कहानी : सबसे अनमोल उपहार | Kahani Hindi

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किसी भी चीज़ का मूल्य इस बात से मायने रखता है कि वो चीज़ हमारे लिए कितनी मूल्यवान है। दोस्तों इसी बात को बेहतर तरीके से समझाने के लिए मैं आपके साथ एक बहुत ही रोचक कहानी “Kahani Hindi” शेयर कर रहा हूँ। यह कहानी उस समय कि है जब वस्तु विनियम का व्यापार था। वस्तु विनिमय यानि एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु देना। यह कहानी एंटोनियो नामक एक व्यापारी की है जो अपने नगर जेनेवा से  मसाले खरीदने के लिए अपनी जहाज पर निकाला था। 

सबसे अनमोल उपहार |  Hindi Prerak Kahani

बहुत समय पहले इटली के एक नगर जेनोवा में एंटोनियो नाम का एक सौदागर रहता था। एक दिन एंटोनी ने अपना जहाज सामान से भर लिया और दूर दराज के द्वीपों की यात्रा पर चल पड़ा। उसकी योजना उन मसलों को खरीदने की थी जिनकी उसके देश में बहुत मांग थी।

वहां पहुंचकर वह एक द्वीप से दूसरे द्वीप गया। उसने मखमल देकर दालचीनी, गुड़िया देकर लोंग, चमड़े की पेटियां देकर जायफल खरीदा। एक द्वीप पर वहां के राजा ने उसे भोज पर आमंत्रित किया। लेकिन जब वे दावत के लिए बैठा तो एंटोनियो ने कई सेवकों को लाठियां पकड़े देखा। प्रतीक हो रहा था कि वो सब किसी को मारने के लिए तैयार खड़े हैं। “आश्चर्य की बात है” यह सोचने लगा यह पहरेदार क्या कर रहे हैं। जब भोजन परोसा गया तो एंटोनियों को उसके प्रश्न का उत्तर मिल गया। अचानक दर्जनों चूहे वहां पर आ गए। सभी पहरेदार उनके पीछे यहां-वहां भागने लगे और लाठियों से मारकर उन्हें हटाने की कोशिश करते रहे।

एंटोनियो स्तंभ रह गया और बोला, ” महाराज क्या वहां पर बिल्लियां नहीं है ? राजा चकित हो गया और बोला, “बिल्लियां ! उसके बारे में तो हमने कभी सुना ही नहीं , यह क्या होती है ? एंटोनियों बोला, महाराज बिल्ली मुलायम बालों वाली छोटी पशु होती है और चूहों का शिकार करना उन्हें अच्छा लगता है। एंटोनियों ने उन्हें बताया की चूहों का पीछा करना बिल्लियों को सबसे अधिक पसंद है। यह बिल्लियां आनन-फानन में इस द्वीप से चूहों का सफाया कर देंगीं।

“सच में ” राजा ने पूछ, ” हमें यह बिल्लियां कहाँ मिलेंगी ? अगर तुम हमारे लिए कुछ बिल्लियां ला दो तो हम तुम्हें मुंह मांगा मूल्य देंगे। बस बताओ कि मूल्य क्या है ?

“बिल्लियों का मूल्य चुकाने की आवश्यकता नहीं”, एंटोनियो ने कहाँ, “हमारे पास बहुत बिल्लियां है। आपको कुछ बिल्लियां देकर मुझे प्रसन्नता होगी।

एंटोनियो चल दिया और शीघ्र ही एक धारीदार बिल्ली और एक बड़ा बिल्ला लेकर लौट आया। जब उसने दोनों को खुला छोड़ दिया तो वे चूहे डरकर भोजन कक्ष से भाग गए और बिल्लियां उनका पीछा करती पीछा करती रहीं।

कितनी आश्चर्यजनक पशु है यह ! राजा ख़ुशी से चिल्लाया।

धन्यवाद मेरे मित्र अब बदले में मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूं। राजा ने एंटोनियो को मूल्यवान रत्न और चमकदार हीरो से भरा एक संदूक दिया। “महाराज इसकी कोई आवश्यकता नहीं है” एंटोनियो ने विरोध करते हुए कहा।

