Sunrise Candles कंपनी फाउंडर भावेश भाटिया की सफलता की कहानी जिनके जज्बे ने गरीबी और नेत्रहीनता के बावजूद भी करोड़ों की कम्पनी खड़ी कर दी। | Bhavesh Chandubhai Bhatia Success Story In Hindi

Bhavesh Chandubhai Bhatia Success Story

नमस्कार मित्रो, आज की अपनी इस सफलता की कहानी (Story of Success) की इस श्रंखला में हम आपको बताने जा रहे है सच्ची दास्तान ‘सन राइज कैंडल’ कंपनी फाउंडर भावेश चंदूभाई भाटिया (Sunrise Candles Company Owner Bhavesh Chandubhai Bhatia Success Story In Hindi) की जिन्होंने गरीबी और नेत्रहीनता के बावजूद भी एक स्ट्रीट वेंडर से लेकर करोड़ों की कम्पनी खड़ी कर दी और इस बात को साबित कर दिया कि भले ही इंसान अक्षम हो सकता है लेकिन यदि उसमे कुछ कर दिखाने का जुनून और हौसला हो तो वो कुछ भी प्राप्त कर सकता है और इस पूरे समाज के लिए खुद को एक उदहारण की तरह पेश कर सकता है | चलिए जाने सन राइज कैंडल कंपनी फाउंडर भावेश भाटिया की सफलता की कहानी विस्तार से

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Bhavesh Chandubhai Bhatia Success Story In Hindi

जाने भावेश भाटिया के जन्म और परिवार से जुड़ी कहानी

भावेश भाटिया का जन्म गुजरात के कच्छ जिले के अंजर गाँव में हुआ था । उनका पूरा नाम भावेश चंदुभाई भाटिया है | उनके पिताजी एक गेस्ट हाउस में केयर टेकर कार्य करते थे | उनकी माताजी एक गृहणी थी जो भावेश के जन्म के समय से ही कैंसर की बीमारी से ग्रस्त थीं। जब भावेश 20 वर्ष की उम्र के थे वह  एक होटल में मैनेजर की नौकरी कर रहे थे और अपनी माँ के इलाज के लिए पैसे बचाने के लिए खूब महेनत करते थे। लेकिन उनकी माँ  का निधन हो गया।

जाने भावेश भाटिया के नेत्रहीन होने से जुड़ी कहानी

भावेश भाटिया जन्म के साथ ही Retina Muscular Deterioration* नामक बीमारी के शिकार थे और 20 वर्ष की आयुं तक आते-आते उनकी आँखों की रौशनी पूरी तरह से चली गयी जिसके कारण उन्हें  नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा और उनकी माँ ने भी कैंसर के कारण इस दुनिया का त्याग कर दिया और तब  शुरू हुआ उनके जीवन का बहुत बड़ा वाला संघर्ष |

(*धब्बेदार अध: पतन एक आम, दर्द रहित आंख की स्थिति है जिसमें रेटिना का मध्य भाग बिगड़ता है और पर्याप्त रूप से कार्य नहीं करता है।)

जाने भावेश भाटिया के जीवन में संघर्ष करने से जुड़ी कहानी

भावेश भाटिया ने कभी भी हार मानना नहीं सीखा था। अपने पैरो पर फिर से खड़ा होने के लिए उन्होंने एक ब्लाइंड स्कूल से 4 माह का मोमबती और acupressure therapy का कोर्स पूर्ण किया | इसके बाद अपना खुद का व्यापार करने के लिए उन्होंने महाबलेश्वेर के होटलों में मसाज और acupressure therapist का कार्य करना शुरू किया और उस कार्य से कुछ पैसे बचाये और 5 किलोग्राम मोम और कैंडल बनाने वाला एक सांचा ख़रीदा और कैंडल बनाने शुरू किया जिसको उन्होंने अपने होटल के पास होली क्रॉस चर्च के सामने एक ठेले पर बेचने शुरू किया।  प्रतिदिन 25 रुपये बचाने शुरू किये।

वो इतना करने पर संतुष्ट नही थे और कुछ बड़ा करना चाहते थे जिसके लिए वो दूसरे लोगों से सहायता की उम्मीद करते किन्तु कहीं से भी उनकी बात नही बन पाती | यहाँ तक बैंक से भी लोन मिलने की कोई संभावना नही थी |सभी लोग बस अपनी सहानुभूति दिखाते और चले जाते |

जाने भावेश भाटिया के जीवन में दोस्त के रूप में मिली पत्नी मिलने से जुड़ी कहानी

कहते है कि हर कामयाब आदमी की पीछे एक औरत का हाथ होता है कुछ ऐसा ही हुआ भावेश भाटिया के जीवन में भी जब एक दिन उनकी मुलाकात उनकी ठेले पर आई नीता नामक लड़की से हुई जो आगे उनकी जीवन संगिनी के रूप में उनकी पत्नी बनी |  नीता और भावेश के बीच दोनों के स्वभाव के कारण जल्दी ही मित्रता और फिर प्यार हो गया और घरवालो की लाख मना के बावजूद नीता ने भावेश से विवाह कर लिया |

