महिलाओं के विशेष कानूनी अधिकार Women’s Legal Rights In India

Womens Legal Rights

Women’s Legal Rights In India ~ हम जिस समाज में है उस समाज में महिलायें न सिर्फ पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं बल्कि कई क्षेत्रों वो पुरुषों से आगे भी हैं। महिलायें घर से लेकर ऑफिस तक हर क्षेत्र में अपनी उपलब्धि अंकित कर रही हैं। ज़मी पर ही नहीं आसमान पर भी अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं। वही दूसरी और महिलाओं पर अत्याचार के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ लोगों की सोच और नीच मानसिकता के चलते  महिलाओं को हर एक दिन में तंग किया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है, उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और उनका अपहरण और बलात्कार किया जाता है। आज देश की महिलाओं को जागरूक होने की जरूरत हैं। उन्हें अपने अधिकारों, अपने हक और उससे जुड़े कानूनों (Legal Rights Of Women) के बारे में पता होना जरूरी है।

पिछले कई दशक से महिलाओं की सोच में बहुत ही सकारात्मक बदलाव आया है जिसके चलते न वो सिर्फ अपनी पहचान बना रही हैं बल्कि इस देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। पर इन बदलावों का मलतब यह नहीं है कि पुरुष और महिलाएं बराबरी पर पहुंच गए हैं। जहाँ एक और महिलायें पुरुषों से कदम मिलकर चल रहीं हैं वहीं दूसरी और आज भी महिलाएं अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रही हैं। भारत सरकार भारतीय महिलाओं को महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करती है, पर दुर्भाग्य से, कई महिलाएं अपने अधिकारों को नहीं जानती हैं। तो आइए जानते हैं कि भारतीय संविधान महिलाओं को क्या-क्या अधिकार देता है :-

Contents

जानें महिलाओं के लिए बनें इन कानून और उनके अधिकारों के बारे में | Legal Rights of Women’s In India

Women’s Legal Rights In Hindi

समान वेतन का अधिकार Right To Equal Pay

समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत परिश्रिमिक / वेतन / मजदूरी भुगतान किसी भी लिंग  के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। महिलाओं को पुरुषों के सामान वेतन पाने का अधिकार है।

यौन उत्पीड़न Sexual Harassment 

घर हो बाहर आये दिन यौन उत्पीड़न के मामले सामने आते रहते हैं। नीच मानसिक सोच वाले मर्द महिलाओं को शिकार बनाकर उनका शोषण करते हैं। इतना कुछ सहने के बबजूत महिलाएं आवाज़ नहीं उठाती जिसके चलते यौन उत्पीड़न आये दिन बढ़ रहा है। यौन उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं का चुप्पी साधने का प्रमुख कारण उन्हें यौन हिंसा के खिलाफ कानूनों की जानकारी नहीं है। आइये जानते हैं क्या क्या बाते हैं जो यौन उत्पीड़न का हिस्सा हैं जिन्हें जानकर आप कानूनी कार्यवाही कर सकती हैं।

  • 1 – सार्वजानिक जगह पर किसी महिला का पीछा करना, भद्दे कमेन्स्ट और गाने गाना यौन हिंसा के दायरे में आते हैं। इसमें आईपीसी 294 के तहत 3 महीने की सजा हो सकती है।
  • 2 – सेक्सुअल रिलेशनशिप के लिए दवाव डलना।
  • 3 – बिना बताये उनकी फोटो खींचना और उन्हें शेयर करना।
  • 4 – किसी रूप में उनके साथ अश्लीन व्यवहार किया जाना।
  • 5 – महिलाओं के साथ छेड़ छाड़ करना।

घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005, Women’s Legal Rights – कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 और भारतीय दंड संहिता की धारा 354A, 354B, 354C और 354D का अनुपूरक हो सकते हैं और उन्हें पूर्णता प्रदान कर सकते हैं।  ये सभी कानून यौन प्रताड़ना और दर्शनरति तथा पीछा करने जैसे दुर्व्यवहार के अन्य स्वरूपों से सम्बंधित हैं। हालांकि यह कानून तभी प्रभावी हो सकते हैं, जब महिलाएं आगे आएं और दोषियों के खिलाफ मामले दर्ज कराएं।

काफी समय बाद भी शिकायत दर्ज करने का अधिकार Right to file a complaint even after a long time

किसी भी महिला के साथ शारिरीक शोषण, बलात्कार, छेड़छाड़  एक भयावह घटना है  और सदमे में जाना, डर जाना स्वाभाविक है। इसलिए घटना के काफी समय बीत जाने के बाद भी महिला अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है और पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इंकार भी नहीं कर सकती है।

कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ कार्यवाही का अधिकार Right to proceed against harassment at workplace

कार्य स्थल  पर किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के खिलाफ महिलाएं कार्यवाही करा सकती हैं। जरूरी नहीं है की यह शिकायत वही महिला कराये जिसके साथ उत्पीड़न हो रहा है। कोई भी व्यक्ति इसकी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न शिकायत समिति बनाना कार्य नियोक्ता का कर्तव्य है। जिसका काम कार्यस्थल पर किसी भी महिला के साथ हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ कार्यवाही करना है और जिसका नेतृत्व भी एक महिला द्वारा करना अनिवार्य है। Women’s Legal Rights – यदि यह समिति भी दोषी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती तो महिलायों को दोषी के खिलाफ कानूनी शिकायत करने का अधिकार है।

इंडिया की टॉप 10 सक्सेसफुल बिज़नेस वुमेन Successful Women Entrepreneurs in India

Women’s Rights Law For In India

घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं का अधिकार Women’s rights against domestic violence

महिला के साथ घर की चारदीवारी के अंदर होने वाली किसी भी तरह की हिंसा घरेलू हिंसा कहलाती है। जैसे महिला के साथ मारपीट, उत्पीड़न आदि। महिलाओं का घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज़ न उठाना एक एक बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है।

किसी भी महिला को मारना, गाली देना, उसका अपमान करना, मर्जी के बिना उससे शारीरिक संबंध या जबरदस्ती करना, शादी करने के लिए बाध्य करना आदि यह सभी मामले घरेलू हिंसा के दायरे में आते हैं। हर महिला को अपने साथ हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार है।

जरूरी नहीं है की घरेलू हिंसा के खिलाफ केवल पीड़ित महिला ही शिकायत करें, कोई भी अन्य व्यक्ति जो इस हिंसा को देखता है वो गुप्त रूप से भी पुलिस को सूचित कर सकता है।

अपनी पहचान गुमनाम रखने का अधिकार Right to keep identity anonymous

कोई भी महिला जो किसी दोषी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कराती है वह अपनी पहचान गुमनाम रखवा सकती है। महिला जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अकेले अपना बयान दर्ज कर सकती है।

निशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार Right to free legal aid

किसी भी महिला को कानूनी मदद लेने का अधिकार है। यदि किसी महिला को लगता है की उसके बयान को घुमा फिरा कर लिखा जा सकता है या  शिकायत को दर्ज करने से मना कर दिया गया है तो उसको कानूनी मदद लेने का अधिकार है। यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसी भी महिला को  मुफ्त में कानूनी सहायता मुहैया करवाए।

रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार Right not to be arrested at night

प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना किसी भी हिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, पुलिस किसी महिला कांस्टेबल के द्वारा ही उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। और परिवार के सदस्यों या दोस्तों की मौजूदगी में ही किसी महिला से पूछताछ कर सकती है।

महिलाओं को आभासी शिकायत दर्ज करने का अधिकार Women have the right to file a virtual complaint

कोई भी महिला  जब शारीरिक रूप से किसी पुलिस स्टेशन में जाने और शिकायत दर्ज करने की स्थिति में नहीं होती है तब पुलिस खुद उसके पास आकर उसकी शिकायत दर्ज करती है। दिल्ली पुलिस द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार, एक महिला को ईमेल या पंजीकृत डाक के माध्यम से शिकायत दर्ज करने का विशेषाधिकार है। यदि, किसी कारण से, एक महिला पुलिस स्टेशन नहीं जा सकती है, तो वह एक लिखित या पंजीकृत डाक के माध्यम से लिखित शिकायत भेज सकती है जो उपायुक्त या पुलिस आयुक्त के स्तर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को संबोधित है। फिर अधिकारी उस क्षेत्र के पुलिस थाने के एसएचओ को निर्देश देता है कि जिस क्षेत्र में घटना हुई है, वह शिकायतकर्ता का उचित सत्यापन करे और एफआईआर दर्ज करे। तब पुलिस उसके बयान लेने के लिए पीड़ित के निवास पर आ सकती है।

