भगवान विष्णु के श्राप के कारण माता लक्ष्मी के नौकरानी बनने से जुड़ी पौराणिक कथा !

माता लक्ष्मी के नौकरानी

नमस्कार मित्रो आज के इस अंक में हम आपको बताने जा रहे है पौराणिक कथा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी से जुड़ी हुई जिसमे भगवान विष्णु के एक श्राप के कारण माता लक्ष्मी को नौकरानी बनना पड़ा था | जाने इससे सम्बन्धित क्या है पूरी कथा :- 

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भगवान विष्णु का धरतीलोक पर आने की भगवान विष्णु के श्राप के कारण माता लक्ष्मी के नौकरानी बनने से जुड़ी पौराणिक कथा  इच्छा

इस पौराणिक कथा अनुसार एक बार भगवान विष्णु जब शेषनाग पर बैठे बैठे बोर होने लगे थे तो उन्होंने मन ही मन धरतीलोक पर विचरण करने का मन बनाया क्योंकि उन्हें इस लोक में आये बहुत समय हो चुका था तो उन्होंने धरती पर आने की तैयारी शुरू कर दी |

माता लक्ष्मी द्वारा भगवान विष्णु को अपनी इच्छा बताना

इस पौराणिक कथा अनुसार जब माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को तैयार होकर कही जाते हुए देखा तो उनसे पूछ लिया कि वो कहाँ जा रहे है जिसके उत्तर में भगवान विष्णु ने उन्हें अपने धरतीलोक जाने से सम्बन्धित यात्रा की पूर्ण जानकारी दी | जिसके बाद माता लक्ष्मी ने भी उनके साथ अपनी जाने की इच्छा बताई |

भगवान विष्णु द्वारा माता लक्ष्मी को एक शर्त बताना

माता लक्ष्मी की बात सुनकर भगवान विष्णु उन्हें अपने साथ ले जाने को तैयार हो गये पर एक शर्त के साथ कि वो धरतीलोक पर उत्तर दिशा की ओर बिलकुल भी नही देखेंगी जिसको माता लक्ष्मी ने बड़े हर्ष से स्वीकार कर लिया और दोनों धरतीलोक की ओर निकल गये |

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का धरती लोक पर आगमन 

जब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी धरतीलोक पर पहुँचे तो वहां का मौसम कुछ समय पूर्व हुई  बारिश के कारण बहुत सुहावना हो रहा था | चारो और हरियाली और सूर्य देव की मध्यम-मध्यम  किरणों का नजारा देखते ही बन रहा था |

माता लक्ष्मी द्वारा अपना वचन तोड़ना

धरतीलोक पर आकर प्रक्रति की ऐसी मन मोह लेने वाली सुन्दरता और नज़ारे को देखकर माता लक्ष्मी भगवान विष्णु को दिया हुआ अपना वचन भूल गई और उत्तर दिशा की ओर देखते हुए एक बहुत ही सुन्दर और खुशबु से भरे उद्यान की ओर प्रस्थान कर गई और वहाँ लगे सुन्दर फूलो में से एक को तोड़कर भगवान विष्णु के पास चली आई |

भगवान विष्णु द्वारा माता लक्ष्मी को श्राप दिया जाना

जब भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के हाथ में उस बगीचे से तोडा हुआ सुन्दर फुल देखते है तो बहुत दुखी और क्रोधित हो जाते है और उन्हें अपने द्वारा दिए गये वचन को याद दिलाते है। भगवान विष्णु की बाते सुनकर माता लक्ष्मी को अपने द्वारा तोड़े हुए उस वचन और बिना किसी आज्ञा के उस सुन्दर फूल को तोड़ने की गलती का एहसास होता है और वो अपनी उस भूल के लिए भगवान विष्णु से क्षमा मांगती है पर भगवान विष्णु ने उन्हें क्षमा ना देकर उस गलती और भूल को पाप मानते है और उन्हें दंड के तौर पर श्राप देते है कि “जिस माली के बगीचे से उन्होंने ये फूल उसकी बगैर आज्ञा तोड़ा  है उसके घर पर माता लक्ष्मी को अगले 3 वर्षो तक नौकरानी बनकर अपनी गलती का पश्चाताप करना होगा जिसके बाद भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को बैकुंठ धाम वापस बुला लेंगे” |

