स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल की सफलता की कहानी ; Steel King Lakshmi Mittal Success Story Will Inspire You

Lakshmi Mittal Success Story

सक्सेस स्टोरी की इस श्रंखला में हम आपको रूबरू कराने जा रहे है लक्ष्मी निवास मित्तल की सफलता की कहानी से जो कि पूरे विश्व में स्टील किंग के नाम से भी जाने जाते है | चलिए जाने उनके जीवन के सफलता के सफ़र की कहानी Steel King Lakshmi Mittal Success Story पूरे विस्तार सेस्टील

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Success Story Of Steel King Lakshmi Mittal 

लक्ष्मी मित्तल आज इंग्लैंड में भारतीय मूल के स्टील उत्पादक के सबसे बड़े उधोगपति है और अपनी कंपनी आर्सेलर मित्तल के सीईओ और चेयरमैन भी हैं। अपने इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्होंने रात-दिन बड़ी ही मेहनत और परिश्रम किया | आज वो विदेशो में पूरे भारत और सभी भारतवासियों का मान और सम्मान दोनों ही बढ़ा रहे है |

स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल के निजी और प्रारंभिक जीवन की कहानी

लक्ष्मी निवास मित्तल का जन्म 2 सितंबर, 1950 को भारत में राजस्थान स्थित चुरू जिले की राजगढ़ तहसील में लक्ष्मी परिवार में हुआ था जो कि उस समय का 25 लोगो एक संयुक्त परिवार हुआ करता था | उनके पिता का नाम मोहन लाल मित्तल और भाइयो का नाम प्रमोद मित्तल और विनोद मित्तल है | उनके परिवार का पहले से ही निप्पनडेन इस्पात के नाम से व्यवसाय था | वो बचपन में ही परिवार के साथ कोलकाता आकर बस गये थे और यहीं से उन्होंने अपनी वर्ष 1957 से 1964 तक श्री दौलतराम नोपानी विद्यालय से शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद उन्होंने कोलकाता के सेंट जेविएर्स कॉलेज (कोलकाता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध) से वाणिज्य में बिजनेस ऐंड अकाउंटिंग में स्नातक की शिक्षा पूर्ण की ।

स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल के उद्योग जगत में कदम रखने की कहानी

लक्ष्मी निवास मित्तल ने अपनी स्नातक पूर्ण करने के बाद भारत सरकार के प्रोत्साहन पर वर्ष 1976 में इण्डोनेशिया की राह पकड़ ली और 26 वर्ष की आयुं में अपने पिताजी की सहायता से अपने पहले स्टील कारखाना ‘पी.टी. इस्पात इंडो’ की इण्डोनेशिया के सिदोअर्जो में स्थापना की |

वर्ष 1989 में उन्होंने सरकारी आधिपत्य वाली फर्म ‘ट्रिनिडाड एंड टोबैगो’ खरीदी जो उस समय 1 मिलियन डॉलर का रोजाना घाटा कर रही थी। लक्ष्मी मित्तल ने इसे मुनाफे में बदल दिया। वर्ष 1990 तक उन्होंने अपनी मेहनत से भारत में मित्तल परिवार के परिसंपत्ति के रूप में नागपुर में शीट स्टील की एक कोल्ड रोलिंग मिल और पुणे के पास एक एलाय स्टील संयंत्र को खड़ा कर दिया था |

स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल के उद्योग जगत में लगातार सफलता की कहानी

लक्ष्मी निवास मित्तल ने वर्ष 2006 में आर्सेलर को खरीदने की कोशिश की थी लेकिन उस वक्त सीईओ गाय डोले ने 24 बिलियन डॉलर के ऑफर को मना कर दिया था। बाद में शेयर में गिरावट के बाद यह सौदा 33.5 बिलियन डॉलर में हुआ। अर्सेलर मित्तल आज दुनिया की सबसे बड़ी स्टील बनाने वाली कंपनी है जिसके 60 देशों में कुल 2 लाख 60 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं।

वर्ष 2008 से लेकर वो आजतक गोल्डमैन सैक्स के ‘बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर’ और सदस्य भी है और विश्व स्टील संगठन के कार्यकारी समिति, भारतीय प्रधानमंत्री के वैश्विक सलाहकार समिति, कजाकिस्तान के फॉरेन इन्वेस्टमेंट कौंसिल, वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समिति और मोजाम्बिक के राष्ट्रपति के अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी है. वे अमेरिका स्थित केल्लोग्स स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट के सलाहकार बोर्ड के सदस्य और क्लीवलैंड क्लिनिक के बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी भी है | वह ईएडीएस, आईसीआईसीआई बैंक और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी गोल्डमैन सैक्स के गैर-कार्यकारी निदेशक भी हैं।

