नारियल के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा Story (Mythology) of Coconuts Birth In Hindi

Coconuts Birth In Hindi

नमस्कार मित्रो आज के अपने इस लेख के जरिये हम आपको बतायेंगे पौराणिक कथा नारियल के जन्म की जिसके उपयोग का हिन्दू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ ,कर्मकांड और विधि-विधान आदि में विशेष महत्व होता है | इसका उपयोग हिन्दू धर्म के अनुयायी सभी धार्मिक अनुष्ठानो में करते है जिसे श्रीफल भी कहा जाता है | ये कथा है राजा सत्यव्रत और ऋषि विश्वामित्र से सम्बन्धित है। चलिए जाने पूरी पौराणिक कथा Story (Mythology) of Coconuts Birth विस्तार से 

Contents

नारियल के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा Story (Mythology) of Coconuts Birth In Hindi 

जाने कौन थे राजा सत्यव्रत 

पौराणिक कथाओ के अनुसार राजा सत्यव्रत एक बहुत ही प्रतापी, महान और परोपकारी राजा थे | उनका ईश्वर की शक्ति और श्रध्दा में बहुत भाव और विश्वास था |

जाने कौन थे ऋषि विश्वामित्र

पौराणिक कथाओ के अनुसार ऋषि विश्वामित्र वैदिक काल के बहुत महान प्रतापी, तेजस्वी और विख्यात ऋषि थे जो एक ऋषि बनने से पूर्व बड़े पराक्रमी और यशस्वी राजा भी थे | उनका जन्म क्षत्रिय कुल में हुआ था पर उन्होंने अपनी तपस्या के बल पर ब्रह्मर्षियो का ज्ञान प्राप्त किया था |

Mythology about Coconuts Birth In Hindi

जाने क्या है राजा सत्यव्रत की इच्छा से जुड़ी कथा 

पौराणिक कथाओ के अनुसार राजा सत्यव्रत पर भगवान की कृपा से संसार के सारे सुख-संसाधन थे पर उनके मन की एक बहुत बड़ी इच्छा थी | उनको स्वर्ग का सौंदर्य हमेशा ही आकर्षित करता था जिसके कारण उनका मन हमेशा से ही पृथ्वीलोक से स्वर्गलोक की यात्रा करने का करता था पर ज्ञान के अभाव में वो अपनी इस इच्छा की पूर्ति नही कर पा रहे थे |

जाने राजा सत्यव्रत द्वारा ऋषि विश्वामित्र को अपनी इच्छा बताई जाने से जुड़ी कथा 

पौराणिक कथाओ के अनुसार एक बार राजा सत्यव्रत के राज्य में बहुत ही भयंकर सूखा और अकाल पड़ गया जिससे पूरे राज्य में लोगो के खाने-पीने के लाले पड़ गये | उस वक्त उनके राज्य में ऋषि विश्वामित्र भी अपने परिवार समेत रहते थे जो उस सूखे के समय तप करने अपने परिवार से बहुत दूर हिमालय कि चोटियों पर गए हुए थे | ऐसे समय में राजा सत्यव्रत ने अपने राज्य के लोगो की तन-मन-धन से सेवा और सहायता की | सभी लोगो के खाने-पीने का इंतज़ाम किया | उन सभी लोगो में ऋषि विश्वामित्र का परिवार भी था जिनकी राजा सत्यव्रत ने देखरेख की ज़िम्मेदारी ली थी |

जब बहुत समय बाद ऋषि विश्वामित्र अपने परिवार के पास लौटे उनकी पत्नि ने राजा सत्यव्रत की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए बताया कि कैसे इतनी विषम परिस्तिथि में राजा ने उनके परिवार समेत पूरे राज्य की सहायता की | यह सुनकर ऋषि विश्वामित्र आभार व्यक्त करने राजा सत्यव्रत के दरबार पहुँचे और राजा से प्रसन्न होकर उनसे कोई भी वर मांगने को कहा तब राजा सत्यव्रत ने उनको अपनी स्वर्ग जाने वाली मन की इच्छा बताई |

