नमस्कार मित्रो, आज की अपनी इस पौराणिक कथा की श्रंखला में हम आपके लिए लाये है पौराणिक कथा गणेश जी की पूजा में तुलसी नहीं चढ़ाई जाने से सम्बन्धित | Shri Ganesh and Tulsi Story In Hindi in hindi ; ये तो हम सभी जानते है कि वैसे तो भगवान विष्णु को तुलसी कितनी प्रिय है क्योंकि उनके एक रूप भगवान शालिग्राम से हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उनका विवाह होता है और यहीं नही प्रभु श्री कृष्णा, प्रभु राम की आराधना के बाद हम सभी तुलसी का ग्रहण प्रसाद के रूप में करते है लेकिन वही दूसरी और एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान गणेश के पूजन में तुलसी का उपयोग वर्जित है | ऐसा क्यों है जाने इस पौराणिक कथा से ….
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गणेश जी की पूजा में तुलसी नहीं चढ़ाई जाने से जुड़ी पौराणिक कथा – Why Tulsi (The holy Basil) isn’t offered to Lord Ganesha- Ganesh and Tulsi Story
जाने कौन थी तुलसी
पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी एक धर्मात्मज नामक राजा की पुत्री थी |
जाने तुलसी की इच्छा से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी अपनी यौन अवस्था के कारण जल्दी ही एक योग्य, सुन्दर वर से विवाह करना चाहती थी जिसके लिए उन्होंने कई जगह की तीर्थ यात्रा की |
जाने तुलसी के मन में गणेशजी से विवाह करने की इच्छा उत्पत्ति होने से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी तुलसी सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करके गंगा के तट पर पंहुची तब उन्हें गणेशजी गंगा के किनारे तप करते हुए दिखाई दिए | उन्होंने देखा कि गणेशजी युवावस्था में ही रत्न से जड़े सिंहासन पर विराजमान होकर गहरी तपस्या में लींन थे| उनके समस्त अंगों पर चंदन लगा हुआ था और गले में पारिजात पुष्पों के साथ स्वर्ण-मणि रत्नों के अनेक हार तथा कमर पर रेशम का पीताम्बर लिपटा हुआ था | बस फिर क्या था तुलसी गणेशजी के इस रूप को देखकर उनपर मोहित हो चुकी थी और मन ही मन उनसे विवाह करने का मन बना चुकी थी |
जाने गणेशजी द्वारा तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकराये जाने से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी ने अपने विवाह की इच्छा गणेशजी को बताने के लिए उनके ध्यान में विघ्न डालकर उनकी तपस्या को भंग कर दिया जिससे गणेशजी क्रोधित हो गये | इसके बाद जब तुलसी ने उनको विवाह का प्रस्ताव दिया तब सबसे पहले उन्होंने तुलसी द्वारा किये गये उनकी तपस्या भंग करने को अशुभ बताया और कहा कि वो ब्रह्मचारी है इसलिए तुलसी से विवाह नही कर सकते |
जाने तुलसी द्वारा गणेशजी को श्राप देने से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब गणेशजी ने तुलसी का विवाह प्रस्ताव ठुकराकर उससे विवाह करने से मना कर दिया तब तुलसी मन ही मन बहुत दुःख और पीड़ित हुई और उन्होंने बहुत भारी क्रोध और आवेश के कारण गणेशजी को श्राप दिया कि उनके एक नहीं बल्कि दो-दो विवाह होंगे।
जाने गणेशजी द्वारा तुलसी को श्राप देने से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब तुलसी ने आवेश में आकर गणेशजी को श्राप दिया तब गणेश जी एक तो पहले से ही तुलसी द्वारा उनके तप को भंग करने से नाराज थे और फिर तुलसी द्वारा दिए गये श्राप से उन्हें भी अत्यधिक क्रोध आ गया और उन्होंने भी तुलसी को श्राप दे दिया कि उनका विवाह एक शंखचूर्ण नामक असुर से होगा |
जाने तुलसी द्वारा गणेशजी से क्षमा मांगने से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब गणेशजी ने तुलसी को एक शंखचूर्ण नामक असुर से विवाह करने का श्राप दिया तब तुलसी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेशजी से क्षमा याचना मांगी | तब श्री गणेश ने उनसे कहा कि भले ही उनका विवाह एक असुर से होंगा लेकिन वो सदा ही भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को प्रिय रहेंगी और कलयुग में जगत के लिए जीवन और मोक्ष देने वाली होगी लेकिन गणेशजी के पूजन में कभी भी तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जायेंगा । बस तभी से गणेश जी की पूजा में तुलसी नही चढ़ाई जाती |
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