हम सभी चाहते हैं की हमारी लाइफ में खुशियां (Happiness) हो। क्योंकि खुशियों के बिना हमारी ज़िन्दगी एक मुरझाये हुए फूल की तरह है। दोस्तों, खुशियां उस बरसात की तरह है जो हमारी बंज़र पड़ी ज़मीन में फूल खिला सकती है। सभी खुश रहना चाहते हैं और इसके लिए प्रयास करते रहते हैं। ख़ुशी को ढूढ़ते रहते हैं पर खुशियां नहीं मिलती। खुशियों को खरीदा नहीं जा सकता क्योंकि इसके लिए कोई दुकान नहीं है। आप खुशियों का बहाना ढूढ़ सकते हैं लेकिन वास्तविक खुशी आपको कैसे मिलेगी वो आप इस हिंदी कविता Hindi Poem “मैं खुशी कहाँ मिलती !” में जान पाएंगे। इस सुन्दर कविता Hindi Poem on Happiness के माध्यम से आप जान पाएंगे की आखिर वास्तविक ख़ुशी कहाँ हैं। तो आइये जानते हैं –
मैं खुशी कहाँ मिलती !
ख़ुशी पर कविता ~ Hindi Poem on Happiness
मैं खुशी … कहाँ मिलती !
कोई कहीं ढूंढे मुझे, कोई कहीं
भागते मेरे पीछे सभी
ढूंढते मुझे पूरी धरती
जल्दी से हाथ मैं भी न आती
मैं खुशी
एक दिन स्वपन में आई खुशी
बोली मैं महलों में नहीं
मंदिर-मस्जिद में नहीं
गीता-कुरान में मैं नहीं
महंगे परिधान, मोटर-गाड़ी सब लगते मुझे सजावटी
मैं खुशी
हर दिल में मैं मिलती
बस मुझे चाहने के लिए बनों सरल व संतोषी
फिर देखो
मैं तो दिन-रात पास में ही रहती
मैं हूं थककर आते पति की चाय की चुस्की
मैं खुशी
बच्चों की मुस्कुराहट में मैं मिलती
अतिथियो के सत्कार से मैं मिलती
बड़ों का आदर,
छोटों को प्यार से मैं मिलती
पडोसियों के सुख-दुख में शामिल होने से मिलती
मैं खुशी
मीठे बोल से मैं चहकती
मैं सच्चे दोस्तों में महकती
स्वच्छ व स्वस्थ वातावरण को मैं लुभाती
हरियाली देख नाचती बन मोरनी
जो अपने दायित्वों में दिखाते ईमानदारी
मैं रहती वहींं जो है मेहनती
मैं खुशी
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