मेडिसेंटो स्टार्टअप कोफाउंडर अर्पण देवाशीष सफलता की कहानी हिंदी में

Arpan Debasis Success Story

नमस्कार मित्रो आज के इस अंक में आपको बताने जा रहे है Medicento Startup Cofounder Arpan Debasis Success Story जो कि एक ऐसे व्यक्ति की सच्ची कहानी है जिन्होंने भारत जैसे देश में मेडिकल के क्षेत्र में कुछ सकारात्मक काम करने के बारे में सोचा जिससे किसी को कभी भी मेडिकल की सुविधा के अभाव से अपने किसी भी करीबी को ना खोना पड़े | चलिए जाने सस्ती दवाइयों का स्टार्टअप  ‘Medicento’ शुरू करने वाले Cofounder अर्पण देवाशीष की सफलता की कहानी विस्तारपूर्वक

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Medicento Startup Cofounder Arpan Debasis Success Story In Hindi

दोस्तों जिस तरह रोटी, कपडा, मकान शुरू से ही मनुष्य की प्रारंभिक जरूरत रही है उसकी तरह आज के समय में दवा भी मनुष्य की जरूरत बन चुकी है। हर व्यक्ति के पास दवाइयाँ तो पहुंच जाती हैं पर  मैन्युफैक्चर से लेकर डिस्ट्रीब्यूटर तक और डिस्ट्रीब्यूटर से लेकर रिटेलर तक कमीशन के एक बड़े खेल के कारण यह इतनी महँगी हो जाती हैं की लोगों के लिए इसका खर्चा उठाना मुश्किल हो जाता है।

लोगो की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए दो दोस्तों ने एक स्टार्टअप को शुरू किया जिसका नाम है “Medicento” जो की बीटूसी (Business to Consumer) मॉडल के मुताबिक शुरू किया था। जिसमें यूसर के द्वारा डॉक्टर का प्रेसक्रिप्शन Whatsapp के जरिये मेडिसेन्टो को भेज दिया जाता हैं। मेडिसेन्टो प्रेसक्रिप्शन भेजने वाले के पते पर दवाइयों को तीन घंटे के अंदर ही डिलिवर कर देता है। इसके अलावा मेडिसेन्टो रीटेलर्स के साथ मिलकर ग्राहकों की जरूरत के मुताबिक दवाइयां खरीदने पर 10% तक का डिस्काउंट भी देता है। आइये जानते हैं Medicento Startup Cofounder Arpan Debasis Success Story

अर्पण देवाशीष के निजी जीवन की कहानी

अर्पण देवाशीष उड़ीसा के निवासी है और उन्होंने अपनी केमिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा बेंगलुरु के एमएसआरआईटी से पूर्ण की है | अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने  ज़ुआरी फ़र्टिलाइज़र्स ऐंड केमिकलर्स लि. कंपनी में गोवा और यूईए में नौकरी की और फिर कारों की एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस  में सेल्स हेड के तौर पर भी कार्य किया |

अर्पण देवाशीष का जीवन में अपना कुछ स्टार्टअप करने का लक्ष्य बनाने की कहानी

अर्पण देवाशीष वर्ष 2011 में अपने पिताजी की एक लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो जाने के बाद बहुत दुखी हो गये थे और उन्होंने जीवन भर नौकरी ना करके भारत जैसे देश में मेडिकल क्षेत्र में कुछ सकारात्मक करने के लिए अपना कुछ स्टार्टअप करने का मन और लक्ष्य बनाया |

अर्पण देवाशीष द्वारा अपने दोस्त राहुल के साथ Medicento Startup को शुरू करने की कहानी

अर्पण देवाशीष की नौकरी के समय राहुल से मुलाकात हुई थी जो कि कम्प्यूटर साइंस से ग्रेजुएट थे और डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में कार्यरत थे | उन्होंने अपने बिज़नेस स्टार्टअप से जुड़े आईडिया को राहुल के साथ शेयर किया जिसमे राहुल ने ग्राहक और रिटेलर्स को आपस में जोड़ दिया जिन्हे दवाइयों की जरूरत होती थी। इसके बाद दोनों ने मिलकर वर्ष 2015 में Medicento के नाम से अपने बिज़नेस को शुरू कर दिया |

अर्पण देवाशीष और उनके साथियो द्वारा Medicento को चलाने के लिए की गई संघर्ष की कहानी

अर्पण देवाशीष और उनके साथियो द्वारा Medicento को चलाने के लिए बहुत संघर्ष किया गया है | शुरू में कम संसाधन होने के कारण वो लोग दवाइयों की डिलीवरी खुद ही करते थे | उसके बाद दूसरी बड़ी दिक्कत स्टार्टअप के प्रमोशन की जिसके लिए खुद ही हर जगह जाना जिसमे उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था |

