“कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा” कहावत से जुड़ी पौराणिक कथा | Mahabharat Story about Bhanumati Ne Kunba Joda

Bhanumati Ne Kunba Joda

Mahabharat Story about Bhanumati Ne Kunba Joda : आपने यह कहावत शायद सुनी हो “कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा” यदि नहीं सुनी तो हम आपको बता दें यह प्राचीन काल से प्रचलित कहावत है जिसका सम्बन्ध महाभारत से है और जिसके पीछे एक रहस्य छुपा हुआ है या कहें तो तो इस कहावत के पीछे एक बड़ी ही दिलचस्प पौराणिक कथा है। आइये जानते हैं 

नमस्कार मित्रो आज की अपनी इस पौराणिक कथाओ की श्रंखला में हम  आपको बताने जा रहे है  महाभारत से जुड़ी एक पौराणिक कथा जिसमे दुर्योधन की पत्नी का मन में बसते थे कर्ण और विवाह हुआ था कुंती पुत्र वीर अर्जुन से | चलिए जाने पूरी कहानी विस्तार से 

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“कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा” कहावत से जुड़ी पौराणिक कथा | Mahabharat Story about Bhanumati Ne Kunba Joda

 

“भानुमती ने कुनबा जोड़ा” जाने कौन थी भानुमति ?

भानुमति दुर्योधन की पत्नी थी जो कंबोज राज्य के राजा चंद्र वर्मा की पुत्री थी जो दिखने में बहुत ही सुन्दर,आकर्षित,खूबसूरत और मानसिक और शारीरिक तौर पर बहुत तेज बुद्धिवान और ताकतवर थी। ऐसा  कहा जाता है कि उनका रूप किसी स्वर्ग की अप्सरा से कम नही था | इस बात का विवरण गांधारी ने सती पर्व में किया है कि भानुमति  इतनी शक्तिशाली थी कि वो कई बार खेल-खेल में दुर्योधन को कुश्ती में हरा देती थी |

जाने भानुमति के स्वयंवर से जुड़ी कथा 

महाभारत की पौराणिक कथा के अनुसार भानुमति के पिता और कंबोज राज्य के राजा  चंद्र वर्मा ने अपनी पुत्री के योग्य वर ढूँढने के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया था जिसमे दुर्योधन, उनके मित्र कर्ण, जरासंध, शिशुपाल जैसे कई पराक्रमी राजाओ ने हिस्सा लिया था |

जाने दुर्योधन द्वारा भानुमति का हरण करने से जुड़ी कथा 

महाभारत की पौराणिक कथा के अनुसार जब स्वयंवर में दुर्योधन ने ‘रूप की धनि’ भानुमति को देखा तो वो उस पर पूरी तरह मोहित हो गया | स्वयंवर के दौरान भानुमती सभा में बैठे सभी राजाओं को निहारते हुए दुर्योधन के आगे आकर रुकी लेकिन थोड़ी देर बाद आगे बढ़ गई। ये बात दुर्योधन को अच्छी नही लगी और वो क्रोध में आगबबुला हो उठा जिसके बाद उसने  वरमाला जबरदस्ती अपने गले में डलवा ली।

दुर्योधन के इस व्यवहार का वहां पहुंचे अन्य राजाओं ने विरोध किया जिसके बाद दुर्योधन ने सभी योद्धाओं को अपने मित्र कर्ण से युद्ध करने की चुनौती दे दी लेकिन जयद्रथ को छोड़कर सभी शूरवीर दुर्योधन द्वारा दी गई कर्ण से लड़ने की चुनौती से पीछे हट गये | उस समय जयद्रथ और कर्ण के बीच पूरे 21 दिन युद्ध हुआ था जिसमे जयद्रथ की हार हुई  और इस तरह कर्ण के दम पर दुर्योधन भानुमति का हरण करके हस्तिनापुर ले गया |

जाने  भानुमति द्वारा दुर्योधन के साथ अपनी इच्छानुसार विवाह करने से जुड़ी कथा 

महाभारत की पौराणिक कथा के अनुसार दुर्योधन भानुमति का हरन करके हस्तिनापुर ले आया था और वहां उसने भानुमति को भीष्म पितामह द्वारा अपने सौतेले भाइयों के लिए काशी की राजकुमारियों अम्बा अम्बिका और अम्बालिका को जीतने की कहानी बताई और अपने द्वारा किये गये कार्य को उस घटना के लिहाज़ से सही बताया तब भानुमति अपनी इच्छानुसार विवाह करने का तैयार हो गई थी |

जाने  भानुमति को मन ही मन दुर्योधन के मित्र कर्ण को पसंद करने से जुड़ी कथा 

महाभारत की पौराणिक कथा के अनुसार भानुमति ने विवाह तो दुर्योधन से किया था लेकिन उसको मन ही मन दुर्योधन के मित्र कर्ण बहुत पसंद था क्योंकि स्वयंवर में उसने जब कर्ण का पराक्रम और मित्र के लिए ऐसी मित्रता का भाव देखा था तब से ही से वो मन ही मन कर्ण को बसाकर उसे पसंद करने लगी थी |

जाने दुर्योधन द्वारा भानुमति और कर्ण को आपतिजनक अवस्था में देखे जाने के बाद उसके द्वारा किये गये व्यवहार से जुड़ी कथा 

महाभारत की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार कर्ण और भानुमती शतरंज खेल रहे थे तभी उन लोगो को अचानक दुर्योधन के आने की खबर मिली जिसके बाद भानुमती वहाँ से जाने लगी और कर्ण द्वारा तभी अचानक उसको रोकने की कोशिश के दौरान भानुमती का आँचल फट गया और सारे मोती बिखर गये | तभी दुर्योधन भी कक्ष में प्रवेश कर लेता है और वो दोनों दुर्योधन को देख लज्जित होकर सर झुकाकर खड़े हो जाते है लेकिन दुर्योधन ने उन दोनों पर क्रोध नही किया और ना ही कुछ कहा क्योंकि उसको अपने मित्र कर्ण की मित्रता और भानुमति के चरित्र पर पूरा भरोसा और विश्वास था |

जाने कर्ण और जयद्रथ के आपस में मित्र बनने से जुड़ी कथा 

महाभारत की पौराणिक कथा के अनुसार भानुमति के स्वयंवर के समय दुर्योधन की चुनौती को स्वीकारते हुए जयद्रथ ने जब कर्ण से युद्ध किया था वो पूरे 21 दिन चला था जिसमे जयद्रथ की हार हुई थी जो उसके जीवन की पहली हार भुई थी | उसके बाद वो दोनों आपस में मित्र बन गये थे और जयद्रथ ने उपहार स्वरुप अपने राज्य का एक भाग कर्ण को दे दिया था |

जाने दुर्योधन और भानुमति के बच्चो से सम्बन्धित कथा 

महाभारत की पौराणिक कथा के अनुसार दुर्योधन और भानुमति के विवाह पश्चात एक पुत्र और पुत्री की प्राप्ति हुई थी जिनका नाम लक्ष्मण और लक्ष्मणा था | महाभारत के युद्ध के समय वीर अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने लक्ष्मण का वध कर दिया था और लक्ष्मणा ने श्री कृष्णा पुत्र साम्ब से भागकर विवाह कर लिया था |

जाने भानुमति और वीर अर्जुन के विवाह से जुड़ी कथा 

महाभारत की पौराणिक कथा के अनुसार जब महाभारत युद्ध के दौरान वीर अर्जुन के हाथो कर्ण और भीम के हाथो दुर्योधन मारा गया और युधिष्ठर को सम्राट बनाया गया तब भानुमति ने कौरवो और पांडवो के बीच पारिवारिक संबंधों की नई गाथा लिखने हेतु वीर अर्जुन से विवाह संबंध बनाने के फैसले को स्वीकार कर लिया था | इस प्रकार भानुमति के दुर्योधन,करण और वीर अर्जुन से अनोखे सम्बन्ध हो गये थे और यहीं से ये कहावत कही जाने लगी कि “कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा” 

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One Reply to ““कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा” कहावत से जुड़ी पौराणिक कथा | Mahabharat Story about Bhanumati Ne Kunba Joda”

  1. कहि इट कहि रोड़ा भमुमती ने कुनमा जोड़ा का अर्थ क्या होता है।

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