कैसे बनें एक बेहतर और अच्छा इंसान How to be a better person

become a better person

How to be a Better Person ; हम हमेशा सर्वश्रेष्ठ बनना चाहते हैं। चाहते हैं कि लोग हमारा सम्मान करें और हमें एक अच्छा व्यक्ति माने। हम हमेशा खुद को बेहतर बनाने के तरीके खोजते रहते हैं। एक अच्छा इंसान बनना कठिन नहीं है, लेकिन यह एक  रात भर का सपना भी नहीं है की आप सुबह उठे और एक अच्छा इंसान बन गए । आज के इस Article में आप जानेंगे कि कैसे Better Person बन सकते हैं।

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एक अच्छा और बेहतर इंसान बनने के तरीके !
How to be a Better Person

जब भी हम किसी ‘इंसान’ को ‘अच्छा इंसान’ (Better Person) कहते हैं तो हम उसके रंग-रूप, उसकी धन सम्पति और उसकी सफलता को नहीं देखते बल्कि उन सारी अच्छाइयों को देखना चाहते हैं जो न सिर्फ हमें प्रभावित करती हैं बल्कि हमें प्रेरणा भी देती हैं। यानि हमारा व्यक्तित्व और हमारे गुण ही हमारे जीवन को एक आदर्श जीवन बनाते हैं।

जब आप पूरे विश्वास के साथ अच्छे काम करेंगे तभी लोग आपको पहचानेगे, आपका सम्मान करेंगे और आपको एक अच्छा और बेहतर इंसान कहेंगे। तो आइये जानते हैं  कुछ सबसे महत्वपूर्ण तरीकों को जिन्हें अपनाकर आ एक बेहतर इंसान (become a better person) बन सकते हैं।

How to be a Better Person

दूसरों से मीठा बोलो – 

सर्वप्रथम हमारी बोली यानि हमारे मुख से निकले शब्द ही हमारा परिचय करा देते हैं। भले ही हम कितने ही भलाई के काम करते हों लेकिन यदि हमारी बोली में नम्रता नहीं हैं तो लोग हमको घमंडी समझेंगे। कहा गया है कि “तलवार का घाव देर-सवेर भर ही जाता है, किंतु कटु वचनों से हुआ घाव कभी नहीं भरता।”

मीठा बोलना एक अच्छे इंसान (better person) होने का पहला गुण हैं। एक अच्छा इंसान धैर्य के साथ मीठा बोलता है। अच्छे इंसान की बोली में न तो घमंड झलकता है और न ही चालाकी। यदि इन तरह का व्यक्ति किसी से गुस्से से भी बोले तो सामने वाले को बुरा नहीं लगता। यह एक ऐसा अच्छा गुण है जो दुश्मन को भी दोस्त बना लेता है।

संत कबीर दास जी कहते हैं – ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।

अर्थात – हमें ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए, जिससे दूसरों को शीतलता का अनुभव हो और साथ ही हमारा मन भी प्रसन्न हो उठे। कबीर दास जी ने मुँह से निकली बातों को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने वाणी को सबसे ऊपर रखा है।

तो यदि आपको एक अच्छा इंसान बनना हैं तो अपनी बोली को मधुर रखें। इसमें कोई पैसा भी नहीं लगता बस अभ्यास और अपने मन में विश्वास रखें।

सकारात्मक विचार रखो –

सकारात्मक विचारों का होना अच्छे व्यक्ति (better person) होने का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण गुण है। महात्मा गांधी का एक कथन है कि “इंसान वैसा ही बनता जाता है जैसी वह सोच रखता है। जहाँ नकारात्मक सोच रखने वाले को बेचारा या दुखी समझा जाता है वही सकारात्मक विचार रखने वाले को अच्छा इंसान समझा जाता है।”

सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति का सभी सम्मान करते हैं और उस पर विश्वास रखते हैं। सकारात्मकता रखने वाले व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी हर काम जिम्मेदारी के भाव के साथ करता है। सकारात्मक विचारों वाला व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थतियों में भी हार नहीं मानता और काँटों में भी फूल देख लेता हैं।

तो यदि आप एक अच्छा इंसान (better person) बनना चाहते हैं तो हमेशा अपने विचारों में सकारात्मकता रखें। इसमें भी कोई पैसा नहीं लगता बस अभ्यास और अपने मन में विश्वास रखें।

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दूसरों की सहायता / मदद करें – 

न सिर्फ अच्छे इंसान कहलाने के लिए बल्कि मानव जीवन का कर्तव्य है कि अपने मन, वचन और कार्यों से दूसरों की मदद करे। जो इंसान न केवल अपनों का बल्कि अपने आस – पड़ोस और समाज का भला चाहे सदा उनके लिए कुछ करने के लिए प्रेरित रहे, वह एक अच्छा इंसान कहलाता है।

