पंडित दीनदयाल उपाध्याय के प्रमुख अनमोल विचार | हिंदी कोट्स | | Pt Deendayal Upadhyaya Quotes | Pt Deendayal Upadhyay one of the great thinker of the country, has given valuable ideas in Hindi, which will prove to be very important for your life.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को नगला चंद्रभान, मथुरा , ब्रिटिश इंडिया (अब उत्तर प्रदेश, भारत ) में हुआ था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी पत्रकार होने के साथ-साथ चिन्तक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, इतिहासकार एवं लेखक थे। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठनकर्ता और भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष थे। उनका उद्देश्य स्वतंत्रता की पुनर्रचना के प्रयासों के लिए विशुद्ध भारतीय तत्व-दृष्टि प्रदान करना था। वे भारत को सिर्फ जमीन का टुकड़ा ही बल्कि जीता जागता एक महान राष्ट्र मानते थे। उनका कहना था कि हमारा धर्म कोई भी हो पर हम सब एक भारतीय हैं। तो आइयें आज इस पोस्ट के माध्यम से जानते हैं इस महान पुरुष के द्वारा दिए गए महान विचारों ‘Pt Deendayal Upadhyaya Quotes’ को और उनसे प्रेरणा लेते हैं।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के 31 अनमोल विचार
Great Thinker Pt Deendayal Upadhyaya Quotes
Quote 1 : जब हमारा स्वाभाव धर्म के सिद्धांतो के जरिये बदलता है तब हमें संस्कृति और सभ्यता की प्राप्ति होती है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 2 : यह परम आवश्यक है कि हम ‘हमारी राष्ट्रीय पहचान’ के बारे में सोचें जिसके बिना ‘स्वतंत्रता’ का कोई अर्थ नहीं है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 3 : धर्म एक बहुत ही व्यापक अवधारणा है जो समाज को बनाए रखने के जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित है। हमारे देश में नैतिकता के सिद्धांतों का पालन करना धर्म कहा जाता है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 4 : एक देश लोगो का समूह होता है जो एक लक्ष्य, एक आदर्श, एक मिशन के साथ जीते है, इस धरती के टुकड़े को मातृभूमि के रूप में देखते है। यदि आदर्श या मातृभूमि इन दोनों में से कोई एक भी नही है तो इस देश का अस्तित्व नही है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 5 : यदि समाज के हर वर्ग का हर व्यक्ति शिक्षित होगा तभी वह समाज के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में समर्थ हो – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyayaपायेगा।
Quote 6 : भारत जिन समस्याओं का सामना कर रहा है उसका प्रमुख कारण इसकी ‘राष्ट्रीय पहचान ’ की उपेक्षा है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 7 : जिस राज्य में समस्त शक्तियां (राजनीतिक और आर्थिक दोनों) समाहित होती हैं तब परिणामस्वरुप धर्म की गिरावट होता है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 8 : मौकापरस्ती ने राजनीति में लोगों के विश्वास को हिला दिया है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 9 : किसी सिद्धांत को ना मानने वाले अवसरवादी हमारे देश की राजनीति नियंत्रित करते हैं। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 10 : अंग्रेजी का शब्द ‘रिलिजन’ धर्म के लिए सही शब्द नहीं है। चूँकि धर्म सर्वोच्च है, हमारे राज्य के लिए आदर्श ‘धर्म का राज्य’ होना चाहिए। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 11 : हमने थिंग्स-ब्रिटिश का विरोध करने में गर्व महसूस किया, जब वे (अंग्रेज ) हम पर शाशन करते थे, लेकिन अजीब तरह से, अब जब अंग्रेजों ने छोड़ दिया है, तो हमारे लिए पश्चिमीकरण प्रगति का पर्याय बन गया है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 12 : पश्चिमी विज्ञान और पश्चिमी तरीके से जीवन यह दो अलग-अलग चीजें हैं। एक ओर पश्चिमी विज्ञान सार्वभौमिक है और यदि हमें आगे बढ़ना है तो इसे हमारे द्वारा अवश्य अपनाया जाना चाहिए, लेकिन वही पश्चिमी जीवन शैली और मूल्यों के बारे में यह सही नहीं है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 13 : एक व्यक्ति को शिक्षित करना एक निवेश है क्योंकि आगे चलकर शिक्षित व्यक्ति समाज की सेवा करेगा। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pt Deendayal Upadhyaya Quotes
