आपके दुःख का कारण ! Aapake Dukh Ka Karan ~ A Inspirational Hindi Story

Dukh Ka Karan

दुःख का कारण आपकी प्रिय वस्तुएं होती हैं। इस बात को भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए ज्ञान को एक कहानी के माध्यम से जानेंगे। आइयें जानते हैं आपके दुःख का कारण ! Aapake Dukh Ka Karan ~ A Inspirational Hindi Story – A Real Life Lessons By Gautama Buddha

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आपकी प्रिय वस्तुएं  होती हैं आपके दुःख का कारण !

A Inspirational Hindi Story – A Real Life Lessons By Gautama Buddha

एक व्यापारी था जो अपने लड़के से अपने प्राणों से ज्यादा प्यार करता था। वो लड़का उसकी आखों का तारा था। वह अपने लड़के को देखकर ही जीता था। जब तक वो अपने लड़के को देख न ले उसे चेन नहीं मिलता था। वो लड़का ही उसकी खुशियों का कारण था।

एक दिन दुर्भाग्य से लड़का अचानक बीमार हो गया। काफी इलाज़ कराया पर लड़के की हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी। और एक दिन वो लड़का अपने पिता की खुशियाँ को उजाड़कर इस दुनियां से चला गया। वो व्यापारी इस सदमे को सह न सका और पागल सा हो गया।

एक दिन वो घूमते हुए श्रावस्ती नामक स्थान पर पहुँचा। उस समय श्रावस्ती के जेतवन में भगवान गौतम बुद्ध रहते थे। वो दुखी व्यापारी भी भगवान बुद्ध के दर्शन करने हेतु पहुंचा। बुद्ध को प्रणाम कर वो एक कोने में बैठ गया।

गौतम बुद्ध ने उसकी ओर देखा और बोले “तेरी इन्द्रियां कुछ चंचल मालूम पड़ती हैं। तू बहुत दुखी है।

वो व्यक्ति बोला “महाराज मेरा प्यारा एकलौता बेटा, मेरे सुख का कारण – मेरी इस सुख की दुनियां को उजाड़कर इस दुनियां से चला गया। उसके दुख में मैं अपनी सुध बुध खो बैठा हूँ और यहाँ वहाँ घूमता रहता हूँ।

Aapki Priye Vastuyen Aapake Dukh Ka Karan ~ A Inspirational Hindi Story –

भगवान बुद्ध ने कहा “इस संसार में दुःख, शोक और सभी प्रकार की विपत्तियां आपकी अपनी प्यारी वस्तुओं द्वारा पैदा होती हैं।

जब उस व्यक्ति ने भगवान बुद्ध की बातों को सुना तो चकित होकर बोला “क्यों महाराज ! भला कोई प्रिये वस्तु भी दुःख का कारण हो सकती हैं। इतना कहकर वो उठा और बुद्ध को बिना प्रणाम किये हुए वहां से चला गया।

कुछ दूर चलते चलते उसे कुछ जुआरी दिखे जो जुआ खेल रहे थे। वो व्यक्ति उन जुवारियों से निंदा करते हुए बोला – सुनो ! गौतम को देखो – वो कहते हैं इस संसार में सभी प्रिय वस्तुएं दुःख का कारण होती हैं। दुनिया में जितने भी शोक और विपत्ति हैं वो अपनी प्रिय वस्तओं के कारण ही हैं। मुझे तो उनकी बात पर बिलकुल भी विश्वास नहीं हैं।”

सभी जुवारी उसकी बात सुनकर हँसे और उनमे से एक बोला -” तुम सही कह रहे हो ! प्यारी वस्तुएं तो सुख और आंनद के लिए हैं। उनमे दुःख और शोक की कल्पना करना तो मूर्खता वाली बात है।”

जुवारियों को अपनी बात का समर्थन करता देख वो व्यापारी बहुत खुश हो गया। बस वो समझ गया की वो ठीक है और गौतम बुद्ध गलत। अब तो वो सबसे जाकर गौतम बुद्ध की बुराई करता।

यह बात पूरे नगर में फ़ैल गई। उस नगर के राजा प्रसेनजित के कानों तक भी यह बात पहुँच गई। उस राजा को भी गौतम बुद्ध की बात सही नहीं लगी। उसने कई विद्वानों से इस बात पर चर्चा की पर सभी न कहा ऐसा नहीं वो सकता। भला कोई प्रिये चीज़ दुःख का कारण कैसे हो सकती है।