जितना हो सके दूसरों की मदद जरूर करें। जब आप किसी की मदद करते हैं तो खुद आपको अंदर से अच्छा लगता है, आपको ख़ुशी महसूस होती है। सच कहें तो अच्छा इंसान न सिर्फ मित्रों के प्रति बल्कि शत्रुओं के प्रति भी भलाई का भाव रखता है। जिससे उसका कोई शत्रु नहीं होता।

तो यदि आप अच्छा इंसान बनाना चाहते हैं तो इस तीसरे गुण को भी अपना लें। जितना हो सके दूसरों के मदद करो। सेवा का दान दें और यदि संभव हो तो धन का दान दें। हर व्यक्ति के मदद करने की कोशिश करें। जब आप लोगों की मदद करने के लिए तत्पर होते जाते हैं तो ईश्वर भी आपको इसमें सक्षम बनता जाता है।

समझदारी से काम लें – 

किसी व्यक्ति को अच्छा इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि वो समझदार होता है। जो व्यक्ति हालात और समय में छिपे संकेतों को समझ ले वहीं समझदार है। एक समझदार व्यक्ति ही मुश्किल समय में सही सलाह दे सकता है। समझदारी के गुण ऐसा है जिसे विकसित क्या जा सकता है।

समझदार इंसान वही है जो हर विषम परिस्थिति में भी सहज रहे, सामान्य रहे। चाहे जैसी भी समस्या हो उसका निराकरण आसानी से निकाल ले। समझदार व्यक्ति बनने के लिए आपको विपरीत परिस्थितियों में भी पूरे धैर्य के साथ काम लेना होता है। समस्याओं से घबराने की बजायें उसे हल करने के बारे में सोचना ही आपको अच्छा इंसान बनाता है।

चाणक्य के अनुसार जिस प्रकार यदि कोई सांप जहरीला ना हो तो भी उसे स्वयं को जहरीला ही दिखाना चाहिए। ठीक इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति समझदार या विद्वान न हो तब भी उसे दूसरों के सामने समझदार बने रहना चाहिए। इसी में भलाई है।

तो यदि आप अच्छा इंसान बनाना चाहते हैं तो इस समझदारी वाले गुण को भी अपना लें। किसी काम में जल्दवाजी न करें, हड़बड़ी न दिखाएँ। ऐसे में सही उपाय यही है कि हमेशा खुद को समझदार ही दिखाए। इसके साथ ही अपने स्तर पर हालात और परिस्थितियों को समझने का प्रयत्न करते रहे। इस प्रकार आपको समाज में इज्जत मिलेगी और आप हमेशा ही अन्य लोगों के सामने आदरणीय बने रहेंगे।

सच्चा और सीधा बनो – 

यदि आप सच्चे और सीधे हैं तो अच्छे लोगों की परिभाषा में तो आप आ ही गए। एक और जहाँ घमंडी रहना लोगों में आपके प्रति नफरत भरता है वही आपका सीधापन और भोलापन लोगों में आपके प्रति अच्छाई को उजागर करता है।

सरल रहो, जिद्दी मत बनो, दिखावा मत करो, शिकायत मत करो बल्कि जैसे हालात और परिस्थितियां है उनके अनुसार अपने आप को ढाल लो। ऐसे व्यक्ति को सब पसंद करते हैं जिसे मिलने में वो असहज महसूर न करें। तो यदि आपको एक अच्छा इंसान बनना है तो आपमें सच्चा और सीधापन होना भी जरूरी है।

ईमानदार रहें –

बिना ईमानदारी के कोई भी व्यक्ति अपने आस-पड़ोस अपने समाज आदि के साथ किसी भी स्थिति में रिश्ते को विश्वसनीय नही बना सकता है। ईमानदारी संबंधों में विश्वास का निर्माण करती है। झूठा व्यक्ति निरंतर गिरता जाता है। यदि आप किसी से एक झूठ बोलते हैं तो आपको 100 और झूठ बोलने पड़ेंगे।

कोई किसी के मस्तिष्क को तो नहीं पढ़ सकता, जब तक कि वह यह महसूस नहीं करता कि वह व्यक्ति ईमानदार है। ईमानदारी के गुण ऐसी आदत है, जो सभी में आपके प्रति विश्वास जगती है।

तो यदि आप एक बेहतर व्यक्ति बनना चाहते हैं तो अपने और दूसरों के प्रति ईमानदार रहें। ईमानदारी को व्यवहार में लाने का अभ्यास करें।

