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Tirupati Balaji Mandir Hindi Facts
तिरुपति बालाजी मंदिर को नाम सभी ने सुना होगा। यह मंदिर देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों एक से एक है। आंध्र प्रदेश के तिरुपति कस्बे से 9 किलोमीटर दूर तिरुमला पहाड़ियों पर तिरुपति वेंकटेशवर मंदिर स्थित है।
बालाजी मंदिर के बारे में कई चमत्कार हैं। कहा जाता है की तिरुपति बालाजी से जो भी सच्चे मन से मनोकामना मांगों पूर्ण होती है।
बालाजी को गोविंदा के नाम से भी जाना जाता है। तिरुपति बालाजी के दर्शन हेतु बड़े से बड़े अमीर और निर्धन दोनों जाते हैं। कई नामी हस्तियां, राजनेता, फिल्म स्टार, बिजनेसमैन आदि हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में कई ऐसी रोचक बाते हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे। तो आइये जानते हैं तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में सच –
तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में 22 सच जो आप नहीं जानते होंगे।
Tirupati Balaji Mandir Hindi Facts
1- कुछ श्रद्धालु यहां पहुंचने के लिए पैदल मार्ग चुनते हैं। इसके दो सोपानमार्ग (सीढ़ियों का रास्ता) है, जो 6 से 11 किलोमीटर लंबे है। तिरुमला पहुंचकर श्रद्धालु 50 फीट ऊंचे श्री वेंकटेश्वर स्वामी महाद्वार पर पहुंचते हैं। जहां से आगे व मुख्य मंदिर के खुले आंगन में प्रवेश करते हैं।
2- मंदिर तक पहुंचने के लिए 8 द्वारों से होकर गुजरना होता है। पहले द्वार से जैसे आगे बढ़ते हैं और मार्ग सकरा होता जाता है। कहा जाता है यह आत्मा के परमात्मा से मिलने का प्रतीक है।
3- श्रद्धालुओं को कतार बंद करने के लिए वैकुंठम क्यू कांप्लेक्स है, जिसमें कुल 56 हाल है। तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए हर भक्त को इन सभी हाल से गुजर ना होता है। एक हाल में करीब 450 व्यक्तियों को कतार में रखने की क्षमता है। इस तरह से करीब 25000 लोगों को कतारबद्ध किया जाता है।
4- दर्शक तड़के 3:00 बजे से रात्रि 12:00 बजे तक 21 घंटे खुले रहते हैं। 5 से 6 घंटे कतार में रहने के बाद दर्शन हो पाते हैं।
5- प्रभु बालाजी गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े दिखते हैं पर बाहर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे वे दाई तरफ के कोने में खड़े हैं ।
Tirupati Balaji Mandir Facts Hindi
6- हर घंटे करीब 4000 दर्शनार्थी देव प्रतिमा के सामने से गुजरते हैं और उन्हें प्रतिमा की मुश्किल से एक झलक ही मिल पाती है।
7- गर्व ग्रह में मुख्य पुजारी ही प्रवेश करते हैं। यह पुजारी संत रामानुजाचार्य के वंशज है जो 11वीं सदी से पूजा कर रहे हैं।
8- रामानुजाचार्य ने ही बालाजी के माथे पर नीचे से ऊपर सीधा तिलक लगाने का नियम बनाया था।
9- तिरुपति बालाजी भगवान के सिर पर आज भी रेशमी बाल हैं जो असली हैं और कभी उलझते नहीं हैं। वह हमेशा ताजा लगते है।
10- मंदिर से लगभग 23 किलोमीटर दूर एक गांव है, उस गांव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध है। वहां की महिलाएं ब्लाउज नहीं पहनती। वहीं से लाए गए फूल भगवान को चढ़ाए जाते हैं और वहीं की ही अन्य वस्तुओं को चढाया जाता है जैसे- दूध, घी, माखन आदि।
11- बालाजी मंदिर में सोना चढाने की परंपरा सातवीं सदी से पल्लव वंश की रानी समावई ने शुरू की थी।
12- मौजूदा समय में बैंकों में जमा मंदिर का कैश रिज़र्व पहली बार इस साल 12000 करोड रुपए के आंकड़े को पार कर लिया है। सोने का रिज़र्व भी 9000 किलो से ऊपर निकल गया है। इसमें 550 किलोग्राम स्वर्ण आभूषण है।
13- इस मंदिर की धर्मशाला में 47 000 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। कमरे का एक दिन का किराया 50 रूपए है।
14- अगम शास्त्र के मुताबिक तिरुपति बालाजी के नेत्र हमेशा खुले रहते हैं। इनमें काफी तेज है इसलिए पंच कपूर से आंखों को हमेशा ढककर रखा जाता है। सिर्फ हर गुरुवार को नेत्र दर्शन कराए जाते हैं।
15- गृभगृह में चढ़ाई गई किसी वस्तु को बाहर नहीं लाया जाता, बालाजी के पीछे एक जलकुंड है उन्हें वहीं पीछे देखे बिना उनका विसर्जन किया जाता है।
16- बताया जाता है सन् 1800 में मंदिर परिसर को 12 साल के लिए बंद किया गया था। किसी एक राजा ने 12 लोगों को मारकर दीवार पर लटकाया था उस समय विमान में वेंकटेश्वर साक्षात प्रकट हुए थे।
17- मंदिर के महाद्वार पर दाई और एक छड़ी है। कहा जाता है कि इसी छड़ी से बचपन में भगवान की पिटाई हुई थी इसलिए प्रतिमा में ठोड़ी पर कपूर का लेप लगाया जाता है ताकि भगवान का घाव भर जाए।
18- बालाजी की पीठ को जितनी बार भी साफ करो, वहां गीलापन रहता ही है, वहां पर कान लगाने पर समुद्र घोष सुनाई देता है।
19- भगवान बालाजी की प्रतिमा पर एक ख़ास तरह को पचाई कपूर लगाया जाता है। कहा जाता है की इस कपूर को किसी साधारण पत्थर पर लगाएं तो पत्थर चटक जाता है पर भगवान बालाजी की प्रतिमा पर कुछ नहीं होता।
20- मंदिर से जुड़े पुजारियों का दावा है कि प्रतिमा के हृदय पर साक्षात मां लक्ष्मी विराजती हैं। हर गुरुवार प्रभु का श्रृंगार उतारकर चंदन के लेप से स्नान कराया जाता है, तब हृदय पर लगे चंदन में मां लक्ष्मी की छवि उभर आती है।
21- गर्भगृह मे एक दिया है जो वर्षों से जल रहा है। कोई नहीं जनता यह दिया किसने जलाया था पर कई सालों से वे जल रहा है।
22- विष्णु की यह एकमात्र प्रतिमा है जिसमें वे विशिष्ट मुद्रा में लक्ष्मी की तरह वर दे रहे हैं। उनमें लक्ष्मी समाहित है। इसलिए रोज के श्रंगार में प्रतिमा के ऊपरी हिस्से में साड़ी और निचले हिस्से में धोती बनाई जाती है।
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