जाने ऋषि विश्वामित्र द्वारा राजा सत्यव्रत की इच्छा पूर्ण करने से जुड़ी कथा 

पौराणिक कथाओ के अनुसार ऋषि विश्वामित्र ने राजा सत्यव्रत की इच्छा का मान रखते हुए अपने तपोबल की शक्ति और तेज से धरती और स्वर्ग को जोड़ने वाला एक वैकल्पिक मार्ग तैयार कर दिया जिससे राजा सत्यव्रत बिना किसी रुकावट के धरती से स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गये |

जाने देवराज इंद्र द्वारा राजा सत्यव्रत के अपमान करने से जुड़ी कथा 

पौराणिक कथाओ के अनुसार राजा सत्यव्रत जैसे ही ऋषि विश्वामित्र द्वारा तैयार वैकल्पिक मार्ग से धरती से स्वर्ग के निकट पहुँचे और स्वर्ग में प्रवेश करने की कोशिश करने लगे तभी देवराज इंद्र ने उन्हें क्रोध और आवेश में आकर स्वर्ग से नीचे की ओर धकेल दिया जिससे वो वापस धरती पा आ गिरे |

जाने राजा सत्यव्रत द्वारा ऋषि विश्वामित्र से उस दुर्व्यवहार के बाद भेट करने से जुड़ी कथा 

पौराणिक कथाओ के अनुसार देवराज इंद्र द्वारा राजा सत्यव्रत के साथ किये गये इस दुर्व्यवहार के बाद उन्होंने ऋषि विश्वामित्र से भेट की और उनको रोते हुए अपने साथ हुए पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया जिसके बाद ऋषि विश्वामित्र अत्यंत क्रोध में आ गये और स्वर्गलोक जा पहुँचे और देवताओ से इस समस्या का हल निकालने की कहने लगे | यूँ तो सभी देवता ऋषि विश्वामित्र का बहुत आदर-सत्कार करते थे पर एक जीवित इंसान का स्वर्गलोक आना उन्हें पसंद नहीं था | सभी देवताओ ने साफ़ इंकार कर दिया तब ऋषि विश्वामित्र और क्रोधित हो गये ऐसे में देवताओ के गुरु ब्रहस्पति ने उनका बीच-बचाव किया |

जाने गुरु ब्रहस्पति द्वारा दिए गये नये स्वर्गलोक निर्माण के सुझाव से जुड़ी कथा 

गुरु ब्रहस्पति ने स्वर्गलोक कि मर्यादा रखने और ऋषि विश्वामित्र के वचन का मान रखने हेतु एक बीच का मार्ग निकाला जिसके अनुसार देवताओ ने स्वर्गलोक और पृथ्वीलोक के मध्य राजा सत्यव्रत के लिए एक नये स्वर्ग का निर्माण कराया जिसपर किसी को भी आपत्ति नही थी |

जाने नारियल के पेड़ की उत्पत्ति से जुड़ी कथा – Mythology of Coconuts Birth In Hindi 

पौराणिक कथाओ के अनुसार जब नये स्वर्ग के निर्माण के फैसले से सभी खुश थे तब भी ऋषि विश्वामित्र एक चिंता में डूबे हुए थे कि धरती और स्वर्गलोक के बीच होने के कारण कहीं जोरदार हवा चली तो ये नया स्वर्गलोक डगमगा जायेंगा और यदि ऐसा हुआ तो राजा फिर से धरती पर आ गिरेंगे। ऐसे में उन्होंने अपनी इस चिंता के निदान हेतु नये स्वर्गलोक को सहारा देने पृथ्वीलोक से नये स्वर्गलोक तक एक मजबूत खंबे का निर्माण किया जो आगे चलकर एक एक पेड़ के रूप में परिवर्तित हो गया और राजा सत्यव्रत के निधन के पश्चात् उनका ही सिर एक फल बन गया | तभी से ये पेड़ नारियल का पेड़ और राजा सत्यव्रत का सिर नारियल का फल कहलाता है |

उस प्राचीन कथानुसार राजा सत्यव्रत को “ना इधर का का ना उधर का” उपाधि दी गई क्योंकि वो हमेशा के लिए पृथ्वीलोक और स्वर्गलोक के मध्य लटके हुए रह गये |

हमे आशा है कि आपको हमारी ये नारियल के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा (Mythology of Coconuts Birth) अवश्य पसंद आयेंगी |

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