लेकिन राजा उसकी बात मानने को तैयार ना था। एंटोनियो तुमने हमें मूल्यवान उपहार दिया है और इस द्वीप पर हमारे पास इतने मूल्यवान रत्न हैं कि हमें समझ नहीं आता कि उनका क्या करें। हम इन उत्तम पशुओं के बदले में हमारी यह भेद तुम कृपया स्वीकार कर लो।

एंटोनियो अपने नगर जेनोवा लौट आया और अपनी यात्रा की कहानी सबको सुनाई।

उसके सौभाग्य से सब प्रसन्न थे सिवाए लिऊज़ी के जो नगर का सबसे धनी सौदागर था। जब उसने यह बात सुनी तो उसे एंटोनियो से ईर्ष्या होने लगी। दो निकम्मी बिल्लियों के बदले में मैं उस द्वीप के राजा ने इतनी अनूठे रत्न और जहां हीरे दिए। उसने अपने आप से कहा “अरे ऐसा उपहार तो राजा को कोई गरीब किसान भी दे सकता था। कल्पना करो कि ऐसी वस्तु जो सच में मूल्यवान हो अगर मैं राजा को भेंट कर दूं तो ना जाने राजा कितना बड़ा उपहार देगा।

लिऊज़ी ने अपने जहाज में उत्कृष्ट मूर्तियां और उत्तम चित्र और सबसे बढ़िया वस्त्र भर लिए। जब वह द्वीप पर पहुंचा तो उसने झूठ बोला। उसने राजा के पास संदेश भिजवाया कि वह एंटोनियो का मित्र था।

यह बात जानकर राजा ने लिऊज़ी को रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया। लिऊज़ी द्वारा लाये गए उपहार जब राजा ने देखे तो वे आश्चर्यचकित हो गए और बोले, “तुम्हारी उदारता से मैं बहुत प्रभावित हूं। ” राजा ने लिऊज़ी से कहा “मुझे समझ नहीं आ रहा कि अपना आभार कैसे व्यक्त करूं।”

राजा ने अपने मंत्रियों से बात और कुछ समय बाद में लिऊज़ी को शाही दरबार में बुलाया गया। राजा ने लिऊज़ी से कहा “हमने बहुत चर्चा की। यह बताने में मुझे प्रशना हो रही कि तुम्हें देने के लिए हमने एक उत्तम उपहार चुन लिया है। यह सच में मूल्यवान है, इतना कहकर राजा ने सेवकों को आदेश दिया कि उपहार ले आए।

लिऊज़ी बड़ी कठिनाई से अपनी उत्तेजना को दवा पाया उसे विश्वास था कि जितने हीरे जवाहरात एंटोनियो को मिले थे उससे 20 गुना अधिक उसे अवश्य मिलेंगे।

एक मखमल के कपड़े से ढका हुआ रेशम का एक गद्दा राजा ने लिऊज़ी को भेंट किया। जब लिऊज़ी ने मखमल का कपड़ा उठाया तो वो आवक हो गया।

गद्दे पर एक रोयेदार गेंद था। जब गेंद हिला तो लिऊज़ी को समझ आया की वह था एक बिल्ली का बच्चा।

तुम्हारी मित्र ने जो अनमोल बिल्लियां हमें दी थी उन्होंने अभी-अभी बच्चे दिए हैं। क्योंकि तुमने हमें इतनी शानदार उपहार दिए हैं इसलिए अपनी सबसे मूल्यवान वस्तु हम तुम्हें उपहार स्वरूप देना चाहते हैं। लिऊज़ी ने जब राजा के प्रफुल्लित चेहरे को देखा तो उसे एहसास हुआ कि राजा के लिए बिल्ली का छोटा बच्चा इन सारी मूल्यवान वस्तुओं से अधिक मूल्यवान था जो उसने राजा को उपहार में दी थी।

लिऊज़ी समझ गया कि मुस्कुराकर प्रसन्नता से राजा का उपहार स्वीकार करने का नाटक करना ही उचित होगा उसने वैसा ही किया। लिऊज़ी धनवान बन कर घर ना लौटा था परंतु वे अधिक बुद्धिमान अवश्य हो गया था।

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