Quote 14 : मानव प्रकृति में दो प्रवृत्तियां आमने सामने रही हैं – एक ओर क्रोध और लालच तो दूसरी ओर प्रेम और बलिदान। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 15 : मुसलमान हमारे शरीर का शरीर और खून का खून है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 16 : भले ही भारतीय जीवन में अनेक विविधता और बहुलता देखने को मिलती है लेकिन हमे इनके पीछे छिपी हुई एकता को खोजने का प्रयास करना चाहिये। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 17 : विविधता में एकता और विभिन्न रूपों में एकता की अभिव्यक्ति भारतीय संस्कृति की विचारधारा में रची- बसी हुई है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 18 : पिछले 1000 वर्षों में हमने जो कुछ भी आत्मसात किया है-चाहे वह हम पर मजबूर हो या हमने इच्छा के साथ लिया हो-अब उसे चाहकर भी नही छोड़ा जा सकता है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 19 : मानवीय ज्ञान आम संपत्ति है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 20 : धर्म के मौलिक सिद्धांत अनन्त और सार्वभौमिक हैं। हालांकि, उनके कार्यान्वयन का समय और स्थान परिस्थितियों के अनुसार भिन्न हो सकता है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 21 : स्वतंत्रता तभी सार्थक हो सकती है जब वह हमारी संस्कृति की अभिव्यक्ति का साधन बने।
Quote 22 : शक्ति हमारे असंयत व्यवहार में नहीं बल्कि संयत कार्रवाई में निहित है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 23 : बीज की एक इकाई विभिन्न रूपों में प्रकट होती है जैसे – जड़ें, तना, शाखाएं, पत्तियां, फूल और फल पर इन सबके रंग और गुण अलग-अलग होते हैं, फिर भी बीज के द्वारा हम इन सबके एकत्व के रिश्ते को पहचान लेते हैं। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 24 : दोनों राष्ट्रीय और मानवीय दृष्टिकोण से, यह आवश्यक हो गया है कि हम भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों के बारे में सोचें। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pt Deendayal Upadhyaya Quotes
Quote 25 : हमे सही व्यक्ति को वोट देना चाहिए न की उसके बटुए को, पार्टी को वोट दे किसी व्यक्ति को नही, किसी पार्टी को वोट न दे बल्कि उसके सिद्धांतो को वोट देना चाहिए। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 26 : धर्म के मूल सिद्धांत शाश्वत और सार्वभौमिक हैं. हालांकि, उनका क्रियान्वन समय, स्थान और परिस्थितियों के अनुसार अलग -अलग हो सकता है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 27 : हेगेल ने थीसिस, एंटी थीसिस और संश्लेषण के सिद्धांतों को आगे रखा, कार्ल मार्क्स ने इस सिद्धांत को एक आधार के रूप में इस्तेमाल किया और इतिहास और अर्थशास्त्र के अपने विश्लेषण को प्रस्तुत किया, डार्विन ने योग्यतम की उत्तरजीविता के सिद्धांत को जीवन का एकमात्र आधार माना; लेकिन हमने इस देश में सभी जीवों की मूलभूत एकात्म देखा है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 28 : भारतीय संस्कृति की यह मूल विशेषता है की यह जीवन को विशाल और वृहद् रूप में देखती है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 29 : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ( चार पुरुषार्थ ) की लालसा मनुष्यों में जन्मजात होती है और समग्र रूप में इनकी संत्सुष्टि भारतीय संस्कृति का सार हैं। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 30 : हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता हैं, केवल भारत ही नहीं। माता शब्द हटा दीजिये तो भारत केवल जमीन का टुकड़ा मात्र बनकर रह जायेगा। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
Quote 31 : अपने राष्ट्र की पहचान को भुलाना भारत के मूलभूत समस्या का प्रमुख कारण है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय / Pandit Deendayal Upadhyaya
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