माता लक्ष्मी द्वारा भगवान विष्णु के श्राप का मान रखना 

माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के उस श्राप का मान रखने और उनकी आज्ञा मानते हुए एक गरीब लड़की का रुप धारण करती है और उस माली जिसका नाम माधव था, की झोपड़ी पर जाती है जहाँ वो देखती है कि वो बेचारा माली उस टूटी-फूटी झोपड़ी में अपनी पत्नी, 2 बेटो और 3 बेटियों के साथ रहता था | जब वो गरीब माली अपने दरवाजे पर एक कन्या को देखता है तो उस कन्या से उसका नाम और यहाँ आने की वजह पूछता है जिसके जवाब में माता लक्ष्मी उस माली के प्रश्न के उत्तर में जवाब देती है कि वो एक गरीब और अनाथ लड़की है जिसने बहुत दिनों से कुछ भी नही खाया है। 

उस गरीब लड़की की ये बाते सुनकर उस माली को दया आ गई और उस माली ने माता लक्ष्मी को अपनी झोपड़ी में जगह देते हुए कहा कि वो जो भी रूखा-सूखा अपने घरवालो को खिलाता-पिलाता है, कपड़े पहनने को देता है वैसी ही सुविधा उस गरीब कन्या को भी देंगा जिसके बाद माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के श्राप का मान रखते हुए पूरे 3 वर्ष के लिए उस गरीब माली की झोपड़ी में शरण ले ली |

माता लक्ष्मी के गरीब कन्या के रूप में आने से गरीब माली की किस्मत बदली

माता लक्ष्मी के गरीब लड़की के रूप में उस माली की झोपड़ी में आते ही उस माली की किस्मत बदलने लगी | माँ लक्ष्मी के आते ही उस माली की अगले दिन से आय बढ़ गई जिससे उसने एक गाय खरीदी और फिर धीरे-धीरे उस माली ने जमीन खरीदकर अपना पक्का घर भी बनवा लिया और घर के सभी सदस्यों के लिए गहने, कपड़े और सुख-सुविधा की सारी चीज़े बना ली | वो गरीब माली माधव और उसका पूरा परिवार हमेशा ही उस गरीब लड़की के बारे में सोचते थे जिसके आने के बाद उनकी किस्मत ही बदल गई थी |

माता लक्ष्मी द्वारा श्राप की अवधि पूर्ण करने के बाद बैकुंठ धाम प्रस्थान किया जाना 

इस तरह पूरे 3 वर्ष बीत गये और एक दिन जब वो माली अपने खेतो में कार्य पूर्ण करके घर आया तो उसने देखा कि उसके घर के सामने एक देवी स्वरुप गहनो से सजी औरत खड़ी है जिसको देखकर उस माली को ज्ञान हुआ कि ये औरत तो साक्षात देवी लक्ष्मी है जो पूरे 3 वर्षो तक उसकी झोपड़ी में एक गरीब कन्या के रूप में रही थी | वो तुरंत अपने पूरे परिवार को बुलाता है और माता लक्ष्मी से अपने द्वारा घर और खेतो में कराये गये पारिश्रमिक कार्यो के लिए क्षमा मांगने लगता है पर माता लक्ष्मी उल्टा मुस्कुराते हुए उस माली और उसके पूरे परिवार को अच्छे और भले लोग बताती है और पूरे परिवार को सर्वदा धन संपन्न रहने का वरदान देकर अपने स्वामी भगवान विष्णु के द्वारा भेजे गये रथ मे बैठकर बैकुण्ठ धाम की और प्रस्थान कर जाती है |

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