे और अपनी चिंता को कम कर पाएंगे।
श्वसन प्रक्रिया को करें नियंत्रित;
भले ही आपको इस बात का एहसास ना हो लेकिन जब हमारी चिंता बढ़ती है तो उसका प्रभाव हमारे द्वारा ली गई सांस पर होता है यानी चिंता की अवस्था में हमारी हार्टबीट बढ़ जाती है, सांस ऊपर नीचे होने लगती है। इसलिए जब भी आपको किसी बात को लेकर चिंता महसूस हो तो तुरंत अपनी सास पर फोकस करें और उस पर नियंत्रण करने का प्रयास करें। सांस प्रक्रिया को कण्ट्रोल करने के लिए आप 10 से 15 बार गहरी लंबी सांस लें। फिर धीरे-धीरे छोड़ें ऐसा करने से आपकी दिल की धड़कन (हार्टबीट) नॉर्मल होने लग जाएगी और आप चिंता और तनाव से मुक्त हो जाएंगे।
डर को अपने भीतर से निकालने का प्रयास करें ;
हमने पहले बताया है कि किसी काम को करने का डर या भय भी चिंता का कारण होता है, इसलिए अपने डर पर काबू करने का प्रयास करें। जब भी आपको ऐसा लगे तुरंत डर पर काबू करने की कोशिश करें। इसके लिए आप ऐसी गतिविधि गतिविधि करें जो आपके दिमाग को सुकून दे जैसे ध्यान करना, संगीत सुनना, प्रार्थना करना, किताबें एवं प्रेरणादायक लेख पढ़ना, व्यायाम करना आदि। खासतौर पर आप इस बात को भी अपने जहन में बैठा ले की किसी भी चीज का डर चिंता को जन्म देता है। अतः अपने डर को खत्म करना जरूरी है और कहा भी जाता है डर के आगे जीत है। इसके लिए आप हमारे इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें डर पर काबू कैसे पाएं।
अपनी परेशानी को साझा करें ;
कहते हैं दुख बांटने से कम होता है। यदि आप किसी समस्या से लड़ रहे हैं जिसके कारण आप चिंता की पीड़ा से गुजर रहे हैं तो अपनी समस्याओं को अपने किसी हमदर्द के साथ साझा करें। क्या पता सामने वाला व्यक्ति आपको आपकी परेशानी का हल बता दे। यदि हल भी ना बता पाए तो भी आप उसे अपनी परेशानी को बताकर सुकून महसूस कर सकते हैं।
दिनचर्या का रखें ख्याल ;
जब हम चिंताओं से घिरे होते हैं उस दौरान हम अपना ख्याल भी नहीं रख पाते हैं। चिंता और तनाव (Anxiety and Stress) के रहते हमारी दिनचर्या अस्त व्यस्त हो जाती है। इसलिए उसे दौर में अपना ज्यादा ख्याल रखें। अच्छी डाइट लें, समय से खाना खाएं, पूरी नींद लें, व्यायाम करें और योग भी करें।
खुद को व्यस्त रखें ;
चिंता के दौर में उससे छुटकारा पाने के लिए आप अपने आपको सक्रिय और व्यस्त रखें। खाली बैठना आपकी उदासी को बढ़ा देता है जिससे आपकी साधारण चिंता भी बड़ी महसूस होती है। उस दौरान खुद को सक्रिय बनाना जरूरी है यानी परेशानी को बाहर निकालने के लिए उसे अपने ऊपर हावी ना होने दें बल्कि चिंता से ध्यान हटाने के लिए अपने दिमाग को अन्य कार्य में कार्यरत करें जिससे आपको जल्द ही चिंता का हल भी मिल जायेगा।
चिंता नहीं चिंतन करें ;
चिंता एक ऐसी बुराई है जो हमारी बुद्धिमानी को भी खा जाती है यानी हमारी बुद्धि को भी वश में कर लेती है इसलिए आपको चिंता के खिलाफ लड़ना होगा जिसके लिए आपके पास हथियार है चिंतन। जी हां चिंता को चिंतन से खत्म किया जा सकता है। जिस प्रकार चिंता शरीर और बुद्धि को नष्ट करती है उसके विपरीत चिंतन बुद्धि और शरीर का विकास करता है। चिंता का मतलब होता है किसी बात की गहराई में जाकर सोच सोच कर परेशान होना इसके विपरीत चिंतन वो साधन है जिसके द्वारा आपको उन्नति और कार्य में सफलता का रास्ता मिलता है।
उम्मीद कभी ना छोड़े ;
छोटी से छोटी जीत का जश्न मनाएं ; आपको जो पसंद हो वह भी अवश्य करें, अपने आपको हमेशा प्रोत्साहित करते रहें भले ही समस्याएं बढ़ी हो लेकिन अपनी उम्मीदों को छोटा ना होने दें।
आप अकेले नहीं है ;
यदि आप अपने को या किसी परिचित को चिंता से ग्रसित होते देखे तो उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया कि वो अकेले नहीं आप उनके साथ हैं। आप अपने परिजन को बताएं कि वह बिना किसी डर के कोई निर्णय लें। हर परिस्थिति में कभी भी वो आपसे बात कर सकते हैं , साथ साथ आप उनके हौसले को भी बढ़ाएं।
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