सच्ची मित्रता – Sachi Mitrata – Hindi Story On True Friendship

Kahaanee : Sachi Mitrata – Hindi Story About True Friendship

यह हिंदी कहानी सच्ची मित्रता पर आधारित है। – Sachi Mitrata – Hindi Story On True Friendship। This Inspirational Hindi Story About True Friendship – This Story is Written by Pandit Shivsahaye Chaturvedi.

Kahaanee : Sachi Mitrata – Hindi Story About
True Friendship

राजा का बेटा उदय और मंत्री का बेटा विनय दोनों मित्र थे। दोनों ही बचपन से साथ साथ बड़े हुए। दोनों में बहुत Sachi Mitrata थी। उदय जहाँ कहीं भी जाता विनय भी उसके साथ जाता। उदय भी विनय के बिना एक पल भी नहीं रह पाता।

एक दिन दोनों दोस्त शिकार खेलने जंगल में गए। दोनों सारा दिन जंगल में घूमते रहे पर शिकार तो दूर कोई जानवर भी नहीं दिखा। दिन ढलता जा रहा था और दोनों बहुत थक चुके थे। दोनों ने निराश होकर घर जाने का विचार किया। उसी समय थोड़ी दूर पर उन्हें एक जंगली सूअर दिखाई दिया। हालाँकि दोनों थके हुए थे और उन्हें भूख भी लग रही थी पर हाथ आये शिकार को छोड़ना उन्हें सही नहीं लग रहा था, इसलिए वो धीरे धीरे उस जंगली सूअर की तरफ बढ़ने लगे।

जैसे ही सूअर ने उनके कदमों की आहाट सुनी वो तेज़ी से भागा। दोनों मित्र उसका पीछा करने लगे। सूअर आगे आगे जा रहा था और दोनों उसके पीछे पीछे। दोनों बहुत थके हए थे फिर भी वो उस सूअर के शिकार के लिए उसके पीछे दौड़ते रहें।

थोड़ी देर में ही अँधेरा हो गया और सूअर बच कर निकल गया। दोनों दोस्त भी काफी आगे निकल आये थे और थकान के कारण वापस जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। दोनों ही पास के एक पेड़ के नीचे बैठ, उदय को नींद आ रही थी उसने विनय से कहा की हम सुबह चलेंगे। विनय को भी उसकी बात पसंद आ गई। और दोनों मित्र पेड़ के नीचे लेट गए। उदय को तो लेटते ही नींद आ गई, लेकिन विनय यह सोचकर जगता रहा की कहीं कोई जंगली जानवर न आ जाये।

जिस पेड़ के नीचे दोनों लेटे थे उस पेड़ के ऊपर एक तोता और एक मैना बैठी थी। जब रात हो गई तो मैना ने तोते से कहा की कोई बात बताओ जिससे की रात कट जाये। तोता बोला ; अपने बारे में बताऊँ या किसी दूसरे के बारे में। मैना बोली अपने बारे में कभी और बताना अभी तो इनके बारे में बताओ जो इस पेड़ के नीचे बैठे हैं।

विनय उनकी बातों को सुन रहा था। तोते ने कहना शुरू किया ; देखों मैना यह दोनों मित्र हैं … Sachi Mitrata .. इनमे से एक राजा का पुत्र है और दूसरा मंत्री का। यह जो राजा का पुत्र है इस पर बहुत बड़ी मुसीबत आने वाली है। कुछ दिनों बाद इसकी शादी होने वाली है।

मैना बोली इसमें मुसीबत कैसी। तोता बोला ; सबसे पहली मुसीबत तो तब आएगी जब बारात जायेगी। जब बारात रास्ते में एक सूखी नदी पार करेगी। बाराती तो सब निकल जायेंगे, लेकिन जब दूल्हे की पालकी निकलेगी तो नदी में पानी आ जायेगा और पालकी बह जायगी। अगर कोई सुन रहा हो तो एक काम करे, बारात के नदी पार करने से पहले पालकी को पार करा दे।

इससे राजकुमार बच गया तो दूसरी मुसीबत आएगी। जब बारात नगर में पहुंचगी और पालकी को मंडप से उतारा जायेगा तो अचानक कही से शेर आ जाऐगा और दूल्हे पर हमला कर उसे मार देगा। अगर कोई सुन रहा हो तो कोई सावधान रहे और उस शेर को मार दे।

जब राजकुमार इससे भी बच जाएगा तो एक आफत और आएगी। जब बारात लोट कर आएगी तो एक बरगद के पेड़ के नीचे ठहरेग ी। राजकुमार भी एक और लेट जायेगा, लेकिन जैसे ही वो लेटेगा पेड़ की एक डाल टूटकर राजकुमार पर गिरती और वो मर जायेगा। अगर कोई सुन रहा हो तो एक काम करे, बारात को वही छोड़ कर राजकुमार को थोड़ा और आगे ले जाए और दूसरे पेड़ के नीचे ठहरे।