कई बार उन लोगो को ज़बरदस्ती कई अस्पतालों से बाहर निकाल दिया जाता था डोर टू डोर प्रमोशन करने के चक्कर में उन लोगो का कई अपार्टमेंट द्वारा घुसना प्रतिबंधित कर दिया गया था | निवेशक उनके स्टार्टअप को ना चलने वाला स्टार्टअप समझकर निवेश करने से कतराते थे |

स्टार्टअप को चलाने और आर्थिक तंगी के कारण अर्पण देवाशीष बच्चो को ट्यूशन्स पढ़ाने लगे थे | इसके बाद डिस्ट्रीब्यूटर की कमी के कारण मेडिकल स्टोर में दवाइयों के स्टॉक कम होने लगता या फिर खत्म हो जाता था जिसके कारण में मेडिकल स्टोर से कस्टमर लौट जाता था और डाइरैक्ट नुकसान होता था | इस परिस्तिथि से निकलने के लिए अर्पण देवाशीष ने अपने स्टार्टअप में Business to Consumer की जगह Business to Business के मॉडल पर आधार पर काम करना शुरू किया ।

Medicento Startup से लेकर अभी तक के सफ़र की कहानी

अर्पण देवाशीष और राहुल ने Medicento को शुरू करने के लिए 20 लाख रुपये का निवेश किया और Business to Consumer मॉडल के अनुसार अपना कार्य शुरू किया जिसमे कोई भी डॉक्टर का प्रेसक्रिप्शन Whatsapp के जरिये Medicento को भेज देता है और कंपनी प्रेसक्रिप्शन भेजने वाले के पते पर दवाइयों को तीन घंटे के अंदर ही डिलीवर कर देती है।

वर्ष 2018 में उन्होंने अपने स्टार्टअप में गीतेश शास्त्रीजी जो कि इंजीनियरिंग की फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहे थे,को भी Cofounder के रूप में शामिल किया |अपने Startup के प्रमोशन के लिए वो लोग खुद अस्पताल, रेस्ट्रॉन्ट और मंदिरों में जाते थे और कंपनी के पोस्टर खुद ही अपनी टीम के साथ मिलकर अस्पतालों के बाहर दीवारों पर लगाते थे |

धीरे-धीरे कंपनी ने रीटेलर्स के साथ मिलकर ग्राहकों की जरूरत के मुताबिक दवाइयां खरीदने पर 10% तक का डिस्काउंट भी देना शुरू कर दिया | इन सभी की रात-दिन के मेहनत रंग लाने लगी और अब कंपनी का रेवेन्यू डिस्ट्रीब्यूटरों से प्राप्त कमीशन फीस के रूप में आता है।

अब तक कंपनी 20000 से उपर ऑर्डर प्राप्त कर लिए है और अब हर माह उनकी कमाई 200000 रुपये से अधिक हो चुकी है | आज कंपनी की पूरी 8 लोगों की एक कोर टीम काम करती है | दवाइयों को फ़ार्मा स्टोर्स से ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए कंपनी में  दो-दो शिफ़्ट में काम होता है जिसके लिए उन्होने कई बाइक किराये पर ले रखी है |

अभी कंपनी के  300 फ़ार्मा स्टोर्स का नेटवर्क है जिनके कारण कंपनी को हर माह लगभग औसतन 3 हज़ार ऑर्डर प्राप्त हो जाते हैं। अभी कंपनी सिपला और अबॉट के द्वारा पेटेंट की जा चुकी दवाइयां की सप्लाई मार्केट में करती है और भविष्य के लिए जेनेरिक मेडिसिन की सप्लाई के लिए योजना बना रही है | आगे की ग्रोथ के लिए कंपनी ने आईआईटी मद्रास और आईआईटी कानपुर के साथ भी साझेदारी कर ली है और अब कंपनी का प्रमुख उद्देश्य अपनी कंपनी को भारत के चार बड़े शहरों में बढ़ाकर 10 लाख रूपये प्रतिदिन करने का है | आज के समय कंपनी का एक मोबाइल एप्लीकेशन भी है |

अपने Medicento Startup को यहाँ तक पहुंचाने के लिए अर्पण देवाशीष ने अपने दोस्तों के साथ रात दिन मेहनत, लगन और दूरदर्शिता के साथ काम किया और इस मुकाम को हासिल किया | हमे आशा है कि आपको हमारी ये Medicento Startup Success Story जरुर पसंद आई होगी और आपको मोटीवेट भी किया होगा। तो कमैंट्स के माध्यम से जरूर बताएं और इस पोस्ट को शेयर भी करें।  धन्यवाद !

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