5 हजार रुपये से ब्लाउज सिलाई का व्यवसाय शुरू करने वाली रंजना कुलशेट्टी की कहानी Ranjana Kalshetty Blouse Stitching Business Story

रंजना कुलशेट्टी की कहानी Ranjana Kalshetty Blouse Stitching Business story

आज की अपनी इस सक्सेस स्टोरी की श्रंखला में .हम आपको बताने जा रहे है 5 हजार रुपये से ब्लाउज सिलाई का व्यवसाय शुरू करने वाली रंजना कुलशेट्टी की कहानी जो आज खुद दूसरी महिलाओ को उनको अपने पैरो पर खड़ा करने के लिए सशक्त बना रही है | चलिए जाने उनकी इस दास्तान को विस्तार से 

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रंजना कुलशेट्टी के प्रारंभिक और निजी जीवन की कहानी 

रंजना कुलशेट्टी पुणे के देहरिगाओ गाँव की रहने वाली है जहाँ उन्होंने अब तक अपना अधिकांश जीवन बिना किसी आय के घरेलू कामों में बिताया | वर्ष 1997 में उन्होंने अपने पति के उपर से परिवार के बढ़ते खर्चों का बोझ कम करने के लिए और परिवार को आर्थिक रूप से योगदान देने की उम्मीद में सिलाई करने के अपने जुनून की ओर रुख किया और डिजाइनिंग और सिलाई में पेशेवर कोर्स करने के ठानी जिसके लिए उन्हें पैसे की आवश्यकता थी तो उन्होंने एक स्थानीय कारोबारी महिला मनीषा वर्मा की सहायता से चॉकलेट रैपर पर स्टिकर लगाने का कार्य शुरू किया जिसके लिए उन्हें प्रत्येक किलोग्राम चॉकलेट के लिए 2 रुपये की कमाई होती थी | इसके बाद 500 रूपए जमा करके अपना कोर्स पूरा किया |

रंजना कुलशेट्टी के खुद का व्यवसाय शुरू करने की कहानी

रंजना कुलशेट्टी ने खुद का व्यवसाय शुरू करने से पहले पुणे के वारजे गांव में एक दर्जी के लिए काम करना शुरू किया जहाँ उन्हें हाथ से प्रत्येक ब्लाउज के लिए 1.5 रुपये के हिसाब से सिलाई का काम सौंपा गया था | यहाँ पूरे 1 वर्ष कार्य करने के बाद उन्होंने वर्ष 1999 में 5000 रुपये के शुरुआती निवेश और एक सिलाई मशीन और 25 रुपये की कीमत वाले ब्लाउज के साथ अपना खुद का सिलाई व्यवसाय शुरू किया |

रंजना कुलशेट्टी के द्वारा खुद का व्यवसाय शुरू करने से लेकर अब तक के सफर की कहानी 

रंजना कुलशेट्टी के द्वारा खुद का व्यापार शुरू करने की सोचना भी कोई चुनौती से कम नही था | सबसे पहले तो वो उस समाज से तालुख रखती थी जहाँ परिवार और पति कामकाजी महिलाओं के विचार से ही नफरत करते थे |

शुरुआत में अक्सर उनके पति भी विरोधस्वरूप उन्हें सिलाई मशीन के साथ घर से बाहर निकाल देते थे | जैसे-तैसे कई औपचारिक और अनौपचारिक प्रशिक्षण सत्रों के बाद, रंजना ने ब्लाउज की सिलाई करके अपना व्यवसाय शुरू किया था पर धन की कमी के कारण व्यवसाय करने में दिकक्तें भी हुई और फिर आया वर्ष 2015 जब उन्हें Amdoc की CSR पहल के हिस्से के रूप में महिला उद्यमियों को सपोर्ट करने वाले मन-देसी फाउंडेशन के बारे में पता चला जहाँ से उन्होंने एक-डेढ़ वर्ष के लिए 20,000 रुपये का ऋण 1300 रुपये की मासिक किस्त की  भुगतान पर लिया |

इसके बाद हाल के वर्षो में उन्होंने व्यावसायिक रणनीतियों, लक्ष्य योजना, डिजिटल मार्केटिंग और भुगतान के क्षेत्रों में कौशल-आधारित प्रशिक्षण भी प्राप्त किया जिनकी सहायता से उनका व्यापार और ज्यादा चलने लगा |

आज वो पूरी 8 सिलाई मशीनों की मालिक है और उन्होंने काम करने के लिए तीन महिलाओं की टीम भी बना रखी है । आज हर महीने लगभग 250 ब्लाउज की बिक्री के अलावा, वो कपड़े, मास्क और जूट-आधारित उत्पादों जैसे लैपटॉप बैग, प्लांट होल्डर्स, और वॉल हैंगिंग जैसे उत्पादों को महाराष्ट्र में बेचती है और मन देसी की पहल की सहायता से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात करती है।

हालांकि हाल के समय कोरोनावायरस प्रसार ने उनके व्यापार पर भी असर डाला है लेकिन रंजना ने मार्च में कोविड-19 के मद्देनजर मातोश्री वृद्धा आश्रम और दृष्टिबाधित छात्रों के साथ-साथ वृद्धाश्रम के लिए भी मास्क बनाना शुरू किया और लगभग 5 रुपये से  25 रुपये के बीच की कीमत पर 80,000 मास्क बेचे हैं। हाल ही में, रंजना और उनकी टीम ने 500 जूट प्लांट धारकों का निर्यात ऑर्डर भी पूरा किया है |

अपने जीवन के इतने उतार-चढ़ाव देखने के बाद भी रंजना कुलशेट्टी ने अपने आप को एक सफल उद्यमी के तौर पर समाज में अपने आप को साबित किया है और ये भी कि आज की महिला पुरुषो से किसी भी बात में पीछे नही है |

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