अगर राजकुमार इससे भी बच गया तो एक मुसीबत और आएगी। जब पहली रात राकुमार अपनी राजकुमारी के पास सोएगा तो आधी रात में एक काला साप आएगा और राकुमार को डस लेगा। अगर कोई सुन रहा हो तो रात भर वहां पहरा दे तो सांप को मार दे।

अगर राजकुमार इससे भी बच गया तो दूसरे दिन एक नागिन भी आएगी और राजकुमार को काट लेगी। अगर कोई सुन रहा हो तो रातभर पहरा दे तो नागिन को मार दे।

जब इन सब मुसीबतों से राजकुमार बच गया तो बहुत दिनों तक जियेगा और राज्य करेगा। लेकिन एक बात और मैना, यदि कोई यह सुन रहा है तो वो यह बात किसी को न बताये वार्ना वो पत्थर का बन जायेगा।

मैना ने पुछा ; यदि वो पत्थर का बन जायेगा तो फिर से आदमी नहीं बनेगा ? तोता बोला ; हाँ बन सकता है, यदि राजकुमार अपने होने वाले पहले लड़के का खून उस पत्थर पर डाले तो वो आदमी जीवित हो जायेगा। इतना कहकर तोता चुप हो गया।

रात बीत चुकी थी। विनय सोच में पड़ गया पर अंदर ही अंदर खुश भी था की वो अब अपनी दोस्त को बचा पायेगा। दिन निकला और दोनों दोस्त अपने नगर में लोट आये।

सच्ची मित्रता – Sachi Mitrata – Hindi Story

कुछ दिनों बाद उदय के विवाह की तैयारी होने लगी। ठीक समय पर बारात रवाना हुई। विनय भी साथ चला। चलते चलते रास्ते में सूखी नदी पड़ी। विनय ने आगे बढ़ते हुए कहा की पहले पालकी को आगे निकलने दो। जैसे ही पालकी दूसरी तरफ पहुंची की नहीं में बाढ़ आ गई। ज़रा से देर हो जाती तो पालकी डूब जाती। विनय ने सोचा चालो पहली बला टली। बाराती भी खुश हुए।

जैसे ही बारात नगर में पहुंची, राजकुमार पालकी से निकला तभी एक शेर आ गया तो राजकुमार पर हमला करने की लिए कूदा। विनय इस बात की लिए तैयार था। उसने तलबार से शेर पर प्रहार किया और उसे मार दिया।

विवाह संपन्न हुआ और बारात विदा हुई। चलते चलते रास्ते में एक घना बरगद का पेड़ मिला। उसकी के नीचे बारात ठहर गई। लेकिन विनय ने उदय से कहा ; चालो हम लोग आगे चलें। चार कदम पर ही इससे भी बढ़िया जगह है। वो दो कदम ही चले थे की उस पेड़ से एक शाखा टूट पर वही गिरी जहा पहले उदय बैठा था। बला टली वो बच गया।

बारात लौटकर घर आ गई। विनय ने सोचा अब दो तो मुसीबत रह गई हैं। राजकुमार को इससे भी बचाना चाहियें पर राकुमार और राजकुमार के कमरे में मैं छिप कर कैसे जाऊंगा। यदि उदय ने मुझे देख लिया तो वो मेरे बारे में क्या सोचगा। कहेगा की मैंने उसे धोखा दिया हो और बदनामी होगी सो अलग। लेकिन कुछ भी तो अपने दोस्त की जान तो बचानी ही होगी।

ऐसा सोच विनय पहले ही राजकुमार के कमरे में जाकर छिप गया। रात हुई राजकुमार और राजकुमारी दोनों गहरी नींद में सो रहे थे तभी एक काला सांप आया और राजकुमार की तरह बढ़ने लगा। विनय तो उसकी ताक में बैठा ही था उसने तलवार निकाली तो सांप के टुकड़े टुकड़े कर दिए। उन टुकड़ों को ढाल के नीचे रख कर चुपचाप दरवाज़ा खोल कर बाहर आया और घर आकर सो गया।

Sachi Mitrata

दूसरे दिन भी विनय राजकुमार के कमरे में छिप गया। आधी रात में राजकुमारी के बगल से होती हुई एक नागिन राकुमार की ओर बढ़ रही थी तभी विनय ने अपने खंज़र से उस पर हमाल किया और उसे काट दिया। नागिन के खून की एक बूंद छिटक कर राजकुमारी के गाल पर आ गई।