जाने भावेश भाटिया और नीता द्वारा रात-दिन मेहनत करके जीवन में सफलता प्राप्त करने से जुड़ी कहानी – Bhavesh Chandubhai Bhatia Success Story

शादी के बाद भावेश भाटिया और नीता दोनों ने रात-दिन मेहनत करके मोमबत्ती के छोटे से व्यापार को आगे बढ़ाना शुरू किया और जल्दी ही दोनों ने पैसे जुटाकर एक दुपहिये वाली गाडी खरीदी और जगह-जगह घूम-घूमकर मोमबती बेचनी शुरू की | नीता व्यापार बढ़ाने के लिए बज्ज़र में अक्सर बिकने वाली मोमबती के डिजाईन के बारे में बताती और भावेश एक बार उन्हें छू कर महसूस करते और घर पर आकार उससे बढियां मोमबती बनाने का प्रयास करते | धीरे-धीरे उन्होंने कैंडल के लिए एक वैन खरीदी और उसे चलाना भी सीख लिया |

जाने भावेश भाटिया और नीता द्वारा सनराइज कैंडल की स्थापना से जुड़ी कहानी

कहते है जब वक़्त अच्छा हो तो भगवान स्वयं आपकी सहायता करता है यहीं हुआ भावेश के साथ जब जल्दी ही उन्हें NBA द्वारा नेत्रहीन लोगों के लिए चलाई जाती विशेष स्कीम के तहत सतारा बैंक के से 15000 रुपये प्राप्त किये और उनके एक मित्र ने उनकी हुनरता से प्रभावित होकर उनके लिए  www.sunrisecandles.in नामका वेबसाइट का निर्माण किया जिसमे उनके द्वारा बनाई जाने वाली सभी मोमबती की डिजाईन दिखाई जाने लगी |

उनको इस वेबसाइट के कारण बहुत बड़े आर्डर प्राप्त होने लगे जिसके कारण उन्हें सामान रखने के लिए अतिरिक्त स्थान की आवश्यकता पड़ने लगी तब उनके एक बिल्डर मित्र ने एक स्थान की व्यवस्था कराई जहाँ वो अपनी आर्डर वाली कैंडल रखने लगे |

अब उन्हें जरुरत थी और लोगो को अपने साथ जोड़ने की जिससे वो अपना काम सुचारू रूप से चला सके जिसके लिए उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर जीवन का एक महत्वपूर्ण फैसला लिया सनराइज कैंडल की स्थापना करने का जो पूर्ण रूप से नेत्रहीन लोगो के लिए समर्पित थी | इस कंपनी के जरिये उनका लक्ष्य नेत्रहीन लोगो को इस कार्य से सम्बन्धित ट्रेनिंग देकर अपने यहाँ ही नौकरी देने का था जिससे वो भी आत्मनिर्भर बनकर समाज में अपने पैरो पर खड़े हो सके  और वो अपने इस मिशन में बहुत हदतक कामयाब भी रहे है |

आज उनकी इस कंपनी में सैकड़ो नेत्रहीन लोग रात-दिन हज़ारो प्रकार की कैंडल बनाते है जो रिलायंस इंडस्ट्रीज, बिग बाज़ार, रोटरी क्लब, नारद इंडस्ट्रीज, रैन्बोक्सी जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों को भेजी जाती है।  आज उनकी इस कंपनी की वार्षिक आय 25 करोड़ से ऊपर की है |

जाने भावेश भाटिया के जीवन से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बाते

भावेश भाटिया ने मलेश्वर गाँव में नेत्रहीन लोगो के लिए एक कोचिंग सेंटर  भी खुलवाया है जहाँ लोग मोमबती बनाने की ट्रेनिंग प्राप्त करते है |

भावेश भाटिया को स्पोर्ट्स में बहुत रूचि है और वो अब तक paralympic games में हिस्सा लेकर  जेवलिन थ्रो, शॉटपुट ,डिस्कस थ्रो आदि खेलो में 109 पदक जीत चुके हैं ।

भावेश भाटिया को उनके द्वारा किये गये सामाजिक और औद्योगिक कार्यो के लिए कई महत्वपूर्ण पुरस्कार मिल चुके है |

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2 Replies to “Sunrise Candles कंपनी फाउंडर भावेश भाटिया की सफलता की कहानी जिनके जज्बे ने गरीबी और नेत्रहीनता के बावजूद भी करोड़ों की कम्पनी खड़ी कर दी। | Bhavesh Chandubhai Bhatia Success Story In Hindi

  1. Mukesh जी इतनी inspiring story को share करने के लिये आपका बहुत -बहुत धन्यवाद|

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