आशाराम चौधरी : सफलता की कहानी | Asharam Chaudhary Success Story

Asharam Chaudhary Success Story

नमस्कार मित्रो आज के इस अंक में हम आपको आशाराम चौधरी  से जुड़ी कहानी बताने जा रहे है जो कि एक व्यक्ति की ऐसी सच्ची कहानी है जिन्होंने अपने जीवन में बेहद गरीबी और किसी भी प्रकार की चुनौती से हार ना मानते हुए अपनी कड़ी मेहनत और लगन से पढाई करके समाज और देश में एक अलग पहचान बनाई और अपने माँ-बाप का नाम रोशन किया है | चलिए जाने Asharam Chaudhary Success Story पूरी विस्तारपूर्वक

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Asharam Chaudhary Success Story

आशाराम चौधरी के जन्म और परिवार से जुड़ी कहानी

आशाराम चौधरी का जन्म वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश के देवास जिले के विजयगंज मंडी में एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ है | उनके पिताजी रंजीत चौधरी कचरे से पन्नियां बीनने और खाली बोतलें जमा करने का काम करते हैं।  माताजी ममता बाई गृहिणी हैं। पूरे परिवार का भरण पोषण पिता की होने वाली आय से ही चलता है।  उनका पूरा परिवार एक टूटी फूटी झोपड़ी में रहता है  जिसमें न तो बिजली का कनेक्शन और न ही शौचालय की सुविधा है।  उनका छोटा भाई सीताराम नवोदय विद्यालय 12वीं कर चुका है जबकि बहन नर्मदा अभी पढ़ रही है |

आशाराम चौधरी के शिक्षा से जुड़ी कहानी

आशाराम चौधरी को बचपन से ही पढाई का बहुत शौक रहा है | उनकी प्रारंभिक शिक्षा सबसे पहले गांव के पास स्थित सरकारी स्कूल से हुई | उसके बाद उनके पिताजी ने 4 क्लास में उनका दाखिला दतोत्तर के मॉडल स्कूल में करवा दिया और इसके बाद 6 से 10 तक की पढ़ाई उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय चंद्रकेशर से पूर्ण की।इसके बाद उन्होंने परिवार की गंभीर आर्थिक तंगी से दुखी हो कर पढ़ाई छोड़ने का विचार किया लेकिन अपने पिताजी को कड़ा परिश्रम करते देख उन्होंने अपने परिवार की स्थिति को सुधारने के लिए आगे की पढ़ाई जारी रखी और फिर नि:शुल्क आवासीय स्कूल दक्षिणा फाउंडेशन पुणे की प्रवेश परीक्षा दी जिसमें उनका सिलेक्शन हो गया और 11वीं-12वीं की परीक्षा उन्होंने यहीं से पास की।

Asharam Chaudhary के AIIMS के सफ़र से जुड़ी कहानी

आशाराम चौधरी ने 11वीं-12वीं के साथ-साथ मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी भी शुरू कर दी थी और उन्होंने AIIMS की प्रवेश परीक्षा में साढ़े चार लाख परीक्षार्थियों के बीच 707th रैंक ऑल इंडिया और ओबीसी कैटेगरी के दो लाख अभ्यर्थियों के बीच 141th रैंक हासिल की | इसके बाद उन्हें जोधपुर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के कोर्स में दाखिला मिल गया |

अब समस्या थी कि उनके पास जोधपुर में एडमिशन लेने के लिए पर्याप्त रुपए नहीं थे ऐसे में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्रीजी श्री शिवराज सिंह चौहान जी  के कहने पर जिला कलेक्टर ने मेधावी विद्यार्थी योजना के अंतर्गत उनको अपने ऑफिस में बुलाकर आर्थिक मदद का प्रमाणपत्र दिया और खुद उनके जोधपुर जाने का ट्रेन का किराया भी दिया | यहीं नही अपने एक अधिकारी को उनके साथ भेजा ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो और जोधपुर एम्स तक आसानी से पहुंच जाये।

जिले के एडीएम ने उनको सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का फायदा लेने के लिए बीपीएल कार्ड बनवाने में सहायता दी | AIIMS ने भी अपनी ओर से उनकी सहायता करने हेतु एमबीबीएस की पढ़ाई, प्रैक्टिकल लैब के लिए लैब कोर्ट और पढ़ाई की फ़ीस कम करने के लिए जरूरी किताबों की व्यवस्था की । इस तरह वो डॉक्टर बनने के राह पर निकल पड़े।

अब उनका लक्ष्य और सपना एमबीबीएस की शिक्षा पूर्ण करने के बाद एक कुशल न्यूरोसर्जन बनने और सम्पूर्ण जीवन अपने देश और गाँव के लिए समर्पित और निस्वार्थ भाव से सेवा करने की है | वो अपने देवास जिले के अपने गांव विजयागंज मंडी वापस आने के बाद वहां एक बड़ा-सा हॉस्पिटल खोलने की इच्छा भी रखते है करते हैं जिससे क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न रह पाये ।

Asharam Chaudhary के जीवन से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बाते

  • आशाराम चौधरी का चयन अब तक NEET, पुद्दुचेरी के “जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोग्रेसिव मेडिकल एंड रिसर्च” की प्रवेश परीक्षा और जर्मनी के सिल्वर जोन फाउंडेशन में 332 वीं इंटरनेशनल रैंक के साथ हो चुका है |
  • आशाराम चौधरी किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (KVPY) में बतौर रिसर्च साइंटिस्ट के तौर पर भी चयनित हो चुके है |
  • आशाराम चौधरी की इस सफलता की कहानी का जिक्र प्रधानमंत्री जी द्वारा अपने मन की बात प्रोग्राम के जरिये पूरे देश में किया जा चुका है जिसमे प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि दृढ़ संकल्प से हर बाधा को पार करने वाले ये युवा सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

आज आशाराम चौधरी पर उनके माता-पिता, गाँव के लोग और सभी देशवासियों को गर्व होता है | हमे आशा है कि आपको आशाराम चौधरी  से जुड़ी कहानी अवश्य ही पसंद आयेंगी |

 

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