विनय ने सोचा की यदि यह खून राजकुमारी के मुँह में चला गया गया तो राजकुमारी मर सकती है। उसने सोचा यदि किसी कपडे से इसे साफ़ करता हूँ तो राजकुमारी जाग सकती है। वो आहिस्ता से राजकुमारी की तरह बढ़ा और जैसे ही उसने खून साफ़ करने के लिए अपना हांथ बढ़ाया, उदय जाग गया।

विनय को इस अवस्था में देखकर उसका खून खोल उठा। बोला धोखेबाज़, कपटी बता तू इस समय यहाँ क्यों आया है, राजकुमारी पर इस तरह क्यों झुका है, और उसने तलवार उठाकर विनय पर तान दी। विनय चुप खड़ा था।

उदय ने क्रोध से कापते हुए कहा ; जल्दी बता नहीं तो इस तलवार से अभी तेरे टुकड़े टुकड़े कर दूंगा। विनय सोच में पड़ गया ; अगर में इसे सब बता दूँ तो मैं पत्थर का बन जायूँगा और यदि नहीं बताता तो यह मुझे मार देगा और बदनामी होगी सो अलग।

उधर राजकुमार सा संदेह बढ़ता जा रहा था। दांत पीसकर वो बोला ‘दोस्ती का यह बदला, मुझे तुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। विनय बोला ; उदय में तुम्हें कभी धोखा नहीं दे सकता। तुम मेरे दोस्त हो और मैंने तुम्हारा नमक भी खाया है। लेकिन बस तुम मेरे आने का कारण मत पूछो। बस यह समझ तो कि मैंने तुम्हें धोखा नहीं दिया है।

लेकिन उदय ने अपने गुस्से में एक न सुनी और बोला ; मैं आख़िरी बार पूछ रहा हूँ। बताओ, नहीं तो मेरी यह तलवार होगी और तुम्हारा सिर।

विनय क्या करता उसने सारे बात उदय को बताई और वो मरी हुई नागिन और ठाल के नीचे मरा नाग भी दिखाया। अंत में उसने कहा अब तुम्हें विश्वास हुआ। लेकिन देखों में पत्थर हुआ जा रहा हूँ। सारा शरीर पत्थर का होता जा रहा है। सिर बचा है वो भी पत्थर को हो जायेगा।

उदय चीख पड़ा ; यह क्या, यह क्या विनय ?

विमय ने कहा ; तोते ने कहा था की यदि कोई इस भेद किसी को बता देगा तो वो पत्थर का हो जायेगा। विनय ने कहा ; उदय में जनता हूँ तुम्हें कितना दुःख होगा, लेकिन तोते ने बताया था की मैं फिर जीवित हो सकता हूँ, जब तुम अपने पहले पुत्र का खून पत्थर पर चढ़ाओ।

इतना कहते कहते विनय पूरा पत्थर का हो गया।

विनय बहुत दुखी हुआ और उस पत्थर को बाँहों में भरकर बैठा रहा।

तीन साल बाद उदय राजा हो गया। लेकिन विनय की याद उसे सताती रहती थी। न उसका मन खाने पीने में लगता था और न ही राजकाज में।

कुछ दिनों बाद उदय के एक लड़का हुआ। सारे राज्य में ख़ुशी मनाई जा रही थी पर उदय को विनय की वो अंतिम बाद याद थी “मैं फिर से जीवित हो सकता हूँ यदि तुम अपने पहले लड़के का खून मुझपर चढ़ाओ।

उदय के सामने परीक्षा की घडी थी। और और अपने पुत्र और दूसरी और मित्रता।

उसने रानी से कहा ; तुम्हें याद है की विनय ने उस रात क्या कहा था। रानी के चेहरे के रंग उड़ गया और वो कापने लगी।

उदय ने कहा ; विनय को जिन्दा करना होगा। रानी ने चुपचाप नवजात शिशु को राजा के हाथ में थमा दिया। राजकुमार ने उसे पत्थर पर लिटाया तो तलवार निकली। लेकिन उसका हाँथ नहीं चला। शिशु मुस्कुरा रहा था और रानी सन्न बैठी थी।

उदय ने दुवारा तलवार उठाई पर उससे हाँथ कापने लगे और तलवार हाँथ से छूट कर बच्चे की उंगली पर जा लगी। उंगली कट गई और खून निकल कर उस पत्थर पर पड़ा। धीरे धीरे विनय पत्थर से इंसान बनने लगा। थोड़ी देर में ही विनय जिन्दा हो गया।

उदय ने उसे उठाया और दोनों मित्र गले लग कर थोड़ी देर तक रोने लगे और उस दिन से वो दोनों सुखपूर्वक रहने लगे। .. Sachi Mitrata

कहानी के लेखक पंडित शिव सहाय चतुर्वेदी

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8 Replies to “सच्ची मित्रता – Sachi Mitrata – Hindi Story On True Friendship

  1. Meri problem yeh h ki mai ek naye jagah aayi hu jahan mujhe koi nhi janta h…. Yha ke mahol k hisab se meri thinking bhut piche h… Mujhe lgta h meri soch or yha k logo ki soch bhut alag h… Mai yha adjust nhi ho pa rhi pr mai wapis apne ghr nhi jaa skti kyuki mere parents ne bhut hope k saath mujhe yha bheja h…. Mujhe kch smjh nhi aa rha ki mai kya kru…. Plz help me

    1. यह कोई बहुत बड़ी प्रॉब्लम नहीं है, ऐसा कई लोगों के साथ होता है जो छोटे शहर से बड़े शहर जाते हैं। पायल जी सबसे पहले तो आप हमेशा पॉजिटिव रहने की कोशिश करें। आप यह कभी न सोचें की आपकी सोच पिछड़ी हुई है।
      मेरा एक दोस्त डॉक्टर है और मैं नहीं हूँ, फिर भी हम दोस्त हैं। यहाँ मेरी सोच और उसकी सोच में यकीनन अंतर है लेकिन जो मैं जनता हूँ वो नहीं जनता। तो आप भी जो जानते है वो और लोग नहीं जानते।
      आप नए दोस्त बनाने की कोशिश करें – यकीनन कोई न कोई दोस्त बन जायेगा।
      आप जो करने आये हैं उसे बेस्ट करें। सबसे पहले अपने लक्ष्य पर ध्यान दें क्योकिं जो आप करने आये हो वो सबसे इम्पोर्टेन है इसे समझे और अपने आपको व्यस्त रखें। किताबें पढ़ें। इस ब्लॉग में कई आर्टिकल हैं तो आपके लिए हेल्पफुल हो सकते हैं उन्हें पढ़ें। कुछ न कुछ नया सीखते रहें।
      अगर किसी को मदत की जरूरत है तो जरूर करें। कुछ समय में ही आपके बहुत से दोस्त होंगे। अगर आपकी ही तरह कोई और भी इस जगह नया है तो उससे दोस्ती करें।
      याद रखें – Life is a serious .. understand it …..but don’t take life serious .. live it.

      1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपका दिल आपका अच्छा विचार है।

  2. Hello sir namskar Mai Janna chahti hu ki Mai Meri life me kisi ko bhut manti hu jaan se bhee jyada wo bhee mante hai but ab mujhe lgta hai ki wo mujhe phle ki tarh seriously nhi lete hmesa bolna ki agr nhi rhogi Meri life me tab bhee koi parwah nhi hai rah lunga aur ignore kr dete hai kbhi kbhi mante bhee hai par agle hi pal whi bat Meri bate fillings bhavnaye jankar bhee esa hota hai aur Mai khud ko smbhal nhi pati life unke sath expend krna chahti hu kisi aur ko apna nhi skungi unko Meri importance kab smajh aayegi yhi sochti hu plz help

    1. hello Ananya.Singh aap yakeen maniye sabhi ki life alag alag hoti hai. koi bhi Relationship ho per her person ki ek apni freedom hoti hai, abaate hai aapke sawal ke jawab per agar khane me namak nahi hoga to swad nahi aayega or jyada hoga to khana kadva ho jayega. her cheez ka santulan bahut jaroori hai. Aap kisi ko bahut manti hain jaan se bhee jyada or wo bhi apko mante hain …per aapki umeeden kuch jyada hain.. yadi aap kisi ko chaho to ye umeed bilkul nahi rakhon ki wo bhi aapko utna hi chahe, balki care karna seekhiye.. aapne kaha wo bhi apki prawah karte hain per ho sakta hai aapki parwah karne ka tarika unhen aisa lagta ho jaise ki aap unhen bandh rahi hon. kushi, pyar or care aap jita dengen wo aapke paas kai guna lotkar aaygi. aap nirash n hon bas uhne samjhen or bina koi shikayat kiye jaanane ki koshish karen ki unka aisa vyavhar kyon ho gaya hai…rishton me santulan banana bahut jaroori hai.. aap nirsh n ho or life ki problems ka samna karen….

      pls read this article also : रिश्तों को मजबूत और खुशहाल बनाने के 5 महत्वपूर्ण सुझाव | Tips for Healthy Relationship

      thanks!

  3. aapne bahut kahani likhi hai ,pdhke achha lga .kya aap meri help kr sakte hai

    mai kaam karne me itna busy ho jata hun ki mai apne dosto ko smy nhi de pata aur ydi kuchh smy nikal kar mai baat bhi karta hun ,to mera mn kaam ke baare me hi sochta rehta hai ,mai unki baato pr dhyan nhi de pata .jiski wajah se wo log mujhe pasand nhi karte .please help me

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