हिंदी कहानी – गीत का इनाम – Hindi Story Geet Ka Inaam ‘A Brave Girl’

Hindi Story Geet

गीत का इनाम Hindi Story Geet Ka Inaam

हिंदी कहानी गीत का इनाम – Hindi Story Geet Ka Inaam ‘A Brave Girl’

गीत अभी तक कोचिंग क्लास से नहीं लौटी थी तीन बार गली के मोड़ पर जाकर देख चुका था। जबकि रोज साढ़े सात बजे तक लौट आती थी। आज तो साढ़े आठ हो चुके। फोन भी नहीं किया।

बादल छाने लगे जिसकी वजह से अंधेरा ज्यादा गहरा डरावना सा लग रहा था। जब एक-दो बार बिजली कड़की तो मैं बैचेन होकर पत्नी सुषमा से बोला क्या बात है, गीत अभी तक नहीं आई ?

पत्नी ; आ जाएगी इतना तनाव न लो। 

फोन तो करना चाहिए न। मैं झुंझलाया। 

पत्नी ; आपकी बात सही है। आने दो डांटती हूँ। 

अरे आने पर डांटने पर क्या होगा। माँ हो, जमाने की ऊँच-नीच तो उसे तुम ही समझा सकती हो। पता है, परसों उल्लास नगर की गली नम्बर 12 में एक लड़की के साथ क्या हुआ था।

जानती हूँ लेकिन आप इतना बुरा ही क्यों सोच रहे हो। ‘सुषमा के भी माथे पर चिंता की लकीर उभर आई लेकिन फिर वह रात के खाने की तैयारी में लग गई।’

कैसी लापरवाह औरत है, बेटी की तो जैसे चिंता ही नहीं। मै बुदबुदाया लेकिन एक पिता होने के नाते मैं जिम्मेदारी कैसे भूल सकता हूँ। आजकल के बच्चे भी तो लापरवाह हो गए हैं। तीन दिन पहले ही गति को पंद्रह हजार का मोबाइल दिलवाया है। अगर कहीं व्यस्त है तो एसएमएस, व्हाट्सऐप तो कर ही सकती थी। मुझे ही बाहर जाकर देखना होगा।

मैं गली से निकलकर मुख्य सड़क पर आ गया। तभी याद आया, जब मैं गली के मोड़ पर था, तब पान की दुकान पर खड़े कुछ आवारा लड़के मुझे देखकर फुंसफुसा रहे थे, जैसे मकड़ी किसी कीड़े को फंसाने के लिए जाल बुन रही हो। उनमें से एक तो मुझे देख फुहड़ता से हंसा भी। कोई तरस खाती, रहस्यमय सी वीभत्स हंसी। मैंने झट से उधर से ध्यान हटा लिया। लेकिन आशंकाओं का तीर पीठ में बहुत देर तक धंसा महसूस होते रहा।

सामने आते-जाते लोग और चमचमाते वाहनों की रेल-पेल थी परन्तु मुझे उनके चेहरे आज सहमें सहमें से लगे अजीब डर, आशंका से मेरे माथे पर पसीना छलछला आया। भगवान क्या हो रहा है। मुझे आज। 

सिर्फ नकारात्मक और डरावनी सोच !!

Hindi Story Geet Ka Inaam ‘A Brave Girl’

तभी अपनी विदाई पार्टी में सहकर्मी शर्मा की चेतावनी याद हो आई। “देखो भाई रिटायरमेंट के बाद कोई पार्ट टाइम जॉब कर लेना। आजकल सोचते बहुत हो नहीं तो किसी मनोचिकित्सक के पास जाना पड़ जाएगा।”

ओह! तो क्या मैं अवसादग्रस्त होते जा रहा हूँ। लड़की के पिता होने के घुन ने मुझे चबा डाला है। नहीं, नहीं, कुछ नहीं होगा गीत को…. बहुत समझदार साहसी लड़की है सुषमा के फोन से मेरी घातक एकाग्रता टूटी। क्या हुआ ? गीत दिखी?

