Gulzar Shayari ~ गुलज़ार साहब की कुछ मशहूर शायरी हिंदी में | Gulzar Ki Shayari

Gulzar Shayari

आइना देख कर तसल्ली हुई …
हमको इस घर में जानता है कोई !


कौन कहता है जनाव, हम झूट नहीं बोलते,
एक बार खैरियत पूछ कर तो देखिये !


दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई !


शोर की तो उम्र होती हैं….
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं !


खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?
एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।


दर्द की भी अपनी एक अदा है,
वो भी सहने वालों पर फ़िदा है!


आज की रात यूँ थमी सी है …
आज फिर आपकी कमी सी है… !


तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं !


चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई,
कुछ रोज़ हो गए हैं…अब उठता नहीं धुआँ !


अपने साए से भी चौंक जाते हैं …
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा…


आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं,
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ !


मीलो का सफर, पल में बर्बाद कर गया,
उसका ये कहना… कहो कैसे आना हुआ !!


वही दीये हाथो को जला देते है…
जिसको हम हवा से बचा रहे होते है…!!


बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती !


पलक से पानी गिरा है तो उसे गिरने दो,
कोई पुरानी तम्मना पिघल रही होगी !


Gulzar Shayari On Life 

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