उनकी आर्सेलर मित्तल कंपनी में 34% और क्वीन पार्क रेंजर F.C. में 34% की हिस्सेदारी है | आज के समय में मित्तल परिवार के व्यापार में मुंबई के पास एक विशाल इंटीग्रेटेड स्टील संयंत्र भी शामिल है जिसे विनोद और प्रमोद मित्तल चलाते है, पर लक्ष्मी निवास का इन व्यवसायों से कोई लेना देना नही |

स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल के द्वारा समाज के लिए किये गये कई सामाजिक कार्यो की कहानी

स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल ने नवम्बर 2003 में प्रतिभावान भारतीय खिलाडियों के आर्थिक मदद और प्रोत्साहन के लिए ‘मित्तल चैंपियंस ट्रस्ट’ की स्थापना की और उनके इस ट्रस्ट द्वारा ही वर्ष 2008 में अभिनव बिंद्रा द्वारा भारत के लिए ओलंपिक्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद 1.5 करोड़ रूपए पुरस्कार के रूप में दिए गए। वर्ष 2012 के लन्दन ओलंपिक्स में उनकी कंपनी ‘आर्सेलर मित्तल’ ने ‘आर्सेलर मित्तल ऑर्बिट’ का निर्माण करवाया था।

वर्ष 2003 में लक्ष्मी निवास मित्तल और उषा मित्तल फाउंडेशन ने राजस्थान सरकार के साथ मिलकर जयपुर में ‘एल.एन.एम. इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की जो कि एक स्वायत्त और लाभ-निरपेक्ष संस्थान है। वर्ष 2008 में उन्होंने लन्दन स्थित ‘ग्रेट ओरमोंड स्ट्रीट हॉस्पिटल’ को लगभग डेढ़ करोड़ ब्रिटिश पौंड का चंदा दिया एक नए स्वास्थ्य सुविधा केंद्र की स्थापना करने के लिए दिए ।

स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल के जीवन से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बाते

  1. स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल को 2006 में द सन्डे टाइम्स ने उन्हें “बिज़नस पर्सन ऑफ़ द इयर” और टाइम्स पत्रिका ने उन्हें “इंटरनेशनल न्यूज़मेकर ऑफ़ द इयर 2006” का सम्मान दिया था |
  2. वर्ष 2007 में टाइम पत्रिका ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूचि में रखा था |
  3. स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल को फ़ोर्ब्स ने अपनी वर्ष 2015 में सबसे ताकतवर और प्रभावशाली लोगो की सूची में शामिल किया था |
  4. स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल और उनके परिवार की गिनती आज दुनिया के टॉप अमीर घरानों की श्रेणी में होती है |
  5. लक्ष्मी निवास मित्तल की बेटी वनिशा मित्तल का विवाह जो कि वर्ष 2008 में हुआ था, दुनिया में अब तक का दूसरा सबसे महंगा विवाह माना जाता है जिसमे उन्होंने लन्दन स्थित लगभग 7 करोड़ ब्रिटिश पौण्ड की कीमत का मकान उपहार में दिया था |
  6. लक्ष्मी निवास मित्तल ने इतनी ख्याति के बाद भी आजतक कभी भी अपनी भारतीय नागरिकता नही छोड़ी जबकि वो चाहते तो किसी भी अमीर देश की नागरिकता ले सकते थे |
  7. लक्ष्मी निवास मित्तल ने वर्ष 2004 में फार्मूला वन के मालिक से लगभग 128 मिलियन US डॉलर में केंसिंग्टन पैलेस गार्डन ख़रीदा था जो उस समय विश्व का सबसे महंगा घर माना गया था | घर के इंटीरियर के लिए उन्होंने वही संगमरमर इस्तेमाल किया है जो ताजमहल में हुआ था।
  8.  लक्ष्मी निवास मित्तल को वर्ष 2008 में भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया और इसके अलावा भी उन्हें अपने औद्योगिक और सामाजिक कार्यो के लिए कई बड़े सम्मान प्राप्त हो चुके है |

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