अकबर बीरबल के 5 दिलचस्प किस्से (कहानियाँ) | Akbar Birbal Stories in Hindi

Akbar Birbal Stories

Hello Friends, today I am sharing with you ‘5 interesting stories of Akbar Birbal’ “Akbar Birbal Stories in Hindi” ‘अकबर बीरबल के 5 दिलचस्प किस्से (कहानियाँ) Akbar Birbal Ke Kisse ~ अकबर बीरबल के किस्से बचपन से हम सभी सुनते हुए आएं हैं और आज भी इस जोड़ी के दिलचस्प किस्से कहानी सुनकर काफी मज़ा तो आता ही है बल्कि सीख भी मिलती है। चाहें बच्चे हों या बड़े अकबर बीरबल  की कहानी सभी को Interesting तो लगती ही है साथ साथ Inspiring भी करती हैं। तो आइये शुरू करते हैं अकबर बीरबल के 5 दिलचस्प किस्से –

Akbar Birbal Stories in Hindi – Akbar Birbal Ke Kisse

Akbar Birbal Story 1

रेत और चीनी का मिश्रण
Akbar Birbal Stories in Hindi / Akbar Birbal Ke Kisse

हमेशा की तरह एक दिन बादशाह अकबर के दरबार में कार्यवाही चल रही थी। तभी एक व्यक्ति हाथ में एक कांच का मर्तबान लिए वहाँ आया। बादशाह अकबर ने पूछा, “बोलो तुम क्या चाहते हो और इस मर्तबान में क्या है ?”

वह व्यक्ति बोला “जहाँपनाहं इसमे रेत और चीनी का मिश्रण है“

बादशाह अकबर ने फ़िर पूछा “यह तुम यहाँ क्यों लाये हो ?”

“माफ़ी चाहता हूँ हुजुर” व्यक्ति बोला, “हमने बीरबल की बुद्धिमता के बारे में बहुत सुन रखा है। हम बीरबल की काबिलियत को परखना चाहते हैं, हम चाहते हैं की वह रेत से चीनी का दाना दाना अलग कर दे”

बादशाह अकबर ने बीरबल को और देखते हुए कहा, “देख लो बीरबल, रोज ही तुम्हारे सामने एक नई समस्या रख दी जाती है, अब तुम्हे बिना पानी मे घोले इस रेत मे से चीनी को अलग करना है“

बीरबल मुस्कुराये और बोले “कोई समस्या नहीं जहाँपनाह, यह तो मेरे बाएँ हाथ का काम है ” कहकर बीरबल ने मर्तबान उठाया और सभी को लेकर दरबार से बाहर चल दिए ।

बीरबल बाग़ मे पहुंचकर रुका और मर्तबान मे भरा सारा मिश्रण आम के एक बड़े पेड़ के चारो और बिखेर दिया “यह तुम क्या कर रहे हो?”, उस व्यक्ति ने पूछा

बीरबल बोले, “यह तुम्हें कल पता चलेगा”

अगले दिन फ़िर वे सभी उस आम के पेड़ के नीचे जा पहुंचे। वहाँ अब केवल रेत पड़ी थी। चीनी के सारे दाने चीटियाँ बटोर कर अपने बिलों मे पहुंचा चुकी थीं। कुछ चीटियाँ तो अभी भी चीनी के दाने घसीट कर ले जाती दिखायी दे रही थीं।

व्यक्ति ने अचम्भे से पूछा “अरे सारी चीनी कहाँ चली गई ?”