जब यह बात रानी ने सुनी तो उसने राजा से कहा “महाराज यदि गौतम बुद्ध ने यह बात कही हैं को निश्चित ही यह सही होगी।”

रानी के बात सुनकर राजा क्रोधित स्वर में बोला “गौतम जो भी कहता है तू बस उसकी बात का गुणगान ही क्या कर। ये सब तेरा भ्रम है। तुझे एक भ्रम के रास्ते पर जानबूझकर भटकते हुए देखकर मेरी आखें जाली जा रही हैं। जा हटा जा यहाँ से। भगवान बुद्ध के खिलाफ रानी कुछ नहीं सुन सकती थी इसलिए दुखी होकर वहां से चली गई।

रानी ने नालिजंघ नाम के एक ब्राह्मण को बुलाया और कहा “तुम शीघ्र ही भगवान बुद्ध के पास जाओ और उनको मेरी तरफ से सादर प्रणाम करके कहना “की संसार में प्रिये वस्तुएं दुःख का कारण कैसे होती हैं। जब वो तुमको इसका उत्तर बतायें तो उनकी एक भी बात को भूल न जाना और सारी बात मुझे आकर बताना।

Dukh Ka Karan ~ Inspirational Hindi Story

नालिजंघ बुद्ध के पास गया और उनसे मल्लिका द्वारा कही बात बता दी। भगवान बुद्ध बोले “हाँ इस संसार में सभी प्रिये वस्तुएं दुःख का कारण होती हैं। कुछ समय पहले एक स्त्री की माँ मर गई। वो स्त्री अपनी माँ के वियोग में इतनी दुखी हो गई की उसका अपने शरीर का भी ख्याल नहीं रहा। वो फूलों से, पेड़ों से, आते जाते राहगीरों से यही पूछती कि क्या तुमने मेरी माँ को देखा है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वो स्त्री अपनी माँ से बेहद प्यार करती थी।”

बुद्ध आगे बोले “इसी तरह इस स्त्री अपने मायके गई। उसके भाई उसकी शादी किसी दूसरे से कराना चाहते थे और उस स्त्री को मज़बूर कर रहे थे। पर वो स्त्री अपने पति से बहुत प्यार करती थी और उसका पति भी। पर उस स्त्री के भाइयों को यह विवाह अनुचित लगता था। एक दिन वो स्त्री किसी तरह अपने पति के पास पहुँच गई। उसके पति ने कहा की हम इस दुनिया में नहीं मिल पा रहे लेकिन स्वर्ग में तो जरूर मिलेंगे कहकर अपनी पत्नी को मार दिया और खुद भी आत्महत्या कर ली।”नालिजंघ बुद्ध की सभी बातों को सुनकर और बुद्ध की आज्ञा लेकर रानी के पास पहुंचा और उन्हें सारी बात बताई।

रानी प्रसन्न होकर राजा के पास पहुँची और उसे सारी बात बताई की संसार में प्रिये वस्तुएं दुख का कारण होती हैं। रानी की बात सुनकर राजा सन्न होकर उसे देखने लगा। रानी आगे बोली “महाराज आपकी प्रिय पुत्री वज्जिणी आपको प्यारी लगती हैं न”

राजा बोला “हां मल्लीके वो तो मेरी आँखों का तारा है। तब रानी ने कहा “यदि वज्जिणी के जीवन पर किसी विपत्ति का आक्रमण हो तो क्या आप दुखी नहीं होंगे।

राजा बोला “दुखी नहीं का क्या मतलब बल्कि मैं जो इसे अपने जीवन पर आक्रमण समझूंगा।

इसी तरह रानी ने राजा को प्रिय लगने वाले मंत्री, सेनापति, राजगुरु आदि के सम्बद्ध में भी पूछा। इस पर राजा ने वही उत्तर दिया की उनके जीवन पर यही विपत्ति आई तो उन्हें दुःख ही नहीं होगा बल्कि उन्हें अपने जीवन का भी अंत मालूम होगा।

रानी मुस्कुराते हए बोली “महाराज अब तो आपको गौतम बुद्ध की बात समझ में आ गई होगी। राजा चौकन्ना होकर सोचने लगा और बोला “गौतम बुद्ध हमेशा सही उपदेश देते हैं। मेरी आखें खुल चुकी हैं। उसके बाद राजा भी भगवान बुद्ध का वंदन करने लगा।

-A Real Life Lession By Gautama Buddha

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