नहीं यहां तो कहीं नहीं है। बमुश्किल मेरे गले से आवाज निकली। धैर्य का बांध फिर टूटता सा लगा। 

उधर सुषमा भी दुश्चिताओं से थरथराई फिर गहरे आत्मविश्वास से सुषमा बोली “हो सकता है कोचिंग क्लास देर से छूटी हो।”

हां, यह भी तो हो सकता है। मेरी आंखों की चमक लौट आई। यह तो सोचा ही नहीं। उसकी स्कूटी भी पंचर हो सकती है शायद किसी रैली या शोभा यात्रा में फंस गई हो।

प्रशासन को तो अनुमति नहीं देना चाहिए इन्हें पूरी सड़कों को घेर कर चलते हैं। 

मैं फिर मुख्य सड़क पर नजरें दौड़ाने लगा। गीत का कहीं कोई नामोनिशान नहीं दिख रहा था। मैं बैचेनी से बुदबुदाने लगा। मुझे इस तरह देख एक आदमी रूक कर गौर से देखने लगा फिर बोला आप ठीक तो हैं।

आपको मतलब, अपना काम कीजिए। मैं विस्फोटक ढंग से चिल्ला पड़ा। वह भाग खड़ा हुआ। 

मैंने घड़ी पर नजर डाली, रात के दस बज चुके थे। 

क्या पुलिस में रिपोर्ट करना चाहिए ? नहीं, ऐसे तो बदनामी होगी। भगवान क्या करूँ।

तो क्या रात में जो दुःस्वप्न देखा था, वह सत्य सिद्ध होने जा रहा है। जंगल में भटक रहा था स्वप्न में। 

तभी वह खंडहरनुमा मकान दिखाई दिया। कोई चिड़िया गलती से बंद हो गई थी। बाहर निकलने की कोशिश में खिड़कियों के कांच और लोहे के दरवाजे पर चोंच से निंरतर प्रहार करती और लहूलुहान होते जाती। जब उसे पंख बेदम हो गए तो एक क्षत-विक्षत, करूण तेज चहचहाट के साथ वह विराट अंधेरे में कुंए में अंततः समा ही गई।

वैसा ही पसीना मुझे आज भी कनपटियों से बूंद-बूंद रिसता हुआ महसूस हुआ। उस दुःस्वप्न और गीत के अब तक न लौट आने में क्या कोई डरावना सम्बन्ध हो सकता है?मुझे कोई कड़ी जुड़ती सी लगी। उसे नकारने की कोशिश में मैं छटपटाने सा लगा।

एक बार फिर मुख्य सड़क पर नजर डाली। दूर-दूर तक गीत  के आने की आहट नही थी। मुझे लगा और यहां इंतजार किया तो चक्कर खाकर गिर जाऊँगा। हताशा में मेरे कदम घर की तरफ मुड़ गए।

जैसे ही घर पहुँचा गीत की स्कूटी भी आ पहुँची। जोर-जोर से हॉर्न बजाती हुई। 

मैं और सुषमा लड़खड़ाते  कदमों से बाहर आए। सामने गीत ही थी। 

बाल बिखरे, चेहरे पर खरोंच के निशान, कपड़े दो-तीन जगह से फटे हुए।

क्या हुआ ? हम दोनों एक साथ विलाप जैसा कर उठे।

शांति पापा, शांति। कोई लफंगा एक बूढे अंकल को मोटर साइकिल से चोट पहुँचाकर भाग रहा था। उसी को पकड़ने, पुलिस तक पहुँचाने में थोड़ी चोट आ गई। गीत ने लापरवाही से कहा। 

लेकिन हमारी तो जान ही निकल गई थी। कैसे-कैसे ख्याल आ रहे थे।

ठीक है। अगली बार जब मैं ज्यादा लेट हो जाऊं तो आशंकाए नहीं, खुशफहमी पालना। समझ जाना, किसी मजनूं की ठुकाई, किसी चोर का पीछा, या चक्कर खाकर गिर गए किसी रिक्शेवाले को अस्पताल पहुंचाने में व्यस्त हूँ और हां, जब लौटू तो मेरा इनाम तैयार रहना चाहिए। गीत लापरवाह सी बोली।

इनाम। भौंचक्का सा मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। तब तक खिलखिलाकरर हंसते हुए गीत घर के अंदर जा चुकी थी।

Hindi Story हिंदी कहानी – यह भी जरूर पढ़ें ;

अकबर बीरबल के 5 दिलचस्प किस्से (कहानियाँ)

सम्राट का बीज~प्रेरणादायक हिंदी कहानी

हॉस्पिटल की खिड़की

आपने क्या देखा ? Inspirational Story for Success Lesson In Hindi

बिना सोचे समझे फैसला लेने का परिणाम

उम्मीद करता हूँ यह Hindi Story हिंदी कहानी “गीत का इनाम – Hindi Story Geet Ka Inaam ‘A Brave Girl’ आपको पसंद आई होगी । कृपया कमेंट कर अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। शेयर करें, जुड़े रहने की लिए Subscribe करें . धन्यवाद

Hello friends, I am Mukesh, the founder & author of ZindagiWow.Com to know more about me please visit About Me Page.

2 Replies to “हिंदी कहानी – गीत का इनाम – Hindi Story Geet Ka Inaam ‘A Brave Girl’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *