अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) या आखा तीज वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। इसे सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है। यह हिन्दुओ के लिए बहूत ही पवित्र दिन होता है। इस दिन का किया हुआ तप, दान अक्षय फलदायक होता है। इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहते हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व
Importance of Akshay Tritiya
अक्षय का अर्थ होता है “जो कभी खत्म ना हो” और इसीलिए ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया वह तिथि है जिसमें सौभाग्य और शुभ फल का कभी क्षय नहीं होता। मान्यता है कि इस दिन कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य किये जा सकते हैं।
पुराणों के अनुसार, इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
अक्षय तृतीया क्यों मनाते हैं : सम्पूर्ण कथा
Akshay Tritiya Ki Katha
अक्षय तृतीया या आखा तीज से जुडी कई हिन्दू कथाये प्रचलित हैं। जो भी हो यह कथाएं रोचक हैं। तो आइये जानते हैं अक्षय तृतीया से जुडी इन पौराणिक कथाओं को –
# Akshay Tritiya : पंडित से अक्षय तृतीया के व्रत का ज्ञान मिला
प्राचीन समय में धर्मदास नाम का एक वैश्य था जो अपने परिवार के साथ एक गांव में रहता था। वह बहुत ही सदाचारी तथा देव-ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला था उसका परिवार बहुत बड़ा था इसलिए वह सदैव उसके लालन पालन के लिए व्याकुल रहता था।
सौभाग्यवश उस वैश्य को एक पंडित से अक्षय तृतीया के व्रत करने की विधि के बारे में पता चला। कालांतर में जब यह पर्व आया तो उसने गंगा स्नान किया। विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की। गोले के लड्डू, पंखा, जल से भरे घड़े, जौ, गेहूं, नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड़, सोना तथा वस्त्र आदि दिव्य वस्तुएं ब्राह्मणों को दान की।
पत्नी द्वारा बार बार मना करने के बाद भी कुटुम्बजनों से चिंतित रहने तथा बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म-कर्म और दान-पुण्य से विमुख न हुआ। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना।
उसका खजाना हमेशा स्वर्ण मुद्राओं , हीरे जवाहरातों से भरा रहता था। वह अच्छे स्वभाव का तथा दानवीर था। वह उदार मन से खुले हाथ से दान करता था और असहाय व गरीबो की भरपूर सहायता करता था।
एक बार राजा का वैभव और सुख शांतिपूर्ण जीवन देख कर दूसरे राजाओं ने उसकी समृद्धि का कारण पूछा। राजा ने स्पष्ट रूप से अपने अक्षय तृतीया व्रत की कथा कह सुनाई और कहा कि सब कुछ अक्षय तृतीय व्रत की कृपा से हुआ है।
राजा से सुनकर उन्होंने अपने राज्य में जाकर विधि विधान सहित अक्षय तृतीया का पूजन व व्रत किया तथा प्रजा को भी ऐसा ही करने को कहा। अक्षय तृतीया के पुण्य प्रताप से उनके सभी नगर वासी , धन धान्य से पूर्ण होकर वैभवशाली और सुखी हो गए।
अक्षय तृतीया के दान के प्रभाव से ही वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। वैभव संपन्न होने पर भी उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई। इसलिए कहते हैं अक्षय तृतीया के दिन इस कथा के श्रवण से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
# Akshay Tritiya : इस दिन हुआ था भगवान परशुराम का जन्म
ऐसा कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु इस धरती पर भगवान परशुराम के रूप में पैदा हुए थे। भगवान परशुराम भगवान महाविष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं।
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# Akshay Tritiya : इसी दिन गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर आई
माना जाता है की इस दिन स्वर्ग में वास करने वाली पवित्र गंगा नदी धरती पर उतरी थी। राजा भगीरथ द्वारा की गई तपस्या के फल स्वरूप भगवान शिव ने अपनी जटा में देवी गंगा को बांधकर धरती पर उतारा। इसीलिए अक्षय तृतीया के दिन गंगा नदी में स्नान शुभ माना जाता है।
# Akshay Tritiya : इसी दिन सुदामा श्री कृष्ण से मिले थे
माना जाता है इसी दिन सुदाम जो की बचपन से गरीब थे अपने सखा श्री कृष्ण से मिले थे। मदद के लिए एक दिन सुदामा कृष्ण के महल पहुंचे। परंतु संकोच के कारण वे अपनी पीड़ा भगवान कृष्ण से न कह पाए परन्तु भगवान कृष्ण उनकी मन की बात जान ली और जब सुदामा अपने घर पहुंचे तो उन्होंने देखा उनकी टूटी फूटी कुटिया की जगह एक शानदार भवन बन गया हैं और इस दिन सुदामा की आर्थिक स्थिति पूरी तरह बदल गई।
# Akshay Tritiya : इसी दिन देवी अन्नपूर्णा का जन्म हुआ
समृद्धि की देवी के रूप में पूजी जाने वाली देवी अन्नपुर्णा जो कि देवी पार्वती का रूप है, कहते हैं कि माँ अन्नपुर्णा का जन्म अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर हुआ था। इस दिन देवी अन्नपुर्णा की पूजा कर भक्त कामना करते हैं कि उनके भंड़ार सदा भरे रहें।
# Akshay Tritiya : कुबेर को मिला धन के देवता कर वरदान
माना जाता है कि धन-धान्य प्राप्त करने के लिए भगवान कुबेर ने देवी लक्ष्मी की उपासना की और अक्षय तृतीया के दिन ही माँ लक्ष्मी ने उनकी भक्ति से खुश होकर, उनकी इच्छा पूरी की तथा उन्हें धन का देवता बना दिया।
# Akshay Tritiya : इसी दिन लिखी गई महाकाव्य महाभारत
माना जाता है अक्षय तृतीया के दिन ही महर्षि वेद व्यास ने महाकाव्य महाभारत को लिखना शुरू किया। इसके अलावा, चीरहरण के वक्त जब द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को पुकारा तब द्रौपदी की मदद करने भगवान कृष्ण तुरंत पहुंच गए। माना जाता है कि यह घटना अक्षय तृतीया के दिन पर हुई थी।
इसलिए यह दिन बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। कोई भी शुभ कार्य इस दिन बहुत भी फलदायक माना जाता है।
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