जीरो एफआईआर का अधिकार Right to Zero FIR

रेप पीड़िता सुप्रीम कोर्ट द्वारा जीरो एफआईआर के तहत किसी भी पुलिस स्टेशन से अपनी पुलिस शिकायत दर्ज करा सकती है। “कभी-कभी, जिस पुलिस स्टेशन के तहत घटना होती है, वह ज़िम्मेदारी को स्पष्ट रखने के लिए पीड़ित की शिकायत दर्ज करने से इनकार कर देता है, और पीड़ित को दूसरे पुलिस स्टेशन में भेजने की कोशिश करता है। ऐसे मामलों में, उसे जीरो एफआईआर के तहत शहर के किसी भी पुलिस स्टेशन पर एफआईआर दर्ज करने का अधिकार है।

इंटरनेट पर सुरक्षा का अधिकार Right to safety on internet

किसी भी महिला की अनुमति के बिना उसकी निजी फोटो इंटरनेट पर उपलोड करना एक क्राइम है और महिला उसके खिलाफ कार्यवाही कर सकती है। महिला सीधे उस वेबसाइट पर सम्पर्क कर सकती है जिसमे उसकी फोटो या वीडियो उपलोड किया गया है।

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार Rights against female feticide

गर्भधारण से पहले या उसके बाद लिंग चयन पर प्रतिबंध लगाया गया है। भ्रूण हत्या अपराध है और इसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाती है।

अपना आत्मविश्वाश कैसे बढ़ायें ? How to Increase Your Self Confidence ; 10 Best Tips

संपत्ति पर हक Property right

कोई भी महिला अपने हिस्से में आई पैतृक संपत्ति और खुद अर्जित संपत्ति को चाहे तो वह बेच सकती है। इस संपत्ति का वसीयत कर सकती है और चाहे तो महिला उस संपति से अपने बच्चो को बेदखल भी कर सकती है। महिला की मर्ज़ी के बिना इसमें कोई दखल नहीं दे सकता।

तलाक के बाद अधिकार Rights after divorce

तलाक होने के बाद महिला को पति की पैतृक व विरासत योग्य संपत्ति से भी मुआवजा या हिस्सेदारी मिलेगी। पैतृक संपत्ति में हक मिलने से तलाक के वक्त जब मुआवजा तय किया जाएगा, तो पति की सैलरी, उसकी अर्जित संपत्ति और पैतृक संपत्ति के आधार पर गुजारा भत्ता और मुआवजा तय किया जाएगा।

लिव-इन में अधिकार Rights in live-in

स्त्री और पुरुष  जब बिना विवाह किये हुए रहते हैं तो इसे लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है।  यदि स्त्री और पुरुष शादी योग्य हैं तो दोनों को लिव इन रेलशनशिप का अधिकार है। अगर दोनों तलाक शुदा हैं और अपनी इच्छा से साथ रह रहे हैं तो इसे लिव-इन रिलेशन माना जाएगा। लिव-इन रिलेशन में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा कानून के तहत प्रोटेक्शन भी मिला हुआ है।

मैटरनिटी लीव Maternity leave

महिला कर्मचारी को उसकी गर्भावस्था के लिए, बच्चे के जन्म और नवजात की शुरुआती देखभाल के लिए मातृत्व अवकाश का अधिकार है। यह अवकाश पेड होता है, यानी इसके लिए कंपनी छुट्टी के हर दिन के पैसों का भुगतान करेगी।

दहेज निरोधक कानून Dowry prevention law

दहेज लेना, दहेज के लिया प्रताड़ना और ससुराल में महिलाओं पर अत्याचार कानूनी अपराध है। शादी के पहले या बाद में दहेज की मांग करना कानूनी अपराध है और इस मामले में सजा का भी प्रावधान है।

निवेदन है कि इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

It is requested to share this information as much as possible.

I Hope आपको यह आर्टिकल “महिलाओं के कानूनी अधिकार Women’s Legal Rights In India” पसंद आया होगा। यह आर्टिकल आपके लिए कितना Helpful है Comments द्वारा अवश्य बतायें। यदि आपका कोई सुझाव है या इस विषय पर आप कुछ और कहना चाहें तो आपका स्वागत हैं। कृपया Share करें और जुड़े रहने की लिए Subscribe जरूर करें. धन्यवाद

यदि आप ज़िन्दगी से जुड़ी किसी भी बात के बारे में, किसी भी प्रॉब्लम के बारे में कुछ जानना चाहते हैं तो कृपया कमेंट करके बतायें मैं उस बारे में आर्टिकल जरूर लिखूंगा।

यदि आप इस ब्लॉग पर हिंदी में अपना कोई आर्टिकल या जो भी जानकारी देना चाहते है तो कृपया अपनी एक फोटो के साथ E-mail करें. Id है – ‘[email protected]’ पसंद आने पर आपके नाम और आपकी फोटो के साथ प्रकाशित की जाएगी। धन्यवाद

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *