सीने में धड़कता जो हिस्सा है
उसी का तो ये सारा किस्सा है !
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो !
दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं है
जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन दिल के पास होता है!
यूँ तो रौनकें गुलज़ार थी महफ़िल, उस रोज़ हसीं चहरों से…
जाने कैसे उस पर्दानशी की मासूमियत पर हमारी धड़कने आ गई!!
ऐ इश्क़.. दिल की बात कहूँ तो बुरा तो नहीं मानोगे,
बड़ी राहत के दिन थे तेरी पहचान से पहले !
शायर बनन बहुत आसान है,
बस एक अधूरी मुहोब्बत की मुकम्म्मल डिग्री चाहिए!
मौसम का गुरुर तो देखो,
तुमसे मिल के आया हो जैसे!
महफ़िल में गले मिलकर वह धीरे से कह गए,
यह दुनिया की रस्म है, इसे मुहोब्बत मत समझ लेना
किसी पर मर जाने से होती हैं मुहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों का नहीं !
वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं !
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं
बहुत ही सुन्दर रचना ।