बीरबल ने कहा “रेत से अलग हो गई”

बादशाह अकबर ने उस व्यक्ति से मज़ाक करते हुए कहा “अब तुम्हे चीनी चाहिये तो चीटियों के बिल मे घुसों और चीनी निकाल लो”

सभी जोर से हंस पड़े।

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Akbar Birbal Story 2

 बीरबल और सौ स्वर्ण मुद्राएं
Akbar Birbal Stories in Hindi / Akbar Birbal Ke Kisse

बादशाह अकबर के दरवार में बीरबर सबसे ज्यादा बुद्धिमान ब्यक्ति था। लेकिन अकबर के बहनोई को उससे बहुत जलन थी। उन्होंने बादशाह से बीरबल की जगह नियुक्त होने के लिए कहा। उसने पर्याप्त आश्वासन दिया कि वे बीरबल की तुलना में अधिक कुशल और सक्षम साबित होगा। इससे पहले कि अकबर इस मामले पर कोई फैसला ले पाता, यह खबर बीरबल तक पहुंच गई।

बीरबल ने इस्तीफा दे दिया और चले गए। अब अकबर के बहनोई को बीरबल के स्थान पर मंत्री बना दिया गया। अकबर ने नए मंत्री का परीक्षण करने का फैसला किया। उसने उसे तीन सौ सोने के सिक्के दिए और कहा, “इन सोने के सिक्कों को ऐसे खर्च करो, जैसे मुझे इस जीवन में सौ सोने के सिक्के मिले; दूसरी दुनिया में सौ सोने के सिक्के और दूसरे सोने के सिक्के न तो यहां हैं और न ही।

मंत्री ने पूरी स्थिति को भ्रम और निराशा की भूलभुलैया माना। वह यह सोचकर रातों की नींद हराम कर देता था कि वह खुद को इस गंदगी से कैसे निकालेगा। हलकों में सोच उसे पागल बना रही थी। आखिरकार, अपनी पत्नी की सलाह पर, उसने बीरबल की मदद मांगी। बीरबल ने कहा, “तुम मुझे सोने के सिक्के दो। मैं बाकी काम संभालूंगा। ”

बीरबल हाथ में सोने के सिक्कों का थैला पकड़े शहर की सड़कों पर चल पड़ा। उन्होंने अपने बेटे की शादी का जश्न मनाते हुए एक अमीर व्यापारी को देखा। बीरबल ने उसे सौ स्वर्ण मुद्राएँ दीं और विनम्रतापूर्वक कहा, “बादशाह अकबर आपको अपने बेटे की शादी के लिए शुभकामनाएँ और आशीर्वाद भेजता है। कृपया उसके द्वारा भेजे गए उपहार को स्वीकार करें। ” व्यापारी ने सम्मानित महसूस किया कि बादशाह ने इस तरह के कीमती उपहार के साथ एक विशेष दूत भेजा था। उन्होंने बीरबल को सम्मानित किया और उन्हें बादशाह के लिए उपहार के रूप में बड़ी संख्या में महंगे उपहार और सोने के सिक्कों का एक बैग दिया।

इसके बाद, बीरबल शहर के उस क्षेत्र में गए जहाँ गरीब लोग रहते थे। वहाँ उसने सोने के सौ सिक्कों के बदले में भोजन और वस्त्र खरीदे और उन्हें बादशाह अकबर के नाम पर वितरित किया।

जब वह शहर वापस आया तो उसने संगीत और नृत्य का एक कार्यक्रम आयोजित किया। उसने उस पर सौ स्वर्ण मुद्राएँ खर्च कीं।

अगले दिन बीरबल ने अकबर के दरबार में प्रवेश किया और घोषणा की कि उन्होंने वह सब किया है जो बादशाह ने अपने बहनोई से करने के लिए कहा था। अकबर जानना चाहता था कि उसने यह कैसे किया है।

बीरबल ने सभी घटनाओं के दृश्यों को दोहराया और फिर कहा, “मैंने अपने बेटे की शादी के लिए व्यापारी को जो पैसा दिया था – आप इस धरती पर वापस आ गए हैं। मैंने जो पैसा गरीबों के लिए भोजन और कपड़े खरीदने में खर्च किया – वह आपको दूसरी दुनिया में मिलेगा। जो पैसा मैंने संगीत समारोह में खर्च किया – वह आपको न तो यहां मिलेगा और न ही। अकबर के बहनोई ने अपनी गलती समझी और इस्तीफा दे दिया। बीरबल को अपना स्थान वापस मिल गया।

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Akbar Birbal Story 3

कभी कभी सब लोग एक जैसा सोचते हैं !
Akbar Birbal Stories in Hindi / Akbar Birbal Ke Kisse

किसी विषय को लेकर दरबार की कार्यवाही चल रही थी। सभी अपनी अलग अलग राय पेश कर रहे थे। सभी एक-एक कर अपनी राय दे रहे थे। बादशाह अकबर दरबार में बैठे यह महसूस कर रहे थे कि सबकी राय अलग है। उन्हें आश्चर्य हुआ कि सभी एक जैसे क्यों नहीं सोचते !

यह सोच अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल क्या तुम बता सकते हो कि लोगों की राय आपस में मिलती क्यों नहीं ? हमेशा सब अलग-अलग क्यों सोचते हैं ?”

बीरबल बोला, “बादशाह सलामत हमेशा ऐसा नहीं होता ! कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जिन पर सभी के विचार समान होते हैं।” इसके बाद कुछ और काम निपटा कर दरबार की कार्यवाही समाप्त हो गई। सभी अपने-अपने घरों को लौट चले।

उसी शाम जब बीरबल और अकबर बाग में टहल रहे थे तभी बादशाह अकबर ने फिर वही राग छेड़ दिया और बीरबल से बहस करने लगे।

तब बीरबल बाग के ही एक कोने की ओर उंगली से संकेत करता हुआ बोला, “वहां उस पेड़ के निकट एक कुआं है। वहां चलिए, मैं कोशिश करता हूं कि आपको समझा सकूं कि जब कोई समस्या जनता से जुड़ी हो तो सभी एक जैसा ही सोचते हैं। मेरे कहने का मतलब यह है कि बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनको लेकर लोगों के विचार एक जैसे होते हैं।”

अकबर ने कुछ देर कुंए की ओर घूरा, फिर बोले, “लेकिन मैं कुछ समझा नहीं, तुम्हारे समझाने का ढंग कुछ अजीब सा है।” बादशाह जबकि जानते थे कि बीरबल अपनी बात सिद्ध करने के लिए ऐसे ही प्रयोग करता रहता है।

बीरबल बोला, “सब समझ जाएंगे हुजूर ! आप शाही फरमान जारी कराएं कि नगर के हर घर से एक लोटा दूध लाकर बाग में स्थित इस कुएं में डाला जाए। दिन पूर्णमासी का होगा। हमारा नगर बहुत बड़ा है, यदि हर घर से एक लोटा दूध इस कुएं में पड़ेगा तो यह दूध से भर जाएगा।”

बीरबल की यह बात सुन अकबर ठहाका लगाकर हंस पड़े। फिर भी उन्होंने बीरबल के कहेनुसार फरमान जारी कर दिया।

शहर भर में मुनादी करवा दी गई कि आने वाली पूर्णमासी के दिन हर घर से एक लोटा दूध लाकर शाही बाग के कुएं में डाला जाए। जो ऐसा नहीं करेगा उसे सजा मिलेगी।

पूर्णमासी के दिन बाग के बाहर लोगों की कतार लग गई। इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा था कि हर घर से कोई न कोई वहां जरूर आए। सभी के हाथों में भरे हुए पात्र (बरतन) दिखाई दे रहे थे।

बादशाह अकबर और बीरबल दूर बैठे यह सब देख रहे थे और एक-दूसरे को देख मुस्करा रहे थे। सांझ ढलने से पहले कुएं में दूध डालने का काम पूरा हो गया हर घर से दूध लाकर कुएं में डाला गया था। जब सभी वहां से चले गए तो अकबर व बीरबल ने कुएं के निकट जाकर अंदर झांका। कुआं मुंडेर तक भरा हुआ था। लेकिन यह देख अकबर को बेहद हैरानी हुई कि कुएं में दूध नहीं पानी भरा हुआ था। दूध का तो कहीं नामोनिशान तक न था।

हैरानी भरी निगाहों से अकबर ने बीरबल की ओर देखते हुए पूछा, “ऐसा क्यों हुआ ? शाही फरमान तो कुएं में दूध डालने का जारी हुआ था, यह पानी कहां से आया ? लोगों ने दूध क्यों नहीं डाला ?”

बीरबल एक जोरदार ठहाका लगाता हुआ बोला, “यही तो मैं सिद्ध करना चाहता था हुजूर ! मैंने कहा था आपसे कि बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जिस पर लोग एक जैसा सोचते हैं, और यह भी एक ऐसा ही मौका था। लोग कीमती दूध बरबाद करने को तैयार न थे। वे जानते थे कि कुएं में दूध डालना व्यर्थ है। इससे उन्हें कुछ मिलने वाला नहीं था। सभी यह सोच रहे थे की सबलोग दूध दाल रहे हैं, मेरे एक लोटा पानी डालने से क्या फर्क पड़ेगा, इसलिए यह सोचकर कि किसी को क्या पता चलेगा, सभी पानी से भरे बरतन ले आए और कुएं में उड़ेल दिए। नतीजा कुआँ दूध के बजाय पानी से भर गया। ”

बीरबल की यह चतुराई देख अकबर बादशाह खुश हुए और उसकी पीठ थपथपाई।

बीरबल ने सिद्ध कर दिखाया था कि कभी-कभी लोग एक जैसा भी सोचते हैं।


Akbar Birbal Story 4

हरे रंग का घोडा
Akbar Birbal Stories in Hindi / Akbar Birbal Ke Kisse

एक दिन बादशाह अकबर बीरबल के साथ अपने घोड़े पर बैठकर शाही बाग में घूमने गए। चारों ओर हरे-भरे वृक्ष और हरी-हरी घास देखकर अकबर को बहुत आनन्द आया। उन्हें लगा कि बगीचे में सैर करने के लिए तो घोड़ा भी हरे रंग का ही होना चाहिए।

उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल मुझे हरे रंग का घोड़ा चाहिए। तुम मुझे सात दिन में हरे रंग का घोड़ा ला के दो। यदि तुम हरे रंग का घोड़ा न ला सके तो हमें अपनी शक्ल मत दिखाना।” हरे रंग का घोड़ा तो होता ही नहीं है। अकबर और बीरबल दोनों को यह मालूम था। लेकिन अकबर को तो बीरबल की परीक्षा लेनी थी।

दरअसल, इस प्रकार के अटपटे सवाल करके वे चाहते थे कि बीरबल अपनी हार स्वीकार कर लें और कहें कि जहांपनाह मैं हार गया, मगर बीरबल भी अपने जैसे एक ही थे। बीरबल के हर सवाल का सटीक उत्तर देते थे कि बादशाह अकबर को मुंह की खानी पड़ती थी।

बीरबल हरे रंग के छोड़ की खोज के बहाने सात दिन तक इधर-उधर घूमते रहे। आठवें दिन वे दरबार में हाजिर हुए और बादशाह से बोले, “जहांपनाह ! मुझे हरे रंग का घोड़ा मिल गया है।” बादशाह को आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा, “जल्दी बताओ, कहां है हरा घोड़ा ? बीरबर ने कहा, “जहांपनाह ! घोड़ा तो आपको मिल जाएगा, मैंने बड़ी मुश्किल से उसे खोजा है, मगर उसके मालिक ने दो शर्त रखी हैं।

बादशाह ने कहा, “क्या शर्ते हैं?”

“पहली शर्त तो यह है कि घोड़ा लेने कि लिए आपको स्वयं जाना होगा।

“यह तो बड़ी आसान शर्त है। दूसरी शर्त क्या है ?

“घोड़ा खास रंग का है, इसलिए उसे लाने का दिन भी खास ही होगा। उसका मालिक कहता है कि सप्ताह के सात दिनों के अलावा किसी भी दिन आकर उसे ले जाओ।

अकबर बीरबल का मुंह देखते रह गए।

बीरबल ने हंसते हुए कहा, “जहांपनाह! हरे रंग का घोड़ा लाना हो, तो उसकी शर्तें भी माननी ही पड़ेगी।

अकबर खिलखिला कर हंस पड़े। बीरबल की चतुराई से वह खुश हुए। समझ गए कि बीरबल को मूर्ख बनाना सरल नहीं है।


Akbar Birbal Story 5

दरबारी के तीन सवाल
Akbar Birbal Stories in Hindi / Akbar Birbal Ke Kisse

बादशाह अकबर बीरबल की बुद्धिमता के बहुत कायल थे। यह देख उस राज्य के कई दरवारी बीरबल से इर्षा करते थे। इससे से एक दरबारी को तो बीरबल से बहुत जलन थी। अब दरबारी हमेशा से मुख्यमंत्री बनना चाहता था, लेकिन यह संभव नहीं था क्योंकि बीरबल उस राज्य का मुख्यमंत्री था।

एक दिन अकबर ने उस दरबारी के सामने बीरबल की प्रशंसा की। इससे दरबारी बहुत क्रोधित हुए और उसने कहा “बादशाह हज़ूर आपने बीरबल की अन्यायपूर्ण प्रशंसा की और यदि बीरबल उनके तीन प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं, तो वह इस तथ्य को स्वीकार करेंगे कि बीरबल बुद्धिमान हैं। अकबर बीरबल की बुद्धि परिक्षण के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उन्होंने कहा “ठीक है। “

दरवारी ने 3 सवाल बीरबल से पूछे –

1. आकाश में कितने तारे हैं ?

2. पृथ्वी का केंद्र कहाँ है ? और

3. दुनिया में कितने पुरुष और कितनी महिलाएं हैं ?

तुरंत ही अकबर ने बीरबल से इन तीन सवालों के जबाब पूछे और कहा कि अगर वह उन्हें जवाब नहीं दे पाए, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।

बीरबल ने कहा- तो सुनिए महाराज।

पहले सवाल का जवाब देने के लिए, बीरबल एक बालों वाली भेड़ लेकर आया और कहा, “आकाश में जितने तारे हैं उतने ही भेड़ के शरीर पर बाल हैं। मेरे मित्र दरबारी का स्वागत है कि यदि वह चाहें तो उन्हें गिना जाए। ”

दूसरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए, बीरबल ने जमीन पर कुछ लकीरें खिंची और कुछ हिसाब लगाया। फिर एक लोहे की छड़ मंगवाई गई और उसे एक जगह गाड़ दिया और बीरबल ने महाराज से कहा, ‘महाराज बिल्कुल इसी जगह धरती का केन्द्र है, चाहे तो आप स्वयं जांच लें।

अब महाराज तीसरे सवाल का जवाब बडा़ मुश्किल है, क्योंकि इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो ना तो स्त्री की श्रेणी में आते हैं और ना ही पुरुषों की श्रेणी में। उनमें से कुछ लोग तो हमारे दरबार में भी उपस्थित हैं जैसे कि यह मंत्री जी।

महाराज यदि आप इनको मौत के घाट उतरवा दें तो मैं स्त्री-पुरुष की सही-सही संख्या बता सकता हूं।

अब मंत्री जी सवालों का जवाब छोड़कर थर-थर कांपने लगे और महाराज से बोले – ‘महाराज बस-बस मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया। मैं बीरबल की बुद्धिमानी को मान गया हूं।’

महाराज हमेशा की तरह बीरबल की तरफ पीठ करके हंसने लगे और इसी बीच वह मंत्री दरबार से खिसक लिया।

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