नियम और अनुशासन का पालन करें –

नियम और अनुशासन पर चलने वाला व्यक्ति एक अच्छा इंसान होता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में नियम बनता हैं उनका पालन करता है। ऐसा व्यक्ति कानून और समाज के बनाये गए नियमों का भी पालन करता है। अच्छा इंसान अनुशासित होता है। वह अपनी हदों और सीमाओं को जनता है और उसी में अनुसार अपना जीवन निर्वाह करता है।

तो यदि आपको एक अच्छा इंसान बनना है तो अनुशासित रहना, अच्छे से व्यवहार करना, सच बोलना, समयनिष्ठ होना और दूसरों की ईमानदारी से मदद करना आदि के साथ-साथ नियम और अनुशासन का पालन भी करना होगा। घर परिवार हो, समाज हो या आपका कर्म क्षेत्र सभी जगह नियम और पालन से चलना होगा।

अपनी बात रखें तो दूसरों की बात भी सुने –

यदि उचित हो तो अपनी बात जरूर रखें लेकिन दूसरों की बात भी जरूर सुनों। लोग ऐसे व्यक्ति को पसंद नहीं करते जो भले ही समझदार क्यों न हों लेकिन अपनी बात के आगे दूसरोँ की बात नहीं समझते। दूसरों की बात ध्यान से सुने, समझें यदि कोई सुझाव दे रहा है तो उसे भी सुने और समझे। एक अच्छा व्यक्ति भले ही एक अच्छा वक्ता न हो लेकिन एक अच्छा श्रोता जरूर होता है।

तो यदि आपको एक अच्छा इंसान कहलाना है तो अपनी बात चाहें रखे या ना रखें लेकिन दूसरों को बात को बीच में नहीं काटे, यदि बात अच्छी न लगे तो बहाना बनाकर चले जाये लेकिन यदि बात अच्छी लगे तो खुद बोलने से पहले सामने वाले की बात पूरी होने दें।

अपनी गलती मानने वाला व दूसरों को क्षमा करने वाला – 

अधिकांश लोग अपनी गलती को मानने की वजाए दूसरों को दोषी ठहराते हैं। वे हमेशा दूसरों में ही कमी और गलतियों को ढूढ़ते हैं। लेकिन एक अच्छा इंसान अपनी गलतियों को स्वीकार करता है, गलतियों के कारण को ढूढ़ता है और जाने अनजाने में की गई गलतियों के लिए अपने परायों से माफ़ी भी मांगता है।

सच तो यह है की अच्छा इंसान दूसरों के गलतियां निकालने में विश्वास नहीं रखता बल्कि उन्हें माफ़ पर गलतियां सुधारने का मौका देता है। अपनी गलतियों का मानने और दूसरों की गलतियों को सरलता से क्षमा करने का यह भाव ही न सिर्फ उसे विवादों से दूर रखता है बल्कि लोगों के नज़रों में उसे ऊँचा उठता है।

तो यदि आपको एक अच्छा इंसान बनना है तो अपनी गलती को स्वीकार करें, गलती का कारण ढूढे और उसे सुधारे और यदि किसी दूसरे से गलती हो गई हो तो उसे भी क्षमा करें जिससे उसकी नज़रो में आपके लिए सम्मान बढ़ जायेगा।

अच्छी संगत में रहें –

एक अच्छा इंसान बनने का आखिरी पर सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। भले ही आप दूसरों से मीठा बोले, सकारात्मक सोच रखें, दुसरों की मदद भी करें, ईमानदार रहें आदि, फिर भी यदि आपकी संगत गलत है तो आप अच्छे होते हुए भी कहीं न कहीं इस श्रेणी में नहीं आ पायेगें।

संगत चाहे अच्छी हो या बुरी वह आपके विचार और चरित्र को दर्शाती है। इस का मतलब यह नहीं है की आप समाज में किस भी बुरे आदमी से व्यवहार अथवा पहचान मत रखो। समाज में रहना है तो सभी लोगो से पहचान रखनी पड़ेगी। लेकिन संगत आपको केवल अच्छे लोगो के साथ ही रखनी चाहिए।

कबीर जी कहते हैं, “कबीर संगत साधु की, नित प्रति कीजै जाय, दुरमति दूर बहावासी, देशी सुमति बताय।”

अर्थात ‘प्रतिदिन जाकर संतों की संगत करो | इससे तुम्हारी दुबुद्धि दूर हो जायेगी और सन्त सुबुद्धि बतला देंगे। ‘

तो यदि आपको एक बेहतर इंसान बनना है तो उन लोगों के साथ रहें जिनकी समाज में इज्जत हो और वो अच्छे लोगो में गिने जाते हैं।


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