बंसल क्लासेज कोटा फाउंडर विनोद कुमार बंसल की सफल दास्तान : पैरो से लाचार होते हुए भी कोटा जो कि पहले औद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता था उसे कोचिंग सिटी यानी कि शिक्षण नगरी बना दिया। Bansal Classes Kota Founder Vinod Kumar Bansal Success Story

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आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे है बंसल क्लासेज कोटा फाउंडर विनोद कुमार बंसल की सफल दास्तान के बारे में “Bansal Classes Kota Founder Vinod Kumar Bansal Success Story” जो कि एक ऐसे व्यक्ति के हौसले और जुनून की कहानी है जिन्होंने अपने  पैरो से लाचार होते हुए भी कोटा जो कि पहले औद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता था उसे कोचिंग सिटी यानी कि शिक्षण नगरी बना दिया। चलिए जाने उनकी इस कहानी को विस्तार से 

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Bansal Classes Kota Founder Vinod Kumar Bansal Success Story

बंसल क्लासेज कोटा फाउंडर विनोद कुमार बंसल के निजी जीवन की कहानी 

विनोद कुमार बंसल का जन्म वर्ष 1949 में उत्तर प्रदेश राज्य के झाँसी जिले में हुआ था | उनके पिताजी का नाम बीडी अग्रवाल था जों कि सरकारी कर्मचारी थे और माताजी  का नाम अंगूरी देवी था जो कि एक गृहणी थी | पिताजी की सरकारी नौकरी होंने के बाद भी घर में आर्थिक तंगी बनी रहती थी | वर्ष 1954 में पिताजी का ट्रान्सफर लखनऊ होने के कारण उनको लखनऊ आना पड़ा |

एक बार उनको लालटेन में पढ़ता देख उनके पिताजी ने उनसे कहा कि अगर वो इस बार परीक्षा में टॉप करेंगे तो घर में लाइट आ जायेंगी बस पिताजी द्वारा बोले गये इसी वाक्य ने उनके अंदर जोश भर दिया और वो रात-दिन पूरी लगन और मन के साथ पढाई करने लगे | उनकी यही मेहनत रंग लाने लगी और उन्होंने कक्षा 6,7 और 8 लगातार टॉप किया जिसके कारण उन्हें  उन्हें 372 रूपये की छात्रवृत्ति प्राप्त हुई जिनसे घर में लाइट भी लगी और टेबल फैन भी आ गया।

इसके बाद उन्होंने 12वी कक्षा भी बहुत ही शानदार अंको से उतीर्ण की और उनको बनारस हिन्दू विश्विद्यालय में दाखिल मिल गया | यहाँ से अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्हें कोटा की एक अच्छी केमिकल कंपनी में नौकरी मिल गई जिसके कारण वो फिर कोटा आकर रहने लगे |

बंसल क्लासेज कोटा फाउंडर विनोद कुमार बंसल के शिक्षक बनने की कहानी 

विनोद कुमार बंसल को कोटा में केमिकल कंपनी में नौकरी के समय हाथ-पाँव में कमजोरी के साथ शरीर में कुछ समस्या होने लगी | अपनी इस शारीरिक समस्या को लेकर जब वो डॉक्टर से मिले तब उन्हें इस बीमारी की गंभीरता का पता चला और जैसा कि डॉक्टर ने उन्हें कहा था वर्ष 1983 में उनका पूरा शरीर पैरालाइज हो गया |उसके बाद कई दिनों तक बिस्तर में पड़े रहने के बाद उन्होंने अपना डॉक्टर की सलाह पर बोर होने से बचने के लिए घर पर ही कोचिंग खोलकर बच्चो को पढ़ाना शुरू किया और अगले 1 वर्ष तक सबकुछ ऐसे ही चलता रहा |

विनोद कुमार बंसल द्वारा कोटा में बंसल क्लासेज की शुरूआत करने  से लेकर अभी तक के सफ़र से जुड़ी कहानी 

ये तो हम सभी जानते है कि कोई भी कार्य शुरू करने के बाद उसे सफल बनाने के लिए हमे बहुत परेशानियों और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है | ऐसा ही कुछ विनोद कुमार बंसल के साथ अपनी कोचिंग क्लासेज शुरू होते वक़्त हुआ था | जब उन्होंने अपनी बंसल क्लासेज की शुरूआत की तब उनके पास मात्र एक ही छात्र आता था लेकिन उन्होंने हार नही मानी और लगातार अपनी मेहनत और लगन के दम पर अपनी कोचिंग क्लासेज को बढ़ाते चले गये | धीरे-धीरे बच्चे भी बढ़ने लगे और पढ़ाने वालो को स्टाफ भी |

धीरे-धीरे सबकुछ सही चल रहा था कि अचानक उनका स्वास्थ बिगड़ गया और एक दिन क्लास में पढ़ाते समय उन्हें हार्ट अटैक आ गया और तुरंत अस्पताल में भर्ती करना पड़ा  |समस्या तब और बिगड़ गई जब उनके दिमाग ने भी काम करना बंद कर दिया | फिर भी विनोद जी ने हार नही मानी और फिजियो की सहायता वो धीरे-धीरे सही होने लगे और आज भी वो अपनी में कोचिंग व्हीलचेयर की सहायता से जाते है |

उनकी इस कोचिंग को कोटा समेत पूरे देश में तब पहचान मिली जब उन्ही की कोचिंग से पढ़े हुए छात्र जैसे कि डूंगराराम चौधरी, शितिकांत, अचिन बंसल आदि ने आईआईटी  में टॉप  किया | आज पूरे देश में विनोद कुमार बंसल की बंसल क्लासेज की नाम और रुतबा कायम है और आज के समय हजारो बच्चे हर वर्ष कोटा आईआईटी जैसे इम्तिहानो की तैयारी करने उनकी इस कोचिंग में आते है | आज बंसल क्लासेज हजारो करोड़ रुपये का एम्पायर हो चुका है जिसका पूरा इनकम टैक्स वो इमानदारी से सरकार को हर वर्ष भरते है |

हमे आशा है कि आपको हमारी ये बंसल क्लासेज कोटा फाउंडर विनोद कुमार बंसल की सफल दास्तान से जुड़ी कहानी Bansal Classes Kota Founder Vinod Kumar Bansal Success Story अवश्य ही अच